20 अक्टूबर 2021
नमस्कार 🙏 आप सभी को शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं | <
🌹छोड़ के अपना सब कुछ आऊंगी,मैं साथ तेरे । तू है मेरा ! मैं हूँ तेरी ! ये यकीन, तो मु
रोज ही सलीके से बने बिस्तर पर
नहीं की जी हजूरी तोहम किसी के भी नहीं रहेकरते रहे जो गुलामी तो
"बच्चों की किलकारी"विषय पर एक कविता लिखी थी सुबह सुबह
हकीकत तो कुछ और ही रहीं तेरीकहानी ही बन गयी जिंदगानी अपनों की इस भीड
मालूम ना थाइक दिन ऐसा भी आएगा llअपनों का मेला होगा
यू तो कोई नहीं तेराफिर भी तू तमाम रिश्तों से घिरा है हकीकत तब ब्यान
19 अक्टूबर 2021
व्यंग्य विनोद की चाशनी में डुबा कर परोसी गई पुरानी क
हजारो महेफिल में उसका होना मुजे अच्छा लगता है
प्रेम❤ क्या लिखूंइसके बारे लेखक छोटा हो या बड़ा या कोई कवि हो ऐसा&nbs
दुनिया में माँ- बाप से बढ़कर कुछ नहीं हैंमाता-पिता ईश्वर का दिया एक ऐस
गौरी की तबियत ठीक होने मे 1-2 दिन लग गए|सब उसकी तबियत पर पूरा ध्यान द
कहते हैं बचपन से बढ़कर कुछ भी नहीं.... ये ही वो उम्र होतीं हैं जिसमें हम कोई बात दिल से नहीं लग
आज मैं आप सभी को जिंदगी के कुछ छोटे हिस्से की हकीकत बताना चाहती हूं । मुझे पता है लोग हकीकत और
खोल अपने चक्षुओं को, आत्मिक अन्तःकरण को ज
उम्र तो नहींतजुर्बा कहता है कोइ नहीं क
दैनिक लेखन प्रतियोगिता&n