चांद का आज रात इंतजार है
क्यों आज करवा चौथ का व्रत त्योहार है
चंद्र दर्शन कर व्रत खोलती है सुहागनें
ए वो ही चांद है जिससे सबको प्यार है ।।
कभी चांद बिरहन को दहकाए कामाग्नि से
कभी लोरी में तो कभी बने चन्दा मामा
कभी युवा प्रेमी प्रेयसी का संदेशवाहक
तो कभी पूनम चांद जो कृष्ण का श्रृंगार है ।।
कभी शापित गजबदन षडानन के क्रोध से
चौथ का चंद्रमा का दर्शन जगत परिहार है
कलंकित चंद्र कभी दर्शन के योग्य नहीं
कभी गंगाधर शिव के शीश पर सवार है ।।
ए वहीं चांद है कभी कभी दिन में दिखता है
करवाचौथ व्रती से वह आज कैसे छिपता है
सुहागिनों को आज कुछ तरस नहीं खाता
क्योंकि चंद्रमा इस व्रत का मुख्य आधार है।।
सुहागिनों का चांद जल्दी से निकल आए
सीमा-पर प्रहरी जिसका चांद मचल न जाए
हजारों चांद की सुरक्षा में सजग है वो राजन
उनके सुहाग की रक्षा का उन चांद का भार है।।
राजन मिश्र
अंकुर इंक्लेव
करावल नगर दिल्ली 94
9899598187