आज हम इक्कीसवी सदी में जी रहे है जहां इन्सान चांद व मंगलयान जैसी यात्रा भी कर चुका है उसी इक्कीसवी सदी में आज भी लड़का व लड़की में भेद जारी हैं जहां किसी परिवार में लड़की जन्म ले ले और लड़का न पैदा हो वो भी परिवार उस लड़की को ही जिम्मेदार व ईश्वर को दोषी ठहराता है की लड़की दी है और लड़का नही दिया है यह तुच्छ मानसिकता वाले लोग यह नही जानते की बिना लड़की के लड़का कहां से लाओगे जितनी परवरपरवरिश आप लडके की करते हो उतनी ही आप लड़की की करे इसमें भेदभाव क्यों करना रहा सवाल लड़की की सुरक्षा का तो उसे अन्दर और बाहर से इतना मजबूत बना दे की दुनिया से लड़ने के लिये उसे किसी सहारे की जरुरत ना पड़े ऐसी परवरपरवरिश करे लड़की की परिणाम आपको खुद बा खुद मिल जायेगा अब रही बात नारे लगाने की तो भारत में नारी शस्क्तिकरण के लिये लोग नारे लगाते है की बेटी बचाओ बेटी
पढ़ाओंं यह तब तक संभव नही होगा जब तक इंसान की मानसिकता खुद नही बदलेगी जिस दिन इंसान की सोच बदल जायेगी उस दिन किसी भी नारे या किसी के सुझाव की जरूरत नही पड़ेगी इसलिये लड़का हो या लड़की दोनों को बराबर माने
"ईश्वर ने बनाते समय इसमे मतभेद नही किया तो इन्सान क्या चीज है |"