*संसार का अद्भुत एवं प्राचीन सभ्यताओं का उदय सनातन धर्म के अन्तर्गत ही हुआ | सनातन धर्म दिव्य एवं अद्भुत इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इसकी प्रत्येक मान्यता को यदि सूक्ष्मदृष्टि से देखा जाता है तो उसके मूल में वैज्ञानिकता अवश्य समाहित होती है | सनातन धर्म में वैसे तो प्रत्येक वृद्धा स्त्री को माता कहा जाता है परंतु मुख्य रूप से तीन माताओं का मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है | १- अपनी माता , २- धरती माता , एवं ३- गौमाता | इन तीनों का स्थान इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यदि अपनी माता न होती तो मनुष्य का जन्म न होता , यदि धरती माता न होती तो मनुष्य आधारहीन होता , और यदि गौमाता न होती तो मनुष्य पालन न हो पाता | पौराणिक ग्रंथों में गौमाता को विशेष स्थान देते हुए इनके शरीर में समस्त देवी देवताओं का वास बताया गया है | गौ माता की दोनों सींगों ब्रह्मा एवं विष्णु तथा दोनों सींगोंं के मध्य में भगवान शिव का वास एवं समस्त शरीर में अन्य अन्य देवी-देवता निवास करते हैं | कहने का तात्पर्य यह है कि किसी देवी देवता का दर्शन करने के लिए उनके स्थान विशेष या मंदिर विशेष में जाना पड़ता है परंतु यदि गौ माता का दर्शन एवं पूजन कर लिया जाता है तो सभी देवी देवताओं के दर्शन एवं पूजन का लाभ मनुष्य को प्राप्त हो जाता है | इस सृष्टि में अद्भुत प्राणी गाय को कहा गया है क्योंकि पूर्वकाल में यही मनुष्य के जीवन का आधार थी | दूध , दही , घी तो लाभकारी था ही परंतु इसके साथ ही गोबर एवं गोमूत्र से अनेक प्रकार के कीटाणुओं का विनाश भी होता था | गाय के महत्व को स्वीकार करते हुए वैज्ञानिकों ने बताया है कि गाय जहां बैठती है वहां नकारात्मकता समाप्त हो जाती है , इसके साथ ही गाय ही ऐसा प्राणी है जो ऑक्सीजन को ग्रहण करके ऑक्सीजन ही छोड़ती है | गाय की रीढ़ की हड्डी में सूर्यकेतु नाड़ी होती है जिस पर सूर्य की किरणों के सहयोग से स्वर्ण का उत्पादन होता है और यह स्वर्ण उसके दूध के द्वारा मनुष्य को प्राप्त होता है जो मनुष्य को निरोगी बनाता है | पूर्व काल में भोजन बनने के बाद प्रथम रोटी गाय के लिए निकालने का विधान हमारे महापुरुषों ने यदि बनाया तो इसका कारण एक ही था कि हमारे घर में दो - चार देवी देवताओं का वास या उनकी प्रतिमाएं हो सकती है परंतु जब गाय को पहली रोटी खिलाई जाती है तो समस्त देवी देवताओं का भोग लग जाता है | गाय की दिव्यता नकारा नहीं जा सकता |*
*आज समाज परिवर्तित हो चुका है , कृषि करने वाले लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं जिससे आज गौ माता पर भी संकट आ गया है | गौमाता ही नहीं आज का स्वार्थी मनुष्य जब अपने जन्म देने वाली माता का तिरस्कार कर दे रहा है तो गौ माता तो उसको मात्र पशु ही दिखाई पड़ती होगी | कुछ लोग यह भी कहते हुए सुने जाते हैं कि गाय तो हिंदुओं की माता है उन सभी लोगों को प्राचीन अथर्ववेद का अध्ययन करना चाहिए जहां स्पष्ट लिखा है "गाव: विश्वस्य मातरम्" अर्थात गाय पूरे विश्व की माता है | आज कुछ लोग धर्म के नाम पर गौ हत्या करने को अपना अधिकार समझते हैं उन सभी धर्म विशेष के लोगों को मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा कि वे अपने धर्म की पुस्तक "किताब - ए - मस्तरक" को पढ़े जहाँ स्पष्ट लिखा है कि :- तुम पर लाजिम है गाय का दूध , दही और घी ! खबरदार करते हुए गोमांस को बीमारी का घर बताते हुए हराम कहा गया है | यही नहीं "फतवे हुमांयूनी" के भाग -१ में तो गाय की कुर्बानी को इस्लाम के विरुद्ध कहा गया है | परंतु आज गौमाता को सिर्फ हिन्दू की पूज्य माना जाता है | आज गौ माता मानव मात्र से तिरस्कृत होकरके अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं | स्थिति यह है कि सनातन हिंदू धर्म को मानने वाले ही गौ माता का तिरस्कार कर रहे हैं | उसी का परिणाम है कि आज घर घर में रोग एवं व्याधियां व्याप्त हैं | वैज्ञानिक भी बताते हैं कि यदि गाय के गोबर से घर को लीपा जाता है तो अनेक प्रकार के कीटाणु एवं बैक्टीरिया समाप्त हो जाती है , परंतु आज गाय के गोबर को हाथ लगाने से लोगों को घिन तक आने लगी है | यह मनुष्य का दुर्भाग्य है कि मुफ्त में मिलने वाले प्रकृति प्रदत्त गाय नामक जीव को तिरस्कृत जीवन जीना पड़ रहा है | आज भी जिस घर में गाय है उस घर की तेजस्विता देखते ही बनती है | सनातन धर्म इसीलिए वैज्ञानिक धर्म कहा जाता है क्योंकि सृष्टि में उपलब्ध समस्त जड़ एवं प्राणी मात्र को मानव कल्याणक मान करके उचित स्थान प्रदान किया है |*
*गौ माता आज यदि उपेक्षित हो रही है तो उसका कारण कोई अन्य ना हो करके सनातन हिंदू ही है इस बात को समझकर की इस पर विचार करना ही होगा |*