वैसे तो हमारे नींद से सोने पर पूरी बॉडी आराम करती है लेकिन मस्तिष्क और हृदय दो ऐसे पार्ट्स हैं जो निरंतर काम करते रहते हैं. मानव शरीर में हर पार्टस की अपनी खासियत है और सभी का अपना अहम काम होता है. अगर मैं बात सिर्फ हृदय की करूं जिसे आम भाषा में दिल कहा जाता है उसे हमेशा पंप करना होता है. मगर कभी-कभी ज्यादा तनाव या सोचने से दिल को घबराहट होने लगती है और ऐसे में कुछ लोग खुद को संभाल लेते हैं तो कुछ को दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक पड़ जाता है. दिल का दौरा तीन चरणों में पड़ता है और तीसरे के बाद ही ज्यादातर लोग मौत की तरफ चले जाते हैं. Heart Attack hone ke karan इनके बारे में आपको मैं बताऊंगी.
कैसे आता है दिल का दौरा ?
दिल तक खून पहुंचाने वाली किसी एक या एक से ज्यादा धमनियों में जमे वसा के थक्के के कारण रुकावट आने लगती है. थक्के के कारण खून का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और खून ना मिलने से दिल की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है लेकिन अगर जल्दी ही खून का प्रवाह नहीं हो पाता तो दिल की मांसपेशियों की गति रुक जाती है. ज्यादातर लोगों के दिल के दौरे के कारण मौत थक्के के फट जाने की वजह से होती है. हार्ट अटैक से मरने वालों में एक तिहाई मरीजों को ये पता ही नहीं होता है कि वे हृदय के रोगी हैं और अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. इसके लिए जिम्मेदार एक बड़ा कारण ये है कि पहले ही हार्ट अटैक में मरीज को पहचान करके इलाज करना शुरु कर देना चाहिए. दिल का दौरा तब पड़ता है जब हृदय तक जाने वाले ऑक्सीजन युक्त खून का प्रवाह अवरुद्ध होने लगता है. वह वसा, कोलेस्ट्रॉल और दूसरे पदार्थों के कारण होता है जो हृदय तक खून पहुंचाने वाली धमनियों में प्लेक (चिपचिपा जमाव) बनने लगता है. बाधित रक्त प्रवाह के कारण हृदय को ऑक्सीजन नहीं मिलता है और अगर हृदय को ऑक्सीजन जल्दी नहीं मिलता तो हृदय की मांसपेशियों को नष्ट कर देती है.
कितने प्रकार का होता है दिल का दौरा ?
एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल इन्फार्केशन (स्टेमी)- स्टेमी से छाती के बीचों-बीच दर्द होता है, इसमें बहुत तेज दर्द नहीं होता है बल्कि हृदय पर दबाव और जकड़न महसूस होने लगती है. कुछ मरीजों को बाहों, गले, जबड़े और पीठ में दबाव या जकड़न महसूस होने लगती है.
नॉन-एसटी सेगमेंट एलिवेशन माइओकार्डियल एन्फार्कशन (एनस्टेमी)- इसमें कोरोनेरी धमनियां आंशिक रूप से अवरुद्ध होती है. एनस्टेमी में इलेक्ट्रोकार्डिओग्राम में एसटी सेगमेंट में कोई बदलाब नहीं आता है.
अस्थिर एनजाइना या कोरोनेरी ऐंठन- इसके लक्षण स्टेमी की तरह ही होते हैं लेकिन इसे ज्यादातर अपच या मांसपेशियों में दर्द समझकर नजरअंदाज किया जा सकता है. जब हृदय की धमनियां संकुचित हो जाती है तो हृदय तक जाने वाला रक्त प्रवाह भी रुक जाता है. अस्थिर एनजाइना का निदान केवल इमेजिंग या रक्त की जांच से चल पाता है. कोरोनेरी ऐंठन से कोई खतरनाक हानि नहीं हो पाती है लेकिन इससे दिल का दौर फिर से पड़ने का जोखिम बढ़ने लगता है.
हार्ट अटैक आने के लक्षण
अक्सर सीने के दर्द को हार्ट अटैक से जोड़कर देखते हैं लेकिन अगर महिलाओं की बात करें तो ऐसा जरूरी नहीं है कि हार्ट अटैक के समय उन्हें सीने में दर्द हो. मगर सीने के दर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए खासकर अगर ये दर्द सीने के बीचो-बीच हो रही हो तो. हार्ट अटैक के लक्षणों को समझने के बाद उनका तुरंत इलाज कर देना चाहिए.
सांस लेने में परेशानी- अगर आपको सांस लेने में परेशानी होती है तो ये भी हार्ट अटैक का एक कारण हो सकता है क्योंकि अगर आपका दिल ठीक से काम नहीं करता है तो आपके फेफड़े में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है और इनकी वजह से सांस लेने में आपको दिक्कत होती है और ये लक्षण भी हार्ट अटैक का कारण बन जाता है.
सीने में दर्द- अगर आपको सीने में दर्द की शिकायत होती है या सीना भारी-भारी लगने लगे तो ये हृदय संबंधी बीमारी हो सकती है. इसके अलावा सीने में जलन और बेचैनी होना भी इसी की ओर इशारा करता है.
ज्यादा थकान होना- अगर आपको बिना वजह ज्यादा थकान हो रही है यानी आप घर बैठे फिर भी थकान महसूस करने लग रही हैं और सीने में जलन भी हो रही है तो ये लक्षण भी दिल के दौरे के होते हैं.
बार-बार चक्कर आना- अगर आपको बार-बार चक्ककर आने लगे तो ये हार्ट अटैक का संकेत होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अगर आपका दिल ठीक से काम नहीं करेगा तो दिमाग को सही तरीके से वो पोषण नहीं मिल पाएगा जो उसे चाहिए होता है जैसे ऑक्सीजन, तो इस वजह से बार-बार चक्कर आने लगते हैं.
बॉडी पार्ट्स में दर्द होना- अगर आपके शरीर के ऊपरी हिस्सों में दर्द होता है खासकर गर्दन, सीने और बाजुओं में तो ये हार्ट अटैक आने के पहले के संकेत होते हैं.
पैर और तलवे में सूजन- जब दिल एकदम सही से खून पंप नहीं कर पाता है तो इससे मांसपेशियों में सूजन आ जाती है. दिल के ठीक से काम ना करने पर असर किडनी पर पड़ता है और वो भी अपना काम सही से नहीं कर पाती है इसलिए पैरों में सूजन आ जाती है.
दिल की धड़कन तेज- आमतौर पर दिल की धड़कन तेज हो जाती है, जब हम डर जाते हैं, दौड़ते हैं या फिर एक्सरसाइज करते हैं. लेकिन अगर दिल की धड़कन कुछ सेकंड्स से ज्यादा समय के लिए बढ़ी जा रही है तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
दिल का दौरा पड़ने पर बरतें सावधानी
अगर किसी को अचानक दिल का दौरा पड़ जाए तो पहला प्रयास यही करना चाहिए कि मरीज को तुंरत अस्पताल ले कर जाएं. अगर ऐसा तुरंत मुमकिन नहीं हो पाता है तो मरीज को हर 10 सेकेंड में जोर से खांसने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि खांसने के दौरान मरीज के दिल पर दबाव पड़ता है और खून का प्रवाह दिल की ओर तेज होता है. खांसने के बाद लंबी और गहरी लेनी चाहिए, क्योंकि दिल की धड़कन बढ़ने और बेहोशी आने पर केवल 10 सेकेंड का समय लगता है औक इस प्रक्रिया में तुरंत राहत मिल जाती है. ये वाली प्रक्रिया अक्सर पहले हार्ट अटैक में आजमाना चाहिए लेकिन दूसरे या तीसरे में पूरी कोशिश करें कि मरीज को डॉक्टर के पास ही ले जाएं.
दिल के मरीज को क्या खाना चाहिए ?
दिल के दौरे में आहार दिल की विफलता में आहार के समान ही होनी चाहिए जिसे खाने पर आपके दिल को कोई परेशनी नहीं हो. इससे आपका दिल स्वस्थ बना रहे और आगे चलकर ये स्वस्थ होता रहे.
1. ताजी सब्जियां (ब्रोकली और पालक विशेषरूप से खाएं)
2. खट्टे और ताजे फल (संतरे, अनार, अंगूर)
3. गेंहू का आटा
4. दलिया
5. जैतून का तेल, सब्जियों का तेल और कनोला का तेल
6. मछली
7. सोयाबीन
8. बादाम, अखरोट, पिस्ता, मूंगफली
9. ग्रीन टी
10. कॉफी
दिल के दौरे में इनसे करें परहेज
दिल का दौरा पड़ने के बाद व्यक्ति ठीक नहीं रह पाता है. उसे बहुत सी चीजों को खाने से परहेज करना चाहिए. इसके अलावा भी कई चीजें हैं जिनका सेवन व्यक्ति को नहीं करना चाहिए वरना समस्या और भी बढ़ सकती है.
1. दिल के दौरा पड़ने के बाद 2 से 3 हफ्तों तक यौन संबंध बनाने से बचना चाहिए.
2. धूम्रपान दिल के दौरे का प्रमुख कारण होता है इसलिए धूम्रपान से बचना चाहिए.
3. तली हुई सब्जियां या मांस बिल्कुल नहीं खाएं.
4. ज्यादा नमक वाला भोजन न खाएं.
5. सफेद चावल बिल्कुल नहीं खाएं
6. बाहर की चीजों को खाने से बचना चाहिए क्योंकि ये सेहत को डाउन करता है.
इस तरह रखें दिल को स्वस्थ
1. साइकिलिंग, वॉकिंग और स्वीमिंग नियमित रूप से करें.
2.धूम्रपान पूरी तरह से बंद करें.
3. अधिक वसा वाला भोजन ना करें.
4. अपने भोजन में कम से कम नमक का प्रयोग करें.
5. रोजाना कम से कम 7 घंटे नींद लेंनी चाहिए.
6. कॉफी और हाई कैफीन की चीजें न लें.
7. अगर चाय पीने का मन हो तो हर्बल या ग्रीन टी ही पियें.
8. रोजाना 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएं.