नमन कलमकार कुंभ साहित्य
कालरात्रि माता
गर्दभ वाहन पर सवार कालरात्रि
रण में रिपु दलन चली मां काली
संग भूत पिसाच करताल बजावै
ए जोगिनी सब नाचै दे देकर ताली ।।
श्यामवर्ण गले में मुंडन की माला
शिवाशक्ति मुखमंडल अति काला
दीन भयहारणि तारणि भवसागर
जय कालिका माता जै भद्रकाली ।।
क्रोधित रूप जब बनी संहारकारी
शिव पथ रोक बने लोक हितकारी
रौद्र रूप मुख दिव्य कांती निराली
दुष्टजन भयातुर स्वजन मन आली ।।
त्रिकूटा पर बैठी वैष्णवी संग आली
महालक्ष्मी महासरस्वती महाकाली
मन मंदिर में जगमग ज्योति जलाएं
मां राजन की सब चिंता हरने वाली ।।
राजन मिश्र
अंकुर इंक्लेव
करावल नगर दिल्ली 94