*सृष्टि में परमात्मा अनेक जीवों की रचना की है , छोटे से छोटे एवं बड़े से बड़े जीवो की रचना करके परमात्मा ने इस सुंदर सृष्टि को सजाया है | परमात्मा की कोई रचना व्यर्थ नहीं की जा सकती है | कभी कभी मनुष्य को यह लगता है कि परमात्मा ने आखिर इतने जीवों की रचना क्यों की | इस सृष्टि में जितने भी जीव हैं अपने स्थान पर सब का महत्व है | इन्हीं छोटे जीवों में एक जीव है चींटी , जो कि प्रायः घरों में पाई जाती है | चींटी को देखकर लोग परेशान हो जाते हैं परंतु इनके विषय शायद जानते नहीं | घर में जब चींटियां निकलती है तो वे शुभ एवं अशुभ का संकेत देती हैं परंतु लोग इसे साधारण बात समझ कर अनदेखा कर देते हैं | ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि यदि चीटियां घर में निकलती है तो आर्थिक स्थिति के साथ भविष्य में होने वाले नुकसान का भी संकेत करती है | चीटियां दो प्रकार के होते हैं काली एवं लाल | उनके विषय में जानना परम आवश्यक है | यदि घर में काली चीटियां समूह बनाकर घूमती है तो उस घर में सुख एवं ऐश्वर्य की वृद्धि होती है परंतु वही यदि लाल चीटियां घर से निकलती है तो उन्हें अशुभ माना जाता है तथा यह लाल चीटियां किसी बड़े नुकसान का संकेत करती है | शकुन शास्त्र की यदि माना जाय तो चीटियों के कई प्रकार की शकुन बताये गये हैं | यदि चावलों से भरे बर्तन में चीटियां निकल आती हैं तो यह मानना चाहिए की धन वृद्धि का योग एवं आर्थिक स्थिति अच्छी होने का संकेत है | स्वर्ण आभूषणों में यह चीटियां चिपकी दिखाई पड़े तो यह मान लेना चाहिए कि जीवन भौतिक साधनों की वृद्धि होने वाली है | वहीं यदि लाल चीटियां घर में निकलती है तो यह भविष्य में होने वाले नुकसान एवं वाद विवाद का संकेत होती हैं | अधिकता हर चीज की हानिप्रद होती है | उसी प्रकार जहां काली चीटियों को शुभ माना जाता है वहीं यदि अधिक संख्या में काली चीटियां घर में निकलती है तो यह अशुभ मानकर इसका उपाय करना चाहिए | इनका प्रभाव कम करने के लिए मनुष्य को शनि स्तोत्र का पाठ एवं लक्ष्मी जी की पूजा करना लाभप्रद हो सकती है | इस प्रकार कोई भी जीव इस सृष्टि में मनुष्य के लिए एक संकेतक का काम करता है आवश्यकता है उनके विषय में जानने की परंतु जानकारी के अभाव में मनुष्य इन जीवो को जी का जंजाल समझ लेता है और इन को दूर करने का अनेकानेक उपाय किया करता है |*
*आज भौतिकवादी जीवन में मनुष्य के पास इतना समय ही नहीं बचा है कि वह इन सूक्ष्म विषयों पर विचार कर सके | इस सृष्टि का प्रत्येक जीव मानव मात्र को कोई ना कोई शिक्षा अवश्य देता है अब यह मनुष्य के ऊपर निर्भर है कि वह किस से शिक्षा ले पाता है किससे नहीं | कुछ लोग यह कह सकते हैं कि भला हमको चींटियों से क्या शिक्षा मिलती है ? इन सभी लोगों को मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" बताना चाहूंगा की चीटियों से मनुष्य को पांच महत्वपूर्ण शिक्षा प्राप्त होती | १- दूर दृष्टि रखना २- अपने सामर्थ्य के अनुसार कार्य करना ३- समूह के रूप में काम करना ४- किसी भी कार्य के लिए यह न सोचना कि हम से नहीं हो पाएगा ५- कभी हिम्मत न हारना आदि हमें चींटियों से सीखना चाहिए | प्रत्येक मनुष्य को इन चींटियों से यह अवश्य सीखना चाहिए कि जिस प्रकार चींटियां ठंड आने के पहले गर्मियों में ही अपने भोजन की व्यवस्था कर लेती है उसी प्रकार मनुष्य को भी आलस्य त्यागकर भविष्य की तैयारी कर लेनी चाहिए | किसी भी कार्य को करने के पहले मनुष्य को अपनी क्षमता और सामर्थ्य का अांकलन अवश्य कर लेना चाहिए क्योंकि मनुष्य अपनी क्षमता के अनुसार यदि कार्य करता है तो वह सफल हो जाता है | परिवार से अलग होकर कार्य करने में सफलता संदिग्ध हो जाती है इसलिये चींटियों की भाँति समूह में कार्य करें | जिस प्रकार चीटियां समस्त भटकावों को भूल कर के अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहती हैं उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए , और सबसे बड़ी शक्षा यह मिलती है कि मनुष्य को कभी भी हिम्मत नहीं हारना चाहिए | पिछली कई असफलताओं को भुला कर के सतत प्रयास करने वाला ही अंततः सफल होता है यह भी हमें चींटियों का कार्य देखकर सीखने को मिलता है | इस प्रकार छोटी सी दिखने वाली यह चीटियां मानव मात्र को अनेक प्रकार की शिक्षा प्रदान करती हैं | मनुष्य को सतत् सीखने की कला को जागृत करने की आवश्यकता है | सृष्टि का एक-एक कण मानव मात्र के लिए शिक्षक का कार्य करता है अब यह मनुष्य के ऊपर निर्भर करता है कि वह अपने लिए क्या ग्रहण कर पाता है |*
*परमात्मा कि कोई भी सृष्टि निरर्थक नहीं है | निरर्थक उसे मनुष्य अपने लाभ एवं हानि के अनुसार मानने लगता है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए |*