विषय -जाडे़ की धूप
विधा -कहानी
राजन मिश्र
अंकुर इंक्लेव करावलनगर दिल्ली 94
रामदीन की अपने झबरे कुत्ते के साथ अपनी फसल की रखवाली के लिए अपने खेत पर बनाए हुए मचान पर बैठा सोच रहा था कि अगर इस बार फसल थोडा अच्छी हो गई तो अपने लिए कुछ गर्म कपड़े और अपनी पत्नी धनिया के लिए गर्म रजाई जरूर खरीद लूंगा इस लिए पूस माघ की कड़कड़ाती ठंडी रात में झबरे के साथ मंचान पर बैठ कर पहरा न दे रहा होता ..
क्योंकि नील गाय और स्याही जैसे जानवर रातों रात में आलू पालक और मूली सकरकंदी की फसल का सत्यानाश कर जाते थे ..
ईश्वर की कृपा से इस बार आलू और सकरकंदी बहुत अच्छी थी बस आज ही रात की बात थी सुबह अपने परिवार और कुछ मजदूर भाई को खेत में लाकर आलू की खुदाई कर लेंगे .
तभी झबरे के भौंकने की आवाज सुनकर वह चौकन्ना सा हो गया और उसने इधर-उधर निगाहें दौड़ाकर देखा तो खेत के कुछ दूरी पर कुछ जानवरों और आदमियो की भागने दौड़ने की आहट सी सुनाई दे रही थी..
वह जल्दी से मचान से उतर लाठी लेकर झबरे के साथ खेत के दूसरे कोने की तरफ दौड़ लगा दी ..
जो कोई भी हो ठहर जाओ .. जानवरों और उनके साथ कुछ आदमियों को हटकते हुए कहा ।
क्या कर लोगे तुम .. अकेले हो और हम दो लोग हैं और ढेर सारे और जानवर .. तुम भाग जाओ नहीं तो हम तुम्हारे खेत का सत्यानाश कर देंगे .. हमें तुमसे नहीं ठाकुर के खेत से दुश्मनी है .. उनमें से एक आदमी बोला ।
भाई तुम जो हो .. मुझसे कुछ भी नहीं लेना देना ..मगर आज मैं खेत पर हूं यह बात ठाकुर को पता है अगर उसके खैर को नुक्सान हुआ तो वह हमारी फसल को अच्छे दामों पर बिकने के बजाय अपने आदमियों और घोड़ों से बर्बाद करवा देगा.. रामदीन ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
भाई ठाकुर बहुत ही कमीना इंसान हैं उसने कितनी बार हमारे फसल पर लाल घोड़े दौड़ाएं है इस लिए हम उसे नहीं छोड़ेंगे किसी तरह आप के खेतों को नुक्सान नहीं होगा आप चिंता मत करो .. दूसरे आदमी ने राम दीन को समझाते हुए कहा ।
भाई ठाकुर की सजा ..उन गरीब लोगों को क्यों दे रहे हो जिनकी रोजी-रोटी ठाकुर के इन फसलों की उपज से होती है ..रात के अंधेरे में पता नहीं कितने और जानवरों जीव जंतुओं को नुक्सान हो जाएगा इस तरह से फसलों का सत्यानाश करने पर .. इससे अच्छा तो अपने गांव वालों को इकट्ठा कर कोतवाली में जाकर ठाकुर के खिलाफ कार्रवाई कर दो अफसर बहुत ही अच्छा है ठाकुर को सबक सीखा देगा और तुम लोगो को हर्जाना भी दिला देगा ..राम दीन न समझाते हुए कहा ।
तुम ठीक कहते हो भाई .. ठाकुर को सबक उसके ही तरीके से देंगे ..सुबह कोतवाली में सारे लोग चलकर उसकी शिकायत करते हैं .और अफसर से हर्जाना दिलवाने की गुहार लगाते हैं .. इतना कहकर दोनों आदमी अपने जानवरों के साथ वापस लौट गए ..
उधर राम दीन मचान पर आकर झबरे कुत्ते के साथ पुरानी कथरी को लपेट सोने की तैयारी करने लगा..
उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला और सपनों की दुनिया में अपने आलू की फ़सल का अच्छी खरीद प्रोत कर अपने लिए कंबल और रजाईयां खरीददारी का अहसास कराती रही ..
जब उसकी नींद खुली तो उसके शरीर पर पड़ने वाली जाड़े की धूप उसे बहुत ही आनन्द का अहसास दिला रहीं थीं जो उसके सपनों को सच करने की बधाई दे रहीं हो ..
राजन मिश्र
(स्वरचित)
7011614220