विषय- समीक्षा
विधा-आलेख
बहुत उलझे बहुत सुलझे मगर उलझन न उलझे जो उलझन सुलझाने आए..
हमारी उलझन की सुलझन खुद बनी उनकी ही उलझन जो सुलझाने आए..
जब तक हम किसी परिस्थिति में उलझे रहेंगे तो उस परिस्थिति के सुलझने के आसार बहुत ही कम होते हैं मगर जब हम किसी विषय विशेष की परिस्थितियों की समीक्षा करते हैं तो वह उलझन उलझन नहीं एक महोत्सव का लेख बन जाता है ।
दिपावली एक त्यौहार ही नहीं महोत्सव और महापर्व है यह पांच-दिवसीय महापर्व है जिसमें पांच सोपान है और पांचों त्यौहारों का अपनी अपनी जगह अलग-अलग महत्व है ।
यह पांचों त्यौहार एक दूसरे के पूरक होने के साथ-साथ उनका अपनी जगह अपना अपना महत्व है।
धनतेरस का माहात्म्य सुख समृद्धि स्वास्थ्य के लिए भगवान धन्वंतरि का पूंजा अर्चना करना और उनसे अपने परिवार समाज देश को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना ।
रुप चौदस या नरकाचतुर्दशी का माहात्म्य भी समाज की दूषित परम्परा जो नरकासुर राक्षस द्वारा उन सोलह हजार कन्याओं को बंधन मुक्त कराकर भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उनका सम्मान दिलाना
फिर दीपावली को महालक्ष्मी और ऋधि सिद्धि के दाता भगवान ब्रह्माणी गणेश जी की पूजा अर्चना कर दीप जलाकर कर विश्व में फैले गहन अन्धकार को नष्ट कराना है।
ब्रह्मा जी जी मानस पुत्र और विश्व के प्रथम अभियंता विश्वकर्मा की पूजा अर्चना कर उनका आशीर्वाद लेना विश्वकर्मा दिवस मनाना और गोवर्धन पूजा अन्नकूट भी दीपावली महोत्सव का एक अंग है ।
और पांचवां दिवस भैय्या दूज जिसे यम ने अपनी बहनों के यहां जाकर भाई बहन के अटूट रिश्ते को एक नमी विचार धारा प्रदान करना है।
यह पांचों त्यौहार एक साथ एक महोत्सव का रुप लेकर हमारे जीवन को एक नई दिशा देने की कोशिश करते हैं ।
इन त्योहारों का सकुशल समापन ही हमारी समीक्षा का आधार होता है हम आशा और विश्वास करते है कि यह त्यौहार हमारे जीवन में इसी तरह खुशियां बिखेरते रहेंगे।
राजन मिश्र
अंकुर इंक्लेव
करावल नगर दिल्ली 94