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दैनिक प्रतियोगिता

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जहां आज सब कुछ मोडर्न हो गया है जिसके चलते सभी लोग ऑनलाइन ऐप्प के माध्यम से शॉपिंग कर अपना समय और पैसे दोनों की बचत कर लेते है जिससे की जहां पर बाजार में भीड़ से छुटकारा मिलता है वही पर ऑनलाइन शॉपिंग क

गुरुर किस चीज़ का करुँ मैंमेरा अपना क्या है??सूरत माँ-बाप ने,संस्कार परिवार ने,ज्ञान गुरुओं ने दिया है ।मेरा अपना क्या है??समझ दुनिया ने,सबक जमाने ने,सहारा माँ ने दिया है ।मेरा अपना क्या है??हिम्मत कित

जहां आज के समय में सभी कुछ ऑनलाइन व ऑनलाइन ऐप्प के माध्यम से हर क्षेत्र को जोड़ा जा चुका है व जोड़ने की प्रक्रिया जारी है जहां आज की इस मोडर्न व तकनिकी में स्मार्ट मोबाइल व लैपटॉप के बिना जिंदगी अधूरी स

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शीर्षक --करवाचौथआज सब बेकरार हैं, छाई है खुशियों की बहार,आज जमीं के चाँद को,आसमां के चाँद का इंतजार है,यही दुआ करूँ हरपल,जमीं के चाँद सदा सुहागन रहें जीवन भर।।करवाचौथ की ढेर सारी शुभकामनाएं🌙❤❤�

आज हम इक्कीसवी सदी में जी रहे है जहां इन्सान चांद व मंगलयान जैसी यात्रा भी कर चुका है उसी इक्कीसवी सदी में आज भी लड़का व लड़की में भेद जारी हैं जहां किसी परिवार में लड़की जन्म ले ले और लड़का न पैदा हो वो

अब तक हमने पढ़ा कि किस तरह दिशा जर्नलिस्ट से रेस्टॉरेंट की ओनर होने का सफर तय करती है | दिशा का रेस्टॉरेंट द कैफे ही दिशा की ज़िन्दगी बन जाता है | आपको अनोखी याद है ? वो प्यारी सी लड़की जो कहानी की शुरुआ

अब पूरे भारत में लगभग सभी चीजे डिजिटल का आकार ले चुकी है जिनमे कभी किसी भी सरकारी व प्राइवेट कार्य को करने के लिये लगभग घण्टों घंटो तक इंतेजार करना पड़ता था उन्ही सभी चीजों को मद्देनजर रखते हुये माननीय

ईश्वर ने इस धरती को रचा हैं और ईश्वर ने ही इंसान को बनाया हैं अगर प्रार्थी के अनुसार इंसान को सबसे ज्यादा पछतावा तभी हो सकता हैं जब वह हर तरह से संपन्न हो और संपन्न होने के बावजूद उसने किसी असहाय की म

सदियों से इंसान इसी असमंजस में डूबा रहता हैं की में इतना कर्म करता हूँ किन्तु मेरा भाग्य मेरा मेरा साथ नही देता ईश्वर मेरे ऊपर अत्याचार कर रहा हैं और पता नही किस कर्म की सजा मुझे मिल रही है न जाने ऐसे

हर साल हम विजयादशमी का त्योहार बड़े हर्षोलास के साथ मनाते है और संकल्प लेते है की जिस प्रकार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं दशहरा ठीक उसी प्रकार हम भी अपने मन की व्याधियों को समाप्त कर नेक इंसान

मेरे शहर की गली में रहता था बचपनऔर अगली मोड़ में रहती थी खुशी,वो हर सुबह - शाम मिलते थे अक्सरउन दोनों में थी काफी गहरी दोस्ती,बचपन का था थोड़ा रूखा स्वभावछोटी सी बात में गरम होता उसका भाव,खुशी थी होशिया

दिन की शुरुआत होने से पहले हम नाजाने कितनी गलतियाँ करते है फिर वो चाहे कही से हमे कुछ खरीदना हो या किसी बाजार इत्यादि में से कुछ सामग्री लानी हो या किसी के पास बैठना हो गली मोहल्ला या फिर पड़ोस में आदि

प्रिय सखी।कैसी हो । बहुत दिनों बाद मुलाकात हुई है ।सच सखी बहुत खाली खाली सा लगता है जब तक मै तुम से अपनी मन की ना कह लूं।आज मंच पर ये संदेश प्रेषित किया है हमने कि सभी अकाउंट पर फोन वेरिफिकेशन कम्पल्स

शीर्षक-ऑनलाइन गेमिंगआजकल के फ़ैशन में हर किसी के जुबान पर वीडियो गेमिंग ऑनलाइन गेमिंग का नशा चढ़ा है।बच्चे बड़े बूढ़े जबान सब खोये रहते हैं वजह ये है की हम सब अबइंटरनेट और तकनीक वाले युग में जी रहे हैं।आज

मेरी अधूरी मुहब्बत की कहानी कावो अहम किस्साहां मेरी जिंदगी वो मेरी चाहतों का हिस्सागगन में सबसे चमकता वो टिमटिमाता सिताराहां सजाया जतन से वो मुहब्बत का ख़्वाब हमाराझिलमिल करता जाने जब आसमां से टूट के

तेरी  मुहब्बत में सनम अजीब सा हाल हैचांद मेरे सिरहाने तस्वीर तेरी आसमान में सजती कमाल है सितारें सारे आंखो में जगमगाते बनकर ख्याल हैतुमसे दूरी में आंखो के आंसू आसमां सेबरसे बेमिसाल हैआं

तेरे ख्यालों  में कुछ यू गुम हो जाए मेरे वजूद के हर ज़र्रे मे तेरा अक्स मिल जाए मेरी मुहब्बत मेरी चाहत का ना  हिसाब दे पाए आंखो मे सूरत तेरी दिल ने अनगिनत ख़्वाब है सजाए तेरे इश्क के रंग मे इस कदर र

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शीर्षक---मुलाकातकहाँ पता था वो आखरी मुलाक़ात होगी,दिल की बातें यूँ ही दिल में कैद रह जाएगी।तुझे याद करके दिल बड़ा ही तड़पता है,वो आखिरी मुलाक़ात को याद करके,दिल आज भी खो जाता है तेरी वो,आखिरी मुलाक़ात की य

सबसे ज्यादा था उसे चाहाकम वक़्त में दिल में उन्हें बसायाप्यार शिद्दत से था हमने जतायाचाहत है उनसे कितनी बार बतायाजाने क्यों फिर हम पर एतबार ना इन्हे आयासबसे ज्यादा प्यार इनसेहमने इन्हे समझायाप्यार शाय

किस पे लिखूँ, यह धरती कहती है, मुझ पर लिखो। अनगिनत कविताएँ समाई है मुझमें, मेरी प्राकृतिक छटा निराली, ढ़ेरों रंग बिखरे हैं इनमें। बिल्कुल सही मैं यही करूँगी, मैं धरती का सौन्दर्य लिखूँगी। हरी चु

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