दिनांक- 10/11/21
शीर्षक- एक गुनाह
सेठ जी आज आप हमारे पैसे दे दो कल घर जाना है .. आखिर बोरा उतार कर गाड़ी पर रखते हुए रामदीन ने सेठ धनीराम से कहा।
अरे राम दीन तेरे पैसे तो सारे रखें हुए थे परन्तु सेठानी कल ही तीर्थ यात्रा पर चली गई है और अगले हफ्ते में आएगी या तो कुछ दिन और रूक जा या फिर किसी से उधार लेकर घर चला जा जब तू वापस आएगा तो ले लेना ..सेठ धनी राम ने टालते हुए कहा।
सेठ जी सेठानी ने तो अभी कुछ देर पहले मुझे घर आकर कुछ सामान लेने के लिए बुलाया है और आप कह रहे हैं कि वो तीर्थयात्रा पर चली गयी है .. क्यूं झूठ बोलकर एक और गुनाह करते हो .. रामदीन ने मुस्कुराते हुए कहा।
मुझे तो यह सब पता था..मैं तो मजाक कर रहा था तेरा हिसाब-किताब सेठानी के पास कर देगी
उससे जाकर ले लेना..सेठ धनी राम ने कहा।
मगर सेठ जी.. सेठानी ने दस हजार रुपए और मगाए है आपस से ..वो भी दे दो मैं घर पर ही जा रहा हूं यहां से सीधे और कल नहीं आऊंगा.. रामदीन ने था करते हुए कहा।
यह लो दसहजार रूपए और तेरा हिसाब-किताब भी इतने का ही बन रहा होगा.. इसलिए सेठानी ने नहीं तूने अपना हिसाब-किताब पूरा करने के लिए सेठानी जी से कहा होगा .. कोई बात नहीं एक काम कर पास के ठेके से एक बोतल महगी वाली व्हिस्की और साथ में नमकीन ले जाना ..मैं आकर घर पर मूड बनाऊंगा .. धनीराम ने उपर से कुछ पैसे पकड़ाते हुए कहा।
रामदीन पैसे लेकर सेठ धनीराम के घर की ओर चल पड़ा रास्ते में ठेके से व्हिस्की की बोतल और नमकीन के साथ घर पहुंच गया।
सेठानी ने घर के अंदर बुलाकर उसे उसके पैसे का हिसाब किताब कर दिया और कुछ पैसे उपर से दे दिया व्हिस्की की बोतल देखकर सेठानी चौक गई।
रामदीन यह बोतल और नमकीन किसके लिए है किसने मंगाई है .. सेठानी ने रामदीन से पूछा ।
सेठानी जी ..यह सेठ जी ने अपने लिए मंगाई है उन्होंने ही इसके पैसे दिए हैं ..यह आप रखो मैं घर जाऊं .. रामदीन ने सेठानी से कहा।
रामदीन तूने एक गुनाह यह शराब की बोतल मुझे पकड़ा कर किया है अब एक और गुनाह कर या तो मेरे साथ बैठ कर शराब पी या फिर इस बकरे को हलाल कर उसका मीट बना या फिर मेरे साथ हम बिस्तर बन तभी तूझे पैसे मिलेंगे .. नहीं तो अभी सेठ के आने पर कह दूंगी कि यह बदतमीजी कर रहा था मेरे साथ..सेठानी ने मुस्कुराते हुए कहा।
आप ऐसा क्यूं कर रही है सेठानी जी ..मैं गरीब आदमी कभी शराब नहीं पीता न किसी की जीव हत्या कर सकता हूं और हमारे घर में बीबी बच्चे सब है फिर आपके साथ सो नहीं सकता...आप मुझे घर जाने दो क्यूं एक गुनाह करके गुनहगार बनाती है .. रामदीन ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
देख राम दीन तूझे इनमें से एक काम तो जरूर करना पड़ेगा नहीं तो.. मैंने कह दिया कि तू बहुत बुरा फसेगा.. सेठानी ने धमकाते हुए कहा।
रामदीन बहुत ही चिंता में फस गया..अगर वो शराब पीता है तो उसका धर्म भ्रष्ट होता है अगर सेठानी के साथ सोता हूं तो बीबी बच्चों के साथ विश्वासघात होता है अगर बकरे को हलाल करता हूं तो जीव हत्या होती है अगर कुछ भी नहीं करता तो अभी सेठानी मेरा धन धर्म सब ले लेगी और बदनामी जेल अलग से होगी..
अंत में उसने सोचा कि शराब पी लेता हूं उसमें एक ही गुनाह होगा और दूसरे पाप से बच जाऊंगा..
और फिर उसने सेठानी के साथ बैठकर शराब पीना शुरू कर दिया उधर धीरे धीरे शराब का नशा राम दीन और सेठानी पर एक साथ चढ़ गया सेठानी के कहने पर उसने बकरे को हलाल कर उसका मीट बनाया और शराब और शबाब का दौर चलना शुरू हो गया..
जब राम दीन का नशा उतरा तो उसने देखा वो सेठानी के बिस्तर पर और सेठानी लुटी पिटी सी बेसुध .. बिस्तर के पास थाली में मांस का व्यंजन और शराब की बोतल खाली लुढकी पड़ी हुई..
उसने एक गुनाह के साथ कितने गुनाह कर डालें
यदि शराब न पीता तो तीनों गुनाह नहीं होते..
सेठानी के साथ सो जाता तो बीबी बच्चों के साथ विश्वासघात और बकरे को हलाल करता तो जीव
हत्या.. परंतु उसने शराब पीकर तो कर डालें एक गुनाह नहीं तीन गुनाह..
राजन मिश्र
अंकुर इंक्लेव
करावल नगर दिल्ली 94
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