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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 10)

18 अक्टूबर 2021

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गौरी ने कई बार रुद्र को फोन लगाया पर उसने फोन रिसिव्ह नही किया|

ऑफिस मे भी वो नहीं आया| काम करते वक्त गौरी की नजर बार बार रुद्र के केबिन की तरफ जा रही थी और रुद्र की खाली कुर्सी देखकर वो उदास हो जाती|

विवेक जी ने भी अपनी पीए को फोन करके कह दिया था की वो आज ऑफिस नही आयेंगे|


गौरी को ये सब बहुत अजीब लग रहा था|


रुद्र ने दिनभर उसका फोन नहीं उठाया और ना ही उसे फोन किया|


जबसे गौरी रुद्र से मिली थी ऐसा पहली बार हुआ था कि रुद्र ने दिनभर मे उसे एक भी फोन ना किया हो|



अब उसने ठान ली की वो शाम को ऑफिस का काम खत्म होते ही पहले सिंघानिया मँशन जायेगी|


ऑफिस का काम खत्म कर वो हडबडी में बाहर आयी|  उसे जल्द से जल्द रुद्र के पास जाना था|


पर जैसे ही वो पार्किंग मे आयी सिद्धार्थ उसका वहा इंतजार कर रहा था|


गौरी : सिद्धार्थ आप यहाँ? 

सिद्धार्थ : अपनी बिवी को लेने आया हूँ!

गौरी : आहा? बिवी?  बिवी नही मिस्टर! होने वाली बिवी कहिये!

सिद्धार्थ : हा बाबा हा! होने वाली बिवी! अब तो ठीक है?

गौरी ने हसते हुए बस गर्दन हिला दी|


सिद्धार्थ : तो चले मेरी होने वाली बिवी? आपका ये होनेवाला पती आपको बाहर एक रामँटीक डिनर पर ले जाना  चाहता है!

सिद्धार्थ की ये बात सुनकर गौरी जरा हडबडा गई| क्योंकि उसे रुद्र से मिलना था|

" सिद्धार्थ! डिनर? अब? इस वक्त?" गौरी जरा नाराजी से बोली|


"जी हाँ!  आय थिंक डिनर रात के वक्त ही किया जाता है|दिन के समय नही और अभी रात ही है ना!" सिद्धार्थ गौरी को चिढाने के लिए बोला|


"तुम भी ना गौरी! कैसी बाते कर रही हो? और हा...अब प्लीज कोई बहाना मत देना! एक तो हमे साथ मे ज्यादा समय नही मिल पाता| बहुत मुश्किल से और अपने सारे जरुरी काम छोडकर सिर्फ तुम्हारे लिए मै पुणे से मुंबई  आया हूँ| क्यों? क्योंकि मै तुमसे प्यार करता हू| तुम्हारे साथ वक्त बिताना चाहता हूँ|"

सिद्धार्थ बहुत ही इमोशनल होकर कह रहा था| उसकी सारी बाते सुनकर गौरी भी इमोशनल हो गई|

"गौरी! मै तुम्हें कैसे समझाऊ? मै तुम्हारे बिना बिल्कुल नही रह सकता! मै तुम्हें कैसे बताउ? मै बता नही सकता कि इतने दिन मै तुमसे दूर कैसे रहा हूँ!
अपनी लाइफ मे मै बहुत कुछ खो चुका हूँ और अब मै तुम्हें नही खोना चाहता|
अगर मैने तुम्हें खो दिया ना, तो मै जी नहीं पाउंगा गौरी! मै जी नही पाउंगा!" सिद्धार्थ गौरी की बाहे पकडकर उसकी आँखों मे आखे डालकर कह रहा था| उसकी आँखों मे पानी था|
गौरी को सिद्धार्थ की आँखों में सच्चाई दिखाई दे रही थी|

सिद्धार्थ का ये रुप देखकर गौरी भी सुन हो गई थी|


उसने धीरे से सिद्धार्थ के आँसू पोछे|

ये देखकर सिद्धार्थ ने उसे कसकर गले लगा लिया और रोने लगा|


"तुम कभी मुझे छोड़कर मत जाना गौरी! कभी नहीं! वरना मै जी नहीं पाउंगा!" वो रोते हुए कहने लगा|


आज जब सिद्धार्थ गौरी गले लगाया तो जिस पल को उसे महसूस करना चाहिए था, वो नही कर पा रही थी| इसकी वजह कही ना कही रुद्र था|


सिद्धार्थ ने अगले ही पल उसे खुदसे दूर किया और अपने आँसू पोछते हुए कहने लगा|

" मै भी ना! कितना पागल हू! पता नही क्या क्या सोच रहा हूँ! तुम भला मुझे क्यो छोडकर जाओगी!

तुम ना बिल्कुल चिंता मत करो| मैने सीमा आंटी से परमिशन ले ली है| अब जल्दी चलो!  हमे आज रात का डिनर करना है, कल सुबह का ब्रेकफास्ट नही|"

गौरी का मन रुद्र की तरफ था| पर वो सिद्धार्थ की खुशी के लिए उसके साथ चली गई|


















अब एक महीना हो गया था| रुद्र ने गौरी से कोई कॉन्टैक्ट नही किया था और ना ही वो ऑफिस आया था|
इस बिच जब भी गौरी विवेक जी से रुद्र के बारे में पूछने की कोशिश करती, विवेक जी कोई ना कोई बहाना करके रुद्र का ज़िक्र टाल देते| सिद्धार्थ रोज उसे ऑफिस ड्रॉप करने पिक करने आ जाता था और साथ ही गुलमोहर प्रोजेक्ट का काम भी जोरो से शुरू होने के कारण उसे वक्त ही नहीं मिल पा रहा था सिंघानिया मँशन जाने का!इस वजह से गौरी आजकल बहुत उदास रहने लगी थी|

इस एक महीने मे सिद्धार्थ ने गौरी के हर एक ख्वाब को हकीकत बनाने मे जी जान लगा दी थी|  कभी कँडल लाइट डिनर, कभी मुवी, तो कभी बाहर घुमना, गौरी की हर पसंदीदा चीज गौरी के बिना मांगे ही उसे मिलने लगी थी|

सीमा जी भी सिद्धार्थ से खुश रहने लगी थी| क्योंकि वो अपना पूरा ध्यान बस गौरी को खुश करने मे लगा रहा था| उसकी एक हल्की सी स्माइल देखने के लिए वो अपनी जान लगा देता था|



पर गौरी इतना सब होने के बावजूद खुश नही लग रही थी|
सिद्धार्थ गौरी को अपना पूरा वक्त दे रहा था| पर ये पहली बार हो रहा था की सिद्धार्थ के साथ होते हुए भी वो बस रुद्र की चिंता करती रहती थी| उसका किसी चीज मे मन नही लग रहा था| सिद्धार्थ तो बस गौरी के साथ से ही खुश था|

पर सीमा जी को पता लग गया था कि किसी ना किसी वजह से गौरी बहुत ही ज्यादा परेशान है और उन्होंने नोटीस भी किया था की बहुत दिन से रुद्र गौरी से ना ही मिलने आया था और ना ही उसे फोन कर रहा था| वरना गौरी दिन भर उसी से फोन पर बात करती रहती थी|
इन सब वजहो से सीमा जी के जहन मे भी वही शक घर करने लगा| जो शालिनी जी को रुद्र के बारे मे पहले था|

वो समझने लगी थी की गौरी सिद्धार्थ के साथ खुश नहीं रह पा रही थी| इस वजह से वो गौरी की चिंता मे थी|





2-3 दिन से बहुत बारिश हो रही थी| आज रात तो बारिश ज्यादा ही बढ गई थी| इस वजह से सिद्धार्थ ने भी कही बाहर ना जाना सही समझा| वो भी घर पर ही रुक गया और गौरी को फोन करके बता दिया कि वो आज उससे मिलने नही आ पायेगा| 
आज रात गौरी को बहुत मुश्किल लग रही थी और आज सिद्धार्थ भी नहीं था| आज उसे रुद्र की बहुत ही ज्यादा याद आ रही थी| उसे बहुत रोना आ रहा था और  रुद्र के साथ बिताया हर एक पल याद आ रहा था| वो जाकर उसी वक्त रुद्र से मिलना चाहती थी पर रात बहुत हो चुकी थी| आखिर उसने मन बना लिया और उसने आज ठान लिया था की चाहे कुछ भी हो जाये, आज उसे जाकर रुद्र से मिलना ही है और वो निकल पडी|

उसने अपनी स्कुटी निकाली और बारिश मे ही निकल पडी| सीमा जी को जब स्कुटी की आवाज़ आयी तो उन्होंने खिड़की से बाहर झाँक कर देखा, उन्हें गौरी स्कुटी पर जाती दिखाई दी| उन्होंने उसे आवाज भी लगाई पर गौरी को सुनाई नही पडी|


गौरी को इतनी रात गए तेज बारिश मे कही जाता देख कर सीमा जी डर गई| गौरी कभी उन्हें बिना बताये बाहर नही गई थी| वो भी अपने कमरे से बाहर आयी|










इधर सिंघानिया मँशन मे,

विवेक जी और शालिनी जी अपने कमरे की खिड़की पर बाते करते हुए बारिश देख रहे थे|

विवेक : रुद्र ने खाना खा लिया शालिनी जी?

शालिनी : जी! मैने उसे खाना खाकर सुला दिया है| लेकिन ऐसा कितने दिनो तक चलेगा विवेक जी? हर रोज मै उसे अपनी कसम देकर, तो कभी आपकी कसम देकर जबरदस्ती खाना खिलाती हू| ये सिलसिला कब खत्म होगा विवेक जी?

ये कहकर वो रोने लगी|


विवेक जी ने उनके कंधे पर हाथ रखकर उन्हें दिलासा दिया| पर वो भी अपने आँसू रोक ना पाये|

विवेक: सब ठीक हो जाएगा शालिनी जी! आप मत रोइये!


शालिनी : मैने कभी नहीं सोचा था विवेक जी की मेरा हँसता खेलता रुद्र ऐसा बन जायेगा|  दिनभर बस अपने कमरे में खुद को बंद करके रखता है, या तो खुद से बाते करते रहता है, या तो दिनभर अपनी ही धून मे मगन होकर गाने गाता रहता है| दिन हो या रात! उस कमरे मे बैठकर गौरी की अनगिनत पेंटिंग्स बना चुका है वो इस एक महीने के अंदर!



विवेक : मुझे भी समझ नहीं आता की मै क्या करू शालिनी जी की जिससे मुझे मेरा पहले वाला रुद्र वापस मिल जाये? 
और गौरी! उसकी हालत भी मुझसे देखी नही जाती| रुद्र के ऐसे बिहेव से वो भी खुश नहीं है|  इस सब मे उस बच्ची की कोई गलती ना होते हुए भी उसे ये सब भुगतना पड रहा है|

उसके सवालो के जवाब देना मै कितने दिनों तक टाल सकता हूँ अब? उसे रुद्र से दूर रखना मुश्किल हो रहा है मेरे लिए शालिनी जीट


शालिनी : मै सब समझती हू विवेक जी पर हमे उसे रुद्र से दूर रखना होगा| ये उसी के लिए सही है| मेरे लिए उसकी खुशी बहुत मायने रखती है और मै नहीं चाहती को उसकी खुशीयों को किसी की नजर लगे| भले ही वो रुद्र क्यो ना हो!

शालिनी जी की ये बात सुनकर विवेक जी ने उन्हें झट् से गले लगा लिया|








उधर....
रुद्र सो रहा था| पर उसे एक अजीब सपना आया|
उसने सपने में  गौरी को देखा|

वो एक सुंदर पहाडी पर खड़ी थी| जिस पर शिवजी का भव्य मंदीर था|
उस पहाडी के नीचे बहुत ही गहरी खाई थी और उसी पहाडी के किनारे पर गौरी खडी थी|
राजसी सफेद पोशाक, खुले लंबे बाल, माथे पर नाजुक सा रत्नजडीत मुकुट! वो खाई की ओर चेहरा करके खडी थी|


जब उसने सामने की तरफ चेहरा किया तब उसके माथे पर चोट लगी दिखाई पडी| उसके मुंह से खून निकल रहा था और उसके पेट से भी! शायद किसी ने उसके उपर कई वार किए थे|


उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे, पर वो मुस्करा रही थी|


" मैने कहा था ना तुमसे! मै मरते दम तक सिर्फ तुम्हारी ही बनकर रहूंगी| मुझपर सिर्फ तुम्हारा हक
है| यू तो मेरा हाथ मत छोडो! तुम मुझे इस तरह अकेला छोडकर नही जा सकते! आह्ह्ह.....!"

उसे शायद दर्द हो रहा था| उसने अपना एक हाथ अपने पेट पर लगी चोट पर रखा| उसमे से बहुत खून बह रहा थाऔर उसने अपना दूसरा हाथ आगे बढाया|


" मुझे खुद से दूर मत करो! थाम लो मेरा हाथ! थाम लो! थाम लो!" उसने अपने शरीर मे बची कुची सारी ताकत लगाकर कहा|

अचनाक उसकी आँखे बंद होने लगी और वो बेहोश होकर गिर पडी| बेहोश होते ही वो सीधे खाई मे गिर गई और इसी के साथ रुद्र की नींद खुल गई|
वो जोर से चिल्ला पडा|

"गौरी!"...
जब वो उठा तो पसीने से पूरी तरह तर बदर हो चुका था|

उसने खुद को संभाला, पसीना पोछा और शांत हुआ|


वो बेड से उठा और खिड़की के पास जाकर खडा हो गय बहुत बारिश हो रही थी| उसने अपनी गिटार उठायी और खिड़की पर ही बैठकर गाना गाने लगा|


उसी बीच गौरी वहा आ गई|
विवेक और शालिनी जी ने उसे खिड़की से देख लिया था|उसने पार्किंग मे गाडी पार्क कर दी और चलकर दरवाजे तक आयी| वो बेल बजाये इससे पहले ही विवेक और शालिनी जी ने जाकर दरवाजा खोला|

गौरी पूरी तरह भीग चुकी थी| उसे ठंड भी लग रही थी|


शालिनी : गौरी! बेटा आप? इतनी रात गए यहाँ? वो भी इतनी बारिश मे? 


गौरी : आंटी! मुझे रुद्र से मिलना है|

उसकी आँखों मे अजीब सी तडप थी| पर विवेक जी नही चाहते थे कि गौरी रुद्र से मिले|

विवेक : वो सब तो ठीक है बेटा! पर रुद्र अभी सो रहा है|अगर कोई ज़रूरी बात है तो आप मुझे बता दिजीये| मै उसे कह दूंगा कल सुबह! आप अभी घर चली जाइये|



गौरी : अंकल! क्या बात है? आज क्या हुआ है? बताइये मुझे!

शालिनी : कुछ भी तो नहीं हुआ है बेटा! आपको ऐसा क्यों लग रहा है? अभी रात बहुत हो चुकी है! आप घर जाइये और आराम करीए!


गौरी : अगर कुछ नहीं हुआ है तो आप लोग मुझे रुद्र से क्यों नहीं मिलने दे रहे हो? मै पिछले एक महीने से देख रही हू, ना तो रुद्र ने मुझसे बात की है, ना मेरा फोन उठाया है और ना ही मुझे नजर आये हैं वो! कुछ बहुत बडी बात तो जरूर हुई है वरना ऐसा तो कभी नहीं होता के रुद्र मुझसे बात ना करते| सच बताइये प्लीज! रुद्र ठीक तो है ना? 


विवेक : उसकी तबियत खराब है बेटा बस और कोई बात नहीं है|


गौरी : मान लेते है की वो बीमार हैं| पर आप? आपका क्या? 

जो लोग थोडीसी भी धूप हुई तो मुझे धूप उतरने तक घरसे बाहर नही निकलने देते थे, वो आज इतनी रात को, इतनी तेज बारीश मे मुझे कह रहे हैं की घर चली जाओ! ताकि मै रुद्र से मिल ना सकू!

गौरी की इस बात पर विवेक और शालिनी जी के पास कोई जवाब नहीं था|


शालिनी: ऐसा नहीं है बेटा! रुद्र की तबियत खराब है इस वजह से हम  कह रहे थे की उससे कल मिल लेना|

चले विवेक जी?

ये कहकर शालिनी जी ने दरवाजा बंद कर लिया| गौरी का तो दिल ही टूट गया|

पर उसने हार नही मानी| 
वो जोर से चिल्लायी, "आप भले ही मुझसे कितना ही छूपा लिजीये,  पर मै यहा से तब तक नहीं जाउँगी जब तक रुद्र से ना मिल लू|" वो रोते हुए बोली|

बहुत तेज बारिश हो रही थी और वो बारिश मे ही रोते रोते बैठ गई|

शालिनी जी ने दरवाजा तो बंद कर लिया था पर अंदर वो  रो रही थी| पर विवेक जी ने उन्हें समझाया की गौरी थोडी ही देर मे थक कर चली जायेगी और वो उन्हें कमरे मे ले गए|



गौरी बाहर रोते हुए बैठ गई थी|


तभी उसे रुद्र के गाने की आवाज सुनाई पडी|

' पूछे निगाहे मेरी.... है कहा राहे तेरी..... 
जाने क्यू ना जाने तू..... तनहा है बाहे मेरी..... 

पूछे निगाहे मेरी.... है कहा राहे तेरी..... 
जाने क्यू ना जाने तू..... तनहा है बाहे मेरी..... 

नींदो बिन....रात भी गुजारी है..... 

जो उतरे ना.... तेरी ही तो खुमारी है..... 

मुश्किल है... भुलाना.... हू तेरा दिवाना..... 

दिवाना तेरा.... तुझे ही बुलाये..... 

ये मर्ज़ी तेरी.... तू आये ना आये.... 

दिवाना तेरा.... तुझे ही बुलाये..... 

ये मर्ज़ी तेरी.... तू आये ना आये.... "

   
गौरी रुद्र की आवाज सुनकर बाहर लॉन मे आयी|

वो रुद्र के कमरे की खिड़की के पास आकर सब सुन रही थी|

रुद्र के गाने से उसकी आँखों मे पानी आ गया और उसे रुद्र के दिल की हालत थोडी बहुत समझ में आने लगी|



" ये.... ये सब? कही मेरा शक सही तो नही है? कही रुद्र मुझसे?"
गौरी ये सब सोचने लगी|

रुद्र रोते हुए गा रहा था|



"दिल मे जो अरमान जागे.... तेरे ही पीछे भागे.... 
रुकना है तुझपे अब तो.... जाना नही है आगे.... 


सूरत ये.... यू आँखों मे  उतारी है.... 
मैने तो.... भुलाई दुनिया सारी है... 

है तुझको बताना..... हू तेरा.. दिवाना.... 


दिवाना तेरा.... तुझे ही बुलाये..... 

ये मर्ज़ी तेरी.... तू आये ना आये.... 

दिवाना तेरा.... तुझे ही बुलाये..... 

ये मर्ज़ी तेरी.... तू आये ना आये.... '

रुद्र के गाने को सुनकर गौरी को बहुत रोना आ रहा था| 


रुद्र ने गाना खतम करते ही उसका ध्यान नीचे खडी गौरी पर गया|

गौरी ने उसे देखकर हाथ हिलाया|


पर गौरी को देखते ही रुद्र को बहुत गुस्सा आया| उसने जोर से सामने की दीवार पर पंच मारा|


" क्या करू मै? क्या करू? क्यों हर जगह मुझे बस तुम ही दिखाई देती हो? क्यों? तुम अब मेरी नही हो, किसी और की हो! अब तो तुम्हारे खयाल भी बहुत तकलीफ देते है मुझे! चली जाओ मेरे खयालो से! चली जाओ!"
अपने आप से ही बात करके उसने गुस्सेमें खिडकी बंद कर ली|

उसे लग रहा था की वो बस उसकी कल्पना है|


गौरी को कुछ सुनाई तो नहीं दिया पर रुद्र का गुस्सा देखकर उसे पता चल गया की शायद वो उससे बात नहीं करना चाहता|

पर उसने भी ठान ली की वो रुद्र से मिले बिना कही नही जायेगी और वो वही रुद्र के खिडकी के बाहर खडी रही|


अंदर रुद्र रोते रोते नीचे जमीन पर ही सो गयाट


















अगले दिन..... 

विवेक जी को सुबह सुबह सीमा जी का फोन आया|
वो सिद्धार्थ के साथ थी| इतनी बारिश मे वो दोनो गौरी को ढूँढ रहे थे| सीमा जी ने उन्हें बताया की गौरी रात भर घर नही आयी| ये सुनकर उनके होश उड गए|
उन्हें लगा कि कही गौरी के साथ कुछ हुआ तो नही!  उन्होने सीमा जी से कहा की वो सिंघानिया मँशन आ जाये, वहाँ से वो कुछ करेंगे| सिद्धार्थ ने उनके कहते ही गाडी सिंघानिया मँशन की तरफ घुमाई|

विवेक जी ने ऑफिस के कई लोगों को फोन लगाया की कही गौरी उनके पास तो नहीं, पर गौरी का कही पता नही चला|






इधर शालिनी जी सुबह सुबह रुद्र के कमरे में चाय लेकर आयी|
उन्होंने देखा तो रुद्र नीचे जमीन पर ही सो गया था|
उन्होंने उसे प्यार से जगाया|
रुद्र जागते ही खिडकी खोलने जाने लगा पर शालिनी जी ने ये कहकर उसे रोक लिया की बाहर बारिश अब भी थमी नही है रुम मे पानी आ जायेगा|

उन्होंने रुद्र को सोफे पर बिठाया और चाय दी|

"ये लिजीए बेटा! ये ममा स्पेशल अदरक वाली चाय! आपको पसंद है ना!" शालिनी जी ने हसते हुए चाय का कप रुद्र के हाथ मे रखा|


"थँक्स माँ!" रुद्र ने कहा|


"रुद्र बेटा! मुझे आपसे कुछ बात भी करनी थी|" शालिनी जी ने धीरे से पूछा|


" बोलिये ना माँ!" 


" बेटा! मै जानती हूँ इस वक्त आप पर क्या बीत रही है|  मै समझ सकती हूँ| पर आपको क्या लगता है? इसमे गौरी की कोई गलती है?" शालिनी जी की बात सुनते ही रुद्र ने चौंक कर उनकी तरफ देखा|


" ये आप क्या कह रहे हो माँ? आप भी जानती है और मै भी जानता हूँ की इसमे उसकी कोई गलती नहीं है|"


" तो फिर उसको किस गलती की सजा दे रहे हो आप? आप जानते हो? विवेक जी को रोज आपके बारे मे पूछती है  वो और हमे ही समझ नहीं आता की हम उसे क्या जवाब दे! वो बेचारी बच्ची तो यो समझी थी की वो आपको अपनी खुशीयों का हिस्सेदार बनायेगी! पर...... 


बेटा! अगर आप उससे प्यार करते हो ना तो प्लीज उसके लिए सब भूल जाइये! प्यार लेने का नहीं देने का नाम होता है बेटा और जिस प्यार मे एक्सपेक्टेशन्स नही होती ना की सामने वाला भी हमे उतना ही प्यार करे जितना हम करते है उसे कहते है सच्चा प्यार! इसीलिए मुझे लगता है कि तुम्हें जाकर उससे मिलना चाहिए!" शालिनी जी इमोशनल होकर रुद्र से कह रही थी|

रुद्र को भी उनकी बात समझ आ गई|



तभी विवेक जी वहा आये| वो थोडा पँनिक लग रहे थे|


" शालिनी जी मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है| जरा मेरे साथ आईये|" विवेक जी ने कहा|



" क्या हुआ पापा?सब ठीक तो है ना?" रुद्र को कुछ अजीब लगा|


" सब ठीक है बेटा| शालिनी जी आप आइये ना!"



" रुद्र बेटा! आप फ्रेश हो जाइये और नाश्ते के लिए नीचे आ जाइये|"


इतना कहकर वो विवेक जी के साथ चली गई|



विवेक जी शालिनी जी को हॉल मे लेकर आये| उन्होंने ने उनको सारी बात बतायी| शालिनी जी भी बहुत डर गई|

तब तक सीमा जी और सिद्धार्थ भी वहा आ गए|

सिद्धार्थ की हालत तो बहुत खराब थी| वो गौरी को लेकर बहुत परेशान था|




सीमा जी को तो बहुत रोना आ रहा था|शालिनी जी ने उन्हें संभाला|


विवेक :  सिद्धार्थ, सीमा जी! आप बिल्कुल चिंता मत करीए हम सब मिलकर उसे ढूंढते है! मिल जायेगी वो! कल रात को वो यहा आयी थी पर हमे लगा की वो घर पहुंच गई होगी!



सीमा :  क्या? गौरी यहा आयी थी?


शालिनी : हा सीमा जी! वो.... वो दरअसल कल रात रुद्र से मिलने आयी थी|


सिद्धार्थ : क्या? रुद्र से मिलने? वो भी रात को? इतनी बारिश मे गौरी रुद्र से मिलने क्यो आयी थी?
सिद्धार्थ को बहुत चिंता होने लगी|



अचानक शालिनी जी को गौरी का कहा याद आया| उसने कहा था कि जब तक वो रुद्र से नही मिल लेती, वो कही नही जायेगी|


" विवेक जी कही गौरी?"
शालिनी जी ने सहमा हुई आवाज मे विवेक जी से कहा| 


विवेक जी को समझ मे आ गया की वो क्या कहना चाहती है और वो भी डर गए|


तभी राघू चाचा वहा भागते हुए आये|

" मालकिन! गौरी बिटिया की गाडी तो यही है| मै अभी देखकर आ रहा हूँ|" राघू चाचा की ये बात सुनकर उनका शक यकीन मे बदल गया|

उसी के साथ दोनो बाहर भागे|



सिद्धार्थ :  क्या हुआ अंकल? कोई मुझे कुछ बतायेगा? 

उनके पीछे पीछे सीमा जी और सिद्धार्थ भी बाहर भागे|

वो लोग बारिश मे गौरी को बाहर हर जगह ढुंढने लगे|

विवेक : सिद्धार्थ! गौरी यही कही होगी! ढूंढो उसे!

वो सब लोग उसे बाहर लॉन मे सब जगह ढूंढ रहे थे| 

अचानक सीमा जी रुक गई| उन्हे समझ आ गया की गौरी हो ना हो रुद्र से मिलने ही वहा आयी होगी और वो रुद्र के कमरे मे की तरफ दौडी|

जब वो वहाँ आयी, वहाँ गौरी खडी थी| रुद्र के कमरे के तरफ देख रही थी| 

पूरी तरह से भीगी हुई, थंड से काप रही थी|


सीमा जी भागकर उसके पास गई| उसे गले से लगाया|


" गौरी! गौरी! मेरी बच्ची! 


सिद्धार्थ! विवेक जी! शालिनी जी! " सीमा जी की आवाज सुनकर सब उसकी तरफ भागे|

गौरी सीमा जी की किसी बात पर ध्यान नहीं दे रही थी|
वो बस रुद्र के कमरे की बंद खिडकी की ओर देखे जा रही थी|


तब तक वहा सभी आ गए|

" मेरा बच्ची! गौरी बेटा! आप यहा क्या कर रही है? गौरी! गौरी मै आपसे बात कर रही हू! मेरे तरफ देखिए बच्चे! चलो यहा से!" सीमा जी रोते हुए कह रही थी|

" मै कही नही जाउंगी ममा! जब तक मै रुद्र से मिल नही लेती, तब तक मै कही नही जाउंगी|" गौरी की आवाज 
भी ठंड की वजह से कपकपा रही थी| पर वो अब भी उसी बात पर अडी हुई थी|





अंदर रुद्र फ्रेश होकर बाहर आया| उसका ध्यान तैयार होते वक्त अचानक खिडकी की तरफ गया| उसे याद आया की कल रात को उसे खिडकी के बाहर गौरी दिखाई दे रही थी|




बाहर सब गौरी को समझा रहे थे| पर गौरी मानने को तैयार नहीं थी|

शालिनी : गौरी! ये कैसी जिद है? आप पहले अंदर चलीए! आपको ठंड लग जायेगी|


सिद्धार्थ उसके पास गया|  उसका हाथ पकडा|

सिद्धार्थ : गौरी! ये सब क्या हो रहा है? प्लीज मुझे बताओ|


गौरी : मुझे बस रुद्र से मिलना है सिद्धार्थ! आप पहले उन्हे बुलाकर लाइये| जब तक वो मुझसे मिलने नही आते, तब तक मै इस जगह से हिलूंगी भी नहीं!
 प्लीज आप लोग बेवजह मुझे समझाने मे वक्त जाया मत करीए| इससे अच्छा ये होगा की आप रुद्र को बाहर बुलाये|

गौरी ये सब बस रुद्र की खिड़की की तरफ देखकर ही कह रही थी|



तभी अचानक रुद्र ने खिडकी खोली|


रुद्र की खिड़की खुलते ही गौरी के चेहरे पर एक उम्मीद छा गई|


रुद्र ने जैसे ही खिडकी खोलकर देखा, उसे वहा गौरी दिखाई पडी और उसके साथ सब लोग भी थे|



रुद्र को जरा भी समय नही लगा ये पहचानने मे की कल रात को उसने गौरी को सच मे देखा था और कल रात वाले ही कपडे गौरी ने पहने थे| तो उसे पता लग गया की वो रात भर शायद इतनी तेज बारिश मे वही खडी थी|

गौरी को देखते ही उसकी आँखों मे पानी आ गया|

वो जरा भी देरी ना करते हुए भागकर बाहर आया| जैसे ही वो लॉन मे आया, अपने शरीर की बची कुची सारी ताकत जुटाकर सिद्धार्थ का हाथ छोडकर गौरी उसकी तरफ दौडी|

वो भागकर रुद्र से लिपट कर रोने लगी| रुद्र भी रो रहा था|



"आपने ऐसा क्यो किया रूद्र? हा? बताइये? आपने ऐसा क्यो किया?" गौरी रोते हुए उसे मारने लगी|
दोनो रो रहे थे|
रुद्र ने उसके दोनो हाथ पकडे और उसे कसकर गले लगा लिया|

" मुझे माफ कर दो गौरी! मुझे माफ कर दो| मै सेल्फिश हो गया था| लेकिन आय प्रॉमिस गौरी! मै अब तुम्हें कभी खुदसे दूर नहीं करूंगा|" 
 वो दोनो बहुत रोने लगे|

सब लोग भी उन्हें इस तरह देखकर रोने लगे|
सिद्धार्थ को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था| वो बस दूर से ये सब देख रहा था|



"अगर आपने आगे से ऐसा किया ना तो देखना! मै इस बार सिर्फ बारिश मे खडी थी, लेकिन अगली बार पहाडी से कुद जाउंगी!" गौरी की आवाज अचानक बहुत धीमी हो गई|



"ऐसा मत कहो गौरी! मै अब कभी ऐसा नही करूंगा!"

पर गौरी ने कोई जवाब नही दिया| अचानक उसने अपना सारा शरीर रुद्र पर छोड दिया| रुद्र को कुछ अजीब लगने लगा|


" गौरी! गौरी?" उसने आवाज़ दी पर गौरी ने कोई जवाब नहीं दिया| उसने गौरी का चेहरा अपनी तरफ किया तो गौरी बेहोश हो गई थी| 


" गौरी!" रुद्र जोर से चिल्लाया| वो गौरी को उठाने लगा पर वो उठ नही रही थी|

गौरी को बेहोश हुआ देखकर सब उनके पास आये|

गौरी को रुद्र की बाहो मे देखकर सिद्धार्थ को अच्छा नही लग रहा था| पर वो कुछ कर नहीं सकता था

" माँ देखो ना गौरी को क्या हो गया?" रुद्र रोते हुए शालिनी जी से कहने लगा| उसने गौरी को अपने एक हाथ से पकड रखा था और दूसरे हाथ से उसे उठाने की कोशिश कर रहा था|


"रुद्र इसे पहले अंदर लेकर चलो|" विवेक जी ने रुद्र से कहा|



रुद्र ने रोते रोते गौरी को उठाया और अंदर लेकर गया| उसकी गौरी के लिए तडप सीमा जी की नजरों से छिप नही पायी|


सिद्धार्थ को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया था की उसकी होने वाली पत्नी किसी और की बाहो मे थी|
पर उसने दिखाया नही|



रुद्र गौरी को अपने कमरे मे लेकर आया| उसने उसे बेड पर सुलाया| उसके पीछे पीछे सब उसके कमरे मे आये|

रुद्र उसके हाथ और पैर मलने लगा|
सब उसके पास बैठ गए|
सब रुद्र को ही देख रहे थे|


वो जोर से चिल्लाया, "अरे कोई डॉक्टर को फोन करो|"


उसके कहते ही विवेक जी ने डॉक्टर को फोन लगाया| सब उसके पास ही थे|  सिद्धार्थ गौरी के पास जाकर बैठ गया| उसके हाथ मलने लगा| उसने उसके माथे पर हाथ लगाया|


" हे भगवान! इसका तो बदन आग की तरह तप रहा है|" सीमा जी ने जाकर चेक किया|
उसे सच मे बहुत तेज बुखार था|


सीमा जी तो रोने लगी| सिद्धार्थ ने उन्हे समझाया|


जब डॉक्टर आयी तो उन्होंने गौरी को चेक किया और कह दिया की शायद वो रात भर बारिश मे भीगी है|
उन्होंने सब को बाहर जाने के लिए कह कर सीमा जी और शालिनी जी को गौरी के कपडे बदलने के लिए कहा|



रुद्र सिद्धार्थ और रुद्र बाहर इंतज़ार करने लगे|




थोडी देर बाद डॉक्टर, सीमा जी और शालिनी जी के साथ बाहर आयी|

उन्होंने बताया की गौरी ठीक है और उन्होंने जो इंजेक्शन दिया है उससे उसका बुखार भी उतर जायेगा और जल्द ही उसे होश भी आ जायेगा|
वो चली गई|
विवेक जी ने ड्राइवर को उन्हें छोड़कर आने के लिए कहा|
और सब बाहर गौरी के होश मे आने का इंतजार करने लगे|




रुद्र को अपने किये का पछतावा था| तभी उसे अचानक रात का सपना याद आया और गौरी का पहाडी से कुदने की धमकी देना भी और वो उस डर से सहम गया| उसने ठान लिया था की अब वो गौरी को खुद से कभी दूर नही करेगा|

साथ ही साथ शालिनी जी और विवेक जी भी पछतावा कर रहे थे|


सिद्धार्थ को रुद्र का गौरी के इतना करीब जाना बिल्कुल पसंद नही आया था|


सीमा जी रुद्र के दिल का हाल समझ गई थी और ये भी समझ गई थी की जाने अनजाने गौरी के दिल मे रुद्र के लिए प्यार घर कर रहा है|





















11 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

अच्छा भाग

7 दिसम्बर 2021

41
रचनाएँ
क्या हुआ... तेरा वादा...
5.0
ये कहानी है रुद्र और गौरी की.....जो दोनो पिछले जनम मे एक ना हो सके............ क्या इस जनम मे हो पायेंगे......... ??
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7 अक्टूबर 2021
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10 अक्टूबर 2021
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11 अक्टूबर 2021
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13 अक्टूबर 2021
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20 अक्टूबर 2021
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26 अक्टूबर 2021
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27 अक्टूबर 2021
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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 20)

28 अक्टूबर 2021
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30 अक्टूबर 2021
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6 नवम्बर 2021
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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 29)

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7 नवम्बर 2021
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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 31)

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12 नवम्बर 2021
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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 36)

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14 नवम्बर 2021
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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 38)

15 नवम्बर 2021
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क्या हुआ...तेरा वादा... (भाग 39)

16 नवम्बर 2021
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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 40)

17 नवम्बर 2021
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