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दैनिक_प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to dainik_pratiyogita


मेरे घर के आंगन में कल
 खेल रही थी गौरैया
 मुझको ही तो बुला रही थ

मंझिल की छोड़ तू दौड़ना आरम्भ कर,
सोचना छोड अब न विलंभ कर।।

दू

भाग 3
राजेश अपने आगे किसी को समझता ही नही था ,उसे लगता है कि अच्

तुझसे मिलने की आस में 

तेरे दीदार की प्यास में 
अपने प्यार के अहसास में&nbs

😁एक दिन जब जा रहे थे ,
पढ़ने के लिए स्कूल हम ,
रास्ते में देख बगिया अमरूद की ,
हो गए




कुछ यादें बेहद दर्दनाक होती हैं ,और हमे

बातें जब ज्ञान या ध्यान की हों, अध्यात्म या दर्शन की हों, धर्म या पौराणिकता की हों, जीवन-मृत्यु य

नास्तिक कौन है?


नास्तिक शब्द से हमें ऐसे व्यक्ति का बोध होता है जिसकी प्रचलित धर्

आज कल फेस बुकिया प्यार बहुत बढ़ गया है, लोग दिन भर सोशल मीडिया में लग

मनीष तिवारी एक छोटा सा बिज़नेस करता है , जिसमे वह अच्छा काम लेता है ,

आधी उम्र बीत गई रज्जो को अपनी पहचान अपनों के बीच खोजते खोजते ।रज्जो के कान में जब आवाज आती है ह

वाणी को सोच में डूबा

एक नवाब साहब  लखनऊ से अपने भतीजे के निकाह के लिए बरेली  पहुचे.. 


आज इस सुबह की ही तरह ये कस्बा भी निखिल के लिए नया था। पिताजी का तबादल

कैसे सजा देगा ऐ काजी मुझको 

  उनसे मेरे इश्क के इजहार का, 




रुद्र को होश आया| रुद्र के आँखे खोलते ही सारे गाव

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