shabd-logo

दैनिक_प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to dainik_pratiyogita


व्यंग्य विनोद की चाशनी में डुबा कर परोसी गई पुरानी क

हजारो महेफिल में उसका होना 

मुजे अच्छा लगता है 

प्रेम❤ क्या लिखूं

इसके बारे लेखक छोटा हो या बड़ा या कोई कवि हो ऐसा&nbs

दुनिया में माँ- बाप से बढ़कर कुछ नहीं हैं

माता-पिता ईश्वर का दिया एक ऐस

गौरी की तबियत ठीक होने मे 1-2 दिन लग गए|

सब उसकी तबियत पर पूरा ध्यान द

कहते हैं बचपन से बढ़कर कुछ भी नहीं.... ये ही वो उम्र होतीं हैं जिसमें हम कोई बात दिल से नहीं लग

आज मैं आप सभी को जिंदगी के कुछ छोटे हिस्से की हकीकत बताना चाहती हूं । मुझे पता है लोग हकीकत और


खोल अपने चक्षुओं को,
आत्मिक अन्तःकरण को


खोल अपने चक्षुओं को,
आत्मिक अन्तःकरण को

उम्र तो नहीं
तजुर्बा कहता है 
कोइ नहीं क

यह कहानी है एक शेर और एक हाथी की . दोनों एक ही वन में रहा करते थे । एक मांसाहारी और दूसरा विशुद्ध शा

निगाहें दूर तक जाती है तो यूं जाने दीजै
कम-से-कम एक नजर भर के देखने दीजै
बड

मिलेगी हमारी नज़र धीरे धीरे,
मोहब्बत करेगी असर धीरे धीरे । 

गौरी ने कई बार रुद्र को फोन लगाया पर उसने फोन रिसिव्ह नही किया|

ऑफिस म

ब्रम्ह रहस्य के चार महावाक्य🌸🍁🌿

महावाक्य 

एक माँ अधूरी होती है जब तक
एक किलकारी नही गूंजती है
उसके आँगन में

🙇ख़ुदा से मेरी ये फ़रियाद है,
इनसाफ की हमको दरकार है ।

🙇ज़ुल्म सदियों से हम पे हो

कभी किसी का दिल रखा 

तो कभी किसी का 
इसी कशमकश मे भूल गए 
अपन

 
बचपन कभी खत्म नही होता....बस चाहिए वो चाहत....। 
जिंदगी की परेश

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए