विषय-विजय दशमी
विधा-कविता
आज विजयदशमी का पावन पर्व है
राम रावण के महासंग्राम के जीत का उपवर्ग है
ऐसा संस्मरण जो सदियों तक सड़कों याद है
जो ऐसा इतिहास फिर न भूलाया जाएगा।।
आज फिर रावण का पुतला जलाया जाएगा
अधर्म पर धर्म की जीत का झंडा फहराया जाएगा
सच क्या बस एक दिन है उस रावण के लिए
फिर हर दिन हर दिल में एक रावण पाया जाएगा
रावण क्या था उसका अपराध स्त्री अपहरण का
दूसरा क्या भाव न ईश्वर के हाथ उसके मरण का
क्या नहीं था वह एक विद्वान देश पर मिटने
और ऐसा अमिट छाप योद्धा कहां पाया जाएगा।।
रावण एक ईश्वरीय भक्ति का दूसरा प्रारूप है
विद्वदता ज्ञान सामर्थ्य एक महान राजा का रूप है
रावण से बढता राम का साक्षात्कार नाम है
राजन राम के संग रावण का नाम गाया जाएगा
।। राजन मिश्र
अंकुर इंक्लेव
करावल नगर दिल्ली 94