दिनांक- 16/11/21
विषय- विश्वास
विधा-कविता
हर मंजिल किसी की मुश्किल न होंगी
कभी खुद पर पूरा विश्वास होकर देखिए
यह जमाना आपके कदमों में होगा तभी
कभी थोड़ा जमीं से आस करके देखिए ।।
अहं मे सब कुछ मिट गया रावण सा राजन नही किसी को कुछ न मिला सिकन्दर बन
एक प्याला बिष पी मीरा दिवानी बन गई
बस एक बार राधा के श्याम होकर देखिए ।।
हर जगह यूं किस्मत नहीं साथ होती सबके
सब अकेले गये कौन गया है साथ किसके
फिर आपाधापी क्यू लूट खसोट से परिपूर्ण
कभी हिम्मत से हनुमान खास बन देखिए ।।
धरती अंबर से यह हमेशा आस करती है
रोशनी सूर्य पर खुद भी विश्वास करती है
धरती से बीज अंकुर व अंकुर से पौधे पुष्प
पुष्प की महक सा खुद बास होकर देखिए ।।
विश्वास है तो एक से हजार राही संग चले
विश्वास दृढ़ तो जीवन भी रंग सतरंग मिले
जीवन में किसी विश्वास न विश्वासघात हो
राजन हर सांस पे हरि बास होके देखिए।।
राजन मिश्र
अंकुर इंक्लेव
करावल नगर दिल्ली 94
9899598187