*भगवान शिव के परम प्रिय आभूषणों में से एक है रुद्राक्ष ! रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है ! प्रत्येक मनुष्य को इस रुद्राक्ष को परम पावन समझना चाहिए ! रुद्राक्ष की महिमा इतनी है कि इसके दर्शन से , स्पर्श से तथा उस पर जप करने से समस्त पापों का हरण हो जाता है ! रुद्राक्ष भगवान शिव
के अश्रुबिंदुओं से प्रकट हुआ है ! सर्वप्रथम भगवान शिव से इस परम पावन रुद्राक्ष को श्री हरि विष्णु को प्राप्त किया था , उसके अतिरिक्त चारों वर्णों के लिए रुद्राक्ष धारण करना लिखा गया है ! जिस प्रकार मनुष्य के चार वर्ण बताए गए हैं उसी प्रकार ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य एवं शूद्र जाति के रुद्राक्ष भगवान शिव की आज्ञा से इस पृथ्वी पर प्रकट हुए हैं ! अब इनकी पहचान कैसे की जाय ? इसके लिए शिव पुराण में वर्णन आता है कि ब्राह्मण वर्ण के लिए श्वेत रुद्राक्ष , क्षत्रिय वर्ण के लिए रक्त रुद्राक्ष , वैश्य वर्ण के लिए पीला रुद्राक्ष और शूद्र वर्ण के लिए कृष्ण रुद्राक्ष बताया गया है ! प्रत्येक वर्ण को अपने अनुसार ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ! भोग और मोक्ष की इच्छा रखने वाले चारों वर्णों के लोगों को और विशेष रूप से शिवभक्तों को भगवती पार्वती एवं भूतभावन भोलेनाथ की प्रसन्नता के लिए रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ! रुद्राक्ष के भेद के विषय में बताते हुए हमारे पुराण कहते हैं कि - आँवले के फल के बराबर जो रुद्राक्ष होता है वही श्रेष्ठ बताया गया है ! बेर के फल के बराबर मध्यम , चने के बराबर जो रुद्राक्ष होता है उसे निम्न कोटि का कहा गया है ! जो रुद्राक्ष बेर के फल के बराबर होता है वह उतना छोटा होने पर भी लोकों में उत्तम फल प्रदान करता है और सुख सौभाग्य की वृद्धि करता है ! आँवले के बराबर का रुद्राक्ष सभी प्रकार के अरिष्टों का विनाश कर देता है और जो गुंजाफल के समान बहुत छोटा रुद्राक्ष होता है वह सभी मनोरथों और फलों की सिद्धि करने वाला होता है ! कुल मिलाकर यह कह लिया जाय की रुद्राक्ष जैसे-जैसे छोटा होता है वैसे-वैसे अधिक फल प्रदान करने वाला होता है ! एक छोटे रुद्राक्ष को बड़े रुद्राक्ष से दस गुना अधिक फल देने वाला बताया गया है ! अपने द्वारा किए गए पापों का विनाश करने के लिए रुद्राक्ष धारण बहुत ही सरल साधन है ! मंगलमय परिणाम देने वाला रुद्राक्ष के समान कोई दूसरा नहीं है ! समान आकार प्रकार वाले , चिकने , सुदृढ़ , स्थूल , कंटकयुक्त और सुंदर रुद्राक्ष अभिलिषित पदार्थ के दाता तथा सदैव भोग और मोक्ष प्रदान करने वाले होते हैं !*
*आज अनेको लोग रुद्राक्ष धारण करते दिखाई तो पड़ते हैं परंतु किसको कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसका ज्ञान न होने के कारण उनका यथोचित फल नहीं प्राप्त हो रहा है ! प्रत्येक कर्म का विधान अलग-अलग है और इन विधानों को जानने के लिए हमें अपने शास्त्रों का अध्ययन या अपने सद्गुरुओं के साथ सम्बन्धित कर्म के विषय में सत्संग करने की आवश्यकता है ! किस रुद्राक्ष को नहीं धारण करना चाहिए इसके विषय में बताते हुए मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" इतना ही कहना चाहूंगा कि जिसे कीड़ों ने दूषित कर दिया है , जो खंडित हो गया हो , जो फूटा हो और जिसमें उभरे हुए दाने ना हो जो ब्रणयुक्त हो तथा जो पूरा-पूरा गोल ना हो इन छह प्रकार के रूद्राक्षों का त्याग कर देना चाहिए ! जिस रुद्राक्ष में अपने आप ही डोरा पिरोने के योग्य छिद्र हो गया हो वही उत्तम माना गया है , और जिसमें मनुष्य अपने प्रयत्न से छिद्र करता है वह मध्यम श्रेणी का है ! रुद्राक्ष धारण बड़े-बड़े पातकों का विनाश कर देता है ! ११०० रुद्राक्ष को धारण करने वाला मनुष्य साक्षात रुद्र स्वरूप हो जाता है ! रुद्राक्ष धारण करके जब मनुष्य आसन लगाकर ध्यानपूर्वक शिव का नाम जपने लगता है तो उसको देखकर पाप स्वत: छोड़कर चले जाते हैं ! आज शास्त्राध्ययन की कमी स्पष्ट रूप से समाज में देखी जा सकती है , यही कारण है कि अनेकों विधान करने के बाद भी मनुष्य को उसका यथोचित फल नहीं प्राप्त होता और लोग इन विधानों को दोष देते हैं ! अपने द्वारा किए गए कृत्य में मनुष्य को कोई कमी नहीं दिखती है दोषी या तो विधान कराने वाला विद्वान बनाया जाता है या फिर लोग भगवान को ही दोष देने लगते हैं ! रुद्राक्ष कब धारण करना चाहिए ? कैसे धारण करना चाहिए ? कौन सा धारण करना चाहिए ? और कितना धारण करना चाहिए इसका ज्ञान होना परम आवश्यक है अन्यथा इसका नकारात्मक प्रभाव भी मानव जीवन पर पढ़ने लगता है ! अतः रुद्राक्ष धारण करने के पहले अपने सद्गुरु से या दीक्षा गुरु से इसके विधान के विषय में अवश्य जान लेना चाहिए ! वैसे तो भगवान शिव कल्याणकारी हैं परंतु रुद्राक्ष का सारा विधान भगवान शिव ने स्वयं अपने मंगलमय मुखारविंद से भगवती पार्वती को बताया है , तो यदि शिवभक्त हैं तो भगवान शिव के मुखारविंद से निकले हुए वाक्यों का पालन करना भी हमारा कर्तव्य बन जाता है !*
*रुद्राक्ष के विषय में एक बात अवश्य ध्यान रखें कि रुद्राक्ष धारण करने के बाद मनुष्य को मांस - मदिरा , लहसुन - प्याज , सहजन आदि का त्याग कर देना चाहिए अन्यथा इसका दुष्परिणाम बहुत जल्द मिलने लगता है !*