गौरी की तबियत ठीक होने मे 1-2 दिन लग गए|
सब उसकी तबियत पर पूरा ध्यान दे रहे थे| रुद्र भी अब अपना सारा दुख भुलाकर बस उसकी खुशी के लिए उसके साथ बिल्कुल पहले जैसा ही पेश आ रहा था| भले ही गौरी को सिद्धार्थ के साथ देखकर वो बहुत दुखी हो जाता था, पर उसने ठान लिया था की अगर गौरी की खुशी सिद्धार्थ के साथ है तो वो उसकी खुशी के लिए कुछ भी करेगा|
सिद्धार्थ तो गौरी के पास ही रुक गया था, ताकि वो उसका ध्यान रख सके|
सिद्धार्थ के दिमाग मे कुछ अलग ही चल रहा था|
उसे भी लगने लगा था कि रुद्र गौरी के लिए कुछ और ही महसूस करता है| कही वो गौरी को उससे दूर ना कर दे ये डर उसे अंदर ही अंदर खाये जा रहा था| पर वो किसी को बता नही पा रहा था|
उसे रुद्र का गौरी से मिलना, उसे फोन करना, धीरे धीरे खटकने लगा और वो इस वजह से गौरी से उखड़ा उखड़ा रहने लगा| गौरी उसे मनाने की पूरी कोशिश करती थी पर कभी कामयाब हो जाती तो कभी नहीं! सिद्धार्थ के बदलते बिहेवियर से गौरी को समझ आ रहा था की सिद्धार्थ को रुद्र से प्रॉब्लम है पर व इग्नोर कर रही थी|
दो दिन बाद गौरी ने फिर से ऑफिस जॉइन कर लिया और रुद्र ने भी! जब तक गौरी ऑफिस मे रहती थी, सिद्धार्थ का मन बेचैन ही रहता था|
सीमा जी ये सब नोटीस कर रही थी|गौरी को भी और सिद्धार्थ के बदलते बिहेवियर को भी! सीमा जी को कही ना कही लगने लगा था की गौरी रुद्र से प्यार करने लगी है और उसी के साथ ज्यादा खुश रहेगी| उन्हें लगने लगा था कि उन्होंने सिद्धार्थ से उसकी शादी तय करने मे जल्दबाजी कर दी है|
आज सुबह सुबह गौरी सिद्धार्थ और सीमा जी साथ नाश्ता कर रहे थे| पर गौरी और सिद्धार्थ ज़्यादा बात नही कर रहे थे| गौरी बात करने की कोशिश कर रही थी पर सिद्धार्थ उससे बेरुखी से बात कर रहा था| सीमा जी सब नोटीस कर रही थी|
"क्या बात है सिद्धार्थ? गौरी? कोई झगडा हुआ है क्या तुम दोनो का? कुछ दिनों से देख रही हू तुम दोनो का बिहेवियर अजीब हो गया है!
सिद्धार्थ? कोई प्रॉब्लम है बेटा?" सीमा जी ने आखिर कार पूछ ही लिया|
"ऐसी तो कोई बात नहीं है आंटी! सब ठीक है! "
सिद्धार्थ ने सच नही बताया|
तभी वहा रुद्र आ गया|
"गौरी! गौरी!" वो गौरी को आवाज देते हुए ही आया|
गौरी इस बार थोडा डर गई| उसे पता था की सिद्धार्थ शायद रुद्र को देखकर और ज्यादा नाराज हो जायेगा|
" गौरी! जल्दी चलो! तुम जानती हो ना की आज हमारी बहुत इंम्पॉर्टंट मिटींग हैं! मै तुम्हें पिक करने आया हूँ| चलो जल्दी!"
रुद्र ने एक ही दम मे कह दिया|
"सॉरी! पर तुम चले जाओ! गौरी पहले से डिसाइड कर चुकी है की आज उसे ऑफिस मै ड्रॉप करूंगा! है ना गौरी?" सिद्धार्थ ने गौरी का हाथ पकडते हुए गौरी से पूछा|
गौरीने डरकर हा बोल दिया|
" तो चले गौरी! तुम लेट हो जाओगी| तुम भी आ जाना रुद्र! तुम जानते हो ना की आज तुम्हारी बहुत इंम्पॉर्टंट मिटींग हैं?" ये ताना मारते हुए सिद्धार्थ गौरी का हाथ पकड़कर चला गया|
सिद्धार्थ के इस रवैये से रुद्र को बहुत बुरा लगा| गौरी को भी ये सब अच्छा नही लगा पर वो बिचारी कुछ कह भी नहीं पायी|
सिद्धार्थ गौरी को लेकर चला गया| बेचारा रुद्र बस देखता रह गया| सीमा जी ने आगे आकर उसके कंधे पर हाथ रखा| उससे वो होश मे आया|
" बेटा! तुम बूरा मत मानना सिद्धार्थ की बात का! उनका शायद कोई झगड़ा चल रहा है, इस वजह से वो ऐसे बिहेव कर रहा है! यू डोन्ट वरी! वो बूरा लडका नही है!" सीमा जी ने उसे समझाया|
उसने बस गर्दन हिला दी और वहा से चला गया|
पर सीमा जी किसी गहरी सोच मे थी|
आज गौरी को ऑफिस में काम ज्यादा होने की वजह से जरा देर हो गई थी| जब वो ऑफिस से वापस आ रही थी तब उसे श्रेया मिल गई| गौरी रास्ते मे ही श्रेया से बाते कर रही थी| तभी रुद्र वहा से गुजर रहा था पर उनको देखकर वो भी रुक गया और उसने भी श्रेया से ढेर सारी बाते की!
तभी वहा सिद्धार्थ आ गया और उसने गौरी रुद्र और श्रेया को साथ में बाते करते हुए देख लिया| उन्हें देखते ही सिद्धार्थ को बहुत गुस्सा आ गया| जब गौरी का ध्यान सिद्धार्थ की तरफ पडा, तो वो बहुत ही ज्यादा डर गई|उसके हाथ से उसका बैग तक छूट गया|
किसी को कुछ पता चले इससे पहले सिद्धार्थ गुस्सेमें गौरी के पास आया और गुस्सेमें ही उसका हाथ पकडकर उसे ले जाने लगा|
रुद्र उससे कुछ पूछे इससे पहले ही उसने रुद्र को इशारे से बीच मे ना पडने के लिए कहा और वो गौरी को लेकर चला गया|
"रुद्र मुझे लगता हैं तुम्हे गौरी के साथ जाना चाहिए| सिद्धार्थ बहुत गुस्सेमें लग रहा है| कही वो गौरी को कुछ......." श्रेया की आवाज मे अजीब सी घबराहट थी|
ये सुनते ही रुद्र ने भी गाडी निकाली और वो उनके पीछे चल पडा|
सीमा जी हॉल मे बैठकर गौरी का इंतजार कर रही थी| तभी सिद्धार्थ गौरी को लेकर आया|
वो गौरी को हाथ से खींचकर लेकर आया और उसने उसे गुस्से मे सोने की तरफ धकेल दिया| वो गिर ही जाती पर सीमा जी ने उसे पकड लिया|
सिद्धार्थ बहुत गुस्सेमें था|
सीमा जी को भी उसका ये रवैया देखकर बहुत गुस्सा आ गया|
"ये क्या बदतमीजी है सिद्धार्थ?
गौरी! बेटा आप ठीक तो है?" सीमा जी को गौरी की चिंता थी|
तभी वहा रुद्र भी आ गया|
" आइये! आइये! आप ही की कमी थी!
ये सब तुम ही सिखा रहे हो ना इसे?
क्यो गौरी ? मैने मना किया था ना तुम्हे उस लडकी ने मिलने के लिए? फिर क्यो? तुमने तो कहा था ना की अब तुम उससे नही मिलोगी?" सिद्धार्थ ने रुद्र से अपना रुख गौरी की तरफ मोडा|
उसने सीमा जी से उसे अलग करके उसकी बाहे पकडते हुए गुस्सेमें मे पूछा|
सिद्धार्थ का ये रुप देखकर गौरी की आँखो से पानी आ गया|
"सिद्धार्थ....सिद्धार्थ...वो....." गौरी बहुत डरी हुई थी| सिद्धार्थ ने कसकर उसका हाथ पकड रखा था जिससे उसे दर्द हो रहा था| ये बात सीमा जी की नजर में आयी| पर इससे पहले की वो कुछ करे रुद्र सामने आया|
उसने सिद्धार्थ का हाथ गौरी से दूर करते हुए कहा, " उसे दर्द हो रहा है सिद्धार्थ! तुम क्या कर रहे हो तुम्हे कुछ आयडिया भी है? आखिर तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है?"
इससे सिद्धार्थ का गुस्सा और बढ गया|
"तुम! तुम हो मेरी प्रॉब्लम!" ये कहकर सिद्धार्थ ने गुस्सेमें दिवार पर एक जोरदार घुसा मारा|
ये सुनते ही सब चौक गए| रुद्र को तो बहुत बुरा लगा|
"क्या ये गौरी शर्मा का घर हैं?" कोई आदमी दरवाजें पर खडा था|
धोती कुर्ता पहने हुए, माथे पर बडा चंदन का टीका, आँखो पर चश्मा! लगभग 60-65 की उम्र! देखने से साधारण घर का लग रहा था| बहुत थका हुआ था शायद!
उस आदमी को देखकर सब नॉर्मल हो गए|
सीमा जी आगे आयी|
" जी हाँ! ये है मेरी बेटी गौरी शर्मा! आप?"
सीमा जी ने पूछा|
गौरी ने अपने आंसू पोछे और हाथ जोडकर नमस्ते किया|
उस आदमी ने एक पल गौरी की तरफ देखा और हाथ जोडते हुए गौरी के पास आया|
उसकी आँखों में आसू जमा होने लगे थे| वो गौरी की तरफ इस तरह देख रहा था मानो उसे गौरी ने अपने जीने की उम्मीद नजर आ रही हो|
वो गौरी के पास जाकर सीधे उसके पैर पकडकर रोने लगा|
गौरी को ये सब बहुत अजीब लगा|
वो उनको संभालने लगी| सब आगे आये| उन्होंने उस आदमी को शांत करने का ट्राय किया| पर वो शांत ही नही हो रहे थे|
"प्लीज मेरी मदद करो बेटी! मेरी मदद करो! मैने बहुत ढूंढा तुम्हें! मुझे तुम्हारी मदद की बहुत जरूरत है बेटा!" वो बस लगातार यही कहते जा रहे थे|
आखिरकार गौरी नीचे उनके पास बैठ गई|
" अंकल! आप प्लीज उठीये! आपने अभी मुझे बेटी कहा ना! तो आप मेरी इतनी बात नहीं मानेंगे? आइये!" गौरी ने उन्हें सोफे पर बिठाया, पानी पिलाया और उन्हें शांत किया|
अब सब लोग बस उनसे जानना चाहते थे की वो है कौन और गौरी को कैसे जानते हैं?
"आप है कौन और आप हमे कैसे जानते है?" सीमा जी ने पूछा|
" मै आपको नही जानता और ना ही गौरी को!" उनके इस जवाब से किसी का मन नही भरा|
"तो फिर आपको मेरा नाम कैसे पता अंकल?" गौरी ने पूछा|
"मेरा नाम विश्वास भालेराव है बेटा! मै यहा से लगभग 200 किलोमीटर दूर शिवालय गाव का रहने वाला हूँ|
मै वहा के भव्य दुर्गा मंदिर का ज्येष्ठ पुजारी हू|
हमारा गाव बहुत बडे संकट मे है और तुम ही हो जो हम सब को बचा सकती हो बेटी! मेरी मदद करो! मुझे स्वयं माँ दुर्गा की आज्ञा मिली है की मै तुम्हें वहा लेकर आऊ| उन्होंने ही मेरे स्वप्न मे आकर तुम्हारा नाम बताया और यहा तक मेरा पथ प्रदर्शित किया|
मै तो घर से केवल तुम्हारा नाम साथ लेकर निकला था| किंतु जैसे ही मै निकला मुझे माता ने तुम तक पहुंचने के लिए दिव्य दृष्टी दी| कदाचित यही मेरे जीवन भर की आराधना का फल है|
तुम हम सबको मुक्त करा सकती हो इस परेशानी से और कही ना कही इस सब का जिम्मेदार मै हूँ और अब ये मेरा कर्तव्य हैं की मै अपने लोगों को बचाउ| इसलिए बेटी मै तुम्हारे आगे हाथ जोडता हू| मेरे साथ चलो!" विश्वास जी हाथ जोड़कर कह रहे हैं|
" मै? लेकिन मै आप की क्या मदद कर सकती हू और इस सब के जिम्मेदार आप हैं मतलब? मै कुछ समझी नही!" गौरी ने जिज्ञासा से पूछा|
"गौरी सही बात पूछ रही है| आप हमे पहले पूरी बात बताइये|" रुद्र ने पूछा|
"बेटे! आज से 6 महीने पहले की बात है,
कल्याणी! मेरी इकलौती बेटी, बिन मा की बच्ची! शहर से अपनी पढाई पूरी कर गाव लौटी थी|
उसके कुछ दिन बाद ही हमारे यहाँ माँ दुर्गा की भव्य पूजा का पर्व था| सारा गाव उसी की तैयारीयो मे लगा हुआ था| मेरे सारे शिष्य भी!
देखते ही देखते वो शुभ दिन आ गया| उस दिन कल्याणी भी मंदीर की सजावट मे मेरी मदद कर रही थी| मैने अपने शिष्यो को घर देवी के गहने लेने के लिए भेजा था|
तभी अचानक कल्याणी को उसके किसी दोस्त का फोन आया| उसका दोस्त शहर से आया था और वो घर पर ही रुका हुआ था| 'उसे मंदिर लाने के लिए जा रही हू' ये कहकर कल्याणी मंदिर से चली गई| मैने उससे कहा भी था की विकास उसे ले आयेगा, विकास मेरे सबसे करीबी शिष्य का नाम है, पर वो नही मानी और चली गई|
पूजन का मुहूर्त निकल गया| पर फिर भी ना ही मेरे शिष्य आये गहने लेकर और ना ही वो आयी अपने दोस्त को लेकर!
हम सब उन ही का इंतजार कर रहे थे|
तभी विकास और मेरे सारे शिष्य जखमी हालत मे मंदिर पहुंचे|
पूछने पर उन्होंने बताया की वो जब गहने ला रहे थे, तभी कल्याणी वहा अपने कुछ दोस्तों के साथ आ गई और उन्होंने सबको बहुत मारा और सारे गहने भी चोरी करके भाग गए| मुझे तो पहले विश्वास ही नही हुआ पर कुछ दिनों तक कल्याणी की कोई खबर नही आयी और एक दिन उसका एक खत मिला की ये सब उसी ने किया है और कोई उसे ढूंढने की कोशिश ना करे| तब मै पूरी तरह से टूट गया| मैने तो कभी सोचा भी नही था की मेरी बेटी ऐसा कुछ कर सकती है|" उनकी आँखे भर आयी| पर गौरी ने प्यार से उनके कंधे पर हाथ रखा|
"उस दिन जो पूजन गहनों के कारण अधूरा रह गया, उसके कारण कुछ दिनो बाद हमारे गाव मे बहुत अजीबो गरीब घटनाये होने लगी| माँ दुर्गा का कोप हुआ| जो भी मंदीर मे जाता उसकी मौत हो जाती! इसके कारण हमे मंदिर बंद करना पडा| लेकिन उसके बाद भी ये सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा| हमारे लोग बेमौत मारे जा रहे हैं|"
"सिर्फ गहने ना होने की वजह से देेवी का कोप? ये बात कुछ समझ नही आयी|" सिद्धार्थ ने पूछा|
"वो केवल गहने नही है बेटा! वो आशीर्वाद है देवी माँ का!
कहा जाता है की पहले भी हमारे गाव मे इसी तरह की कोई आपत्ती आयी थी| तब मेरे परदादा जी ने बहुत बडे यज्ञ का आयोजन किया था गाव की विपदाओ को हरने के लिए!
उसी दिन उनको नदी मे स्नान करते समय ये गहने मिले थे| वो गहने मिलने के बाद मेरे परदादा ने वो गहने देवी को अर्पण किये| उन गहनो मे माँ दुर्गा का एक बहुत ही दिव्य त्रिशूल है| उसी त्रिशूल के कारण हमारा गाव हर विपदा से बचा रहता है| बाकी गहने ना सही पर वो त्रिशूल मिलना बहुत जरूरी है और उसमे सिर्फ तुम मेरी मदद कर सकती हो बेटी!" वो गौरी की तरफ देखकर कहने लगे|
"लेकिन मै आपकी मदद कैसे कर सकती हू?"
"आप बस मेरे साथ चलिये बेटा! आगे का रास्ता स्वयं माता दिखायेंगी हमें! पर उसके लिए आपको मेरे साथ मेरे गाँव चलना होगा बेटा!" विश्वास जी की इस बात पर सब चिंता मे पड गए|
उन सबके चेहरे देखकर विश्वास जी को उनके दिल की बात पता चल गई|
"देखिये! ना मत कहियेगा बेटा! कई लोगों की जिंदगी का सवाल है| मै आपके आगे हाथ जोडता हू, आपके पैर पडता हू!" ये कहकर वो गौरी के पैरो मे पडकर रोने लगे|
गौरी ने उन्हे उठाया और कहा की वो जरूर उनकी मदद करेगी| पर सिद्धार्थ गौरी के इस फैसले से खुश नहीं था|
रुद्र और सीमा जी उससे खुश तो थे पर कही ना कही उन्हे चिंता इस बात की थी कि वो आदमी कही कोई नाटक तो नही कर रहा|
विश्वास जी ने गौरी को अपना पता दिया और कहा की उनके पास समय कम है इसलिए वो जल्दी वहा आ जाये| उनका धन्यवाद कर वो वहा से चले गए|
पर सिद्धार्थ गौरी से बिना बात किये गुस्सेमें अपने कमरे मे चला गया|
उसके जाने के बाद सीमा जी और गौरी ने रुद्र को बहुत समझाया और घर भेज दिया|
रात को गौरी सिद्धार्थ के कमरे मे उसे समझाने गई पर उसका और सिद्धार्थ का बहुत झगड़ा हो गया| वो बिल्कुल नही चाहता था की गौरी वहा जाये| पर गौरी जाना चाहती थी| इस बार गौरी के समझाने का उसपर कोई असर नही हो रहा था इस वजह से इस बार गौरी को भी गुस्सा आ गया और वो भी उससे लड पडी|
वो गुस्से मे सिद्धार्थ के कमरे से बाहर आ गई|
उनका ये झगडा सीमा जी ने सुन लिया और अब उन्हें गौरी की बहुत चिंता होने लगी| उन्हें अचानक सिद्धार्थ और गौरी के रिश्ते के भविष्य की चिंता होने लगी|
गौरी ने सिद्धार्थ से झगड़ा तो कर लिया| पर वो अपने कमरे मे जाकर रात भर रोयी और खाना भी नहीं खाया|
रुद्र तो गौरी से दूर होकर बेहाल था ही! पर सिद्धार्थ का भी अपने कमरे मे कुछ ऐसा ही हाल था|
शिवजी ने तीनो जिंदगीयों को एक ही डोर से बांध दिया था|