*मानव जीवन में अनेकों प्रकार के क्रियाकलाप मनुष्य द्वारा किए जाते हैं | संपूर्ण जीवन काल में मनुष्य भय एवं भ्रम से भी दो-चार होता रहता है | मानव जीवन की सार्थकता तभी है जब वह किसी भी भ्रम में पड़ने से बचा रहे | भ्रम मनुष्य को किंकर्तव्यविमूढ़ करके सोचने - समझने की शक्ति का हरण कर लेता है | भ्रम में पड़ा हुआ मनुष्य यह सोचता है कि जो मैं सोच रहा हूं या जो कर रहा हूं वही सही है शेष पूरा समाज गलत है | भ्रम का पर्दा इतना मोटा होता है कि मनुष्य को पर्दे के उस पार की सच्चाई नहीं दिखाई पड़ती है | यह भ्रम कभी-कभी किसी की बात सुनकर या किसी के बरगलाने पर मनुष्य के हृदय में प्रकट हो जाता है | किसी के द्वारा किसी भी विषय पर यदि भ्रम पूर्ण स्थिति उत्पन्न की जाती है तो मनुष्य को सर्वप्रथम उस विषय के जड़ तक जाने का प्रयास करना चाहिए | जब मनुष्य उस विषय की जड़ तक पहुंचता है तब उसे लगता है कि सही क्या है और गलत क्या है ? परंतु अधिकतर मनुष्य सच्चाई को ना जान कर के भ्रम में पड़कर ऐसे कृत्य करने लगते हैं , जिसके कारण उन्हें बाद में पश्चाताप भी होता है , परंतु पश्चाताप उनके द्वारा किए गए कुकृत्यों को कृत्यों में नहीं परिवर्तित कर सकता है | त्रैलोक्य विजयी रावण की प्रजा एवं उनके सैनिक इस भ्रम में रहे कि हमारे महाराज ने देवताओं को भी जीत लिया है तो बंदर भालू की सेना को भला कैसे नहीं जीत सकते हैं ? इस भ्रम का क्या परिणाम हुआ यह इतिहास में वर्णित है | जीवन में पश्चाताप न करना पड़े इसके लिए आवश्यक है कि प्रत्येक मनुष्य किसी भी चर्चा या अफवाह को सुनने के बाद उस विषय की गहराई में जाने का प्रयास करें जिससे कि भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो |*
*आज हमारे देश भारत में जिस प्रकार हिंसक प्रदर्शन देखने को मिल रहा है वह मात्र कुछ राजनीतिक दलों के द्वारा फैलाए गए भ्रम का ही परिणाम है | विषय की गहराई एवं सच्चाई के विपरीत जाकर के जन समुदाय किसी असंवैधानिक आवाहन पर एकजुट होकर जो प्रदर्शन कर रहा है उसका परिणाम राष्ट्रीय संपत्तियों की छति के रूप में देखने को मिल रहा है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" यह विचार करता हूं इस देश को चलाने का दम भरने वाले कुछ राजनीतिक दल अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए देश की जनता को बरगला कर देश की क्षति कर रहे हैं वे राजनीतिक दल देश को कैसे चलायेंगे ? मेरा मानना है कि आम जनमानस को इन राजनीतिक दलों के मंतव्य को समझते हुए भ्रम पूर्ण स्थिति से बाहर निकलने का प्रयास करना चाहिए | यह तभी हो पाएगा जब हम उस तथाकथित विषय को समझने का प्रयास करेंगे | ऐसा करने वालों को एक बार यह विचार करना चाहिए कि जिस सरकारी संपत्ति का उनके द्वारा विनाश किया जा रहा है उसका उपयोग उनके द्वारा भी किया जाता रहा है | कहने का तात्पर्य है कि किसी के कहने पर अपने ही घर को जलाना बुद्धिमत्ता नहीं कही जा सकती है | भ्रम की स्थिति में आम जनमानस जल रहा है और राजनीतिक दलों की स्वार्थ पूर्ति हो रही है | आज भारत के नागरिक इतने पढ़े लिखे होने के बाद भी इस राजनीतिक मंशा को नहीं समझ पा रहे हैं तो यह देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा | कुछ हताश - निराश राजनौतिक दल आज युवा छात्रों को बरगला कर राष्ट्र की सम्पत्तियों का विनाश करवा रहे हैं उनको भी यह विचार करना चाहिए कि कल उनको भी इसी देश पर शासन करना है | भ्रम की स्थिति में पड़कर आज पूरे देश में हिंसा का जो दौर चल रहा है उस भ्रम से निकलने की आवश्यकता है |*
*समस्त देशवासियों से यही निवेदन है जिस विषय को लेकर विरोध प्रदर्शन एवं उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं उस विषय को समझने का प्रयास करें जिस दिन विषय को समझ लिया जाएगा उस दिन यह भ्रमपूर्ण स्थिति स्वयं दूर हो जाएगी |*