जब कोशिकाओं के विकास को नियंत्रित करने वाले जीन्स में म्यूटेशन हो जाए तो उससे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो जाती है. म्यूटेशंस की वजह से कोशिकाएं अनियंत्रित और अव्यवस्थात्मक रूप से विभाजित हो जाती है. कोशिकाएं बढ़ती जाती हैं और इनके बेवजह बढ़ने से ही से असामान्य कोशिकाएं भी बनने लगती हैं और यही आपस में मिलकर ट्यूमर बना देता है. भारत में महिलाओं में होने वाले इनवेसिव कैंसर में सबसे आम है. यह महिलाओं में होने वाले कैंसर का 16 प्रतिशत और इनवेसिव कैंसर का 22.9 प्रतिशत है, दुनियाभर में कैंसर के कारण होने वाली मौत में 18 प्रतिशत स्तन यानी ब्रेस्ट कैंसर होता है. इस लेख में मैं आपको ब्रेस्ट Breast Cancer ka Ilaj और इसके बारे में सभी जानकारियों के बारे में बताऊंगी..
क्या होता है ब्रेस्ट कैंसर ?
भारतीय औरतों में स्तन कैंसरहोने की गिनती कम होती जा रही है और अब 22 में सिर्फ एक महिला को ही स्तन कैंसर से जूझना पड़ रहा है और ये बड़ी उपलब्धता है. अगर स्तन कैंसर का पता पहले या दूसरी स्टेज पर चल जाए तो इसके ठीक होने की सम्भावना और भी बढ़ जाती है. इसके लिए हर किसी को जागरुक होना जरूरी होता है और इसके साथ ही स्तन कैंसर की नियमित जांच और जीवनशैली में कुछ बदलाव लाने भी बहुत जरूरी होते हैं. ब्रैस्ट कैंसर ऐसी समस्या है जिसमें स्तन कोशिकाओं और ऊतकों में अनावश्यक रूप से वृद्धि होती है और इससे स्तन में ट्यूमर बनने लगता है, फिर यही ट्यूमर आगे चलकर ब्रेस्ट कैंसर का कारण बन जाता है. बहुत से लोगों को लगता है कि स्तन कैंसर सिर्फ महिलाओं को होता है जबकि इससे कई पुरुष भी ग्रसित रहते हैं. ब्रैस्ट कैंसर सामान्यता दूध उत्पादक ग्रंथियों (नलिकाओं) से शुरु होता है बस इसी लिए इसमें पुरुषों की संख्या कम और महिलाओं की संख्या कई गुना ज्यादा होती है.
ब्रेस्ट कैंसर के मुख्य कारण
डॉक्टर्स के मुताबिक, ब्रेस्ट कैंसर का प्रमुख कारण स्तन कोशिकाओं का अन्य कोशिकाओं की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ना माना जाता है. स्तन कैंसर, कोशिकाओं के डीएनए में आनुवंशिक परिवर्तन होने पर भी होने की संभावना होती है. शोधकर्ताओं के अनुसार हार्मोनल परिवर्तन, जीवन शैली में परिवर्तन और पर्यावरणीय भी ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को पैदा करती है. फिर भी यहां मैं आपको कुछ कारण बताती हूं जिससे ब्रेस्ट कैंसर पनपता है.
आयु और लिंग- पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ब्रैस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा होता है. ज्यादातर ब्रैस्ट कैंसर 40 साल के बाद वाली महिलाओं में सबसे ज्यादा होती है.
परिवार का इतिहास- ब्रैस्ट कैंसर पीढ़ी दर पीढ़ी होने वाली बीमारी होती है, परिवार में स्तन कैंसर से पीड़िच सदस्य के साथ रक्त संबंध रखने वाले सदस्य को भी ये रोग हो सकता है. ब्रैस्ट कैंसर से पीड़ित महिला की बेटी को भी ये जटिल बीमारी होने का खतरा रहता है.
हार्मोन- ज्यादातर 40 साल की उम्र पार कर चुकी महिलाओं में ऐसा खतरा पाया जाता है. मादा हार्मोन एस्ट्रोजन से ही महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर होने का खतरा होता है. यह मादा हार्मोन्स स्तन की कोशिकाओं और ऊतकों में अनावश्यक वृद्धि करता है जिससे ट्यूमर बढ़ने लगता है. हार्मोन थेरेपी का उपयोग रजोनिवृत्ति के बाद किये जाने पर यह ब्रैस्ट कैंसर होता है.
वजन का बढना- रजोनिवृत्ति के बाद मोटापा और अधिक वजन ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) का कारण बनता है। रजोनिवृत्ति के बाद अधिक मोटापा और अधिक वजन के कारण वसा कोशिकाओं द्वारा एस्ट्रोजेन की मात्रा बढ़ जाने से और रक्त में इंसुलिन की मात्रा बढ़ने से ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) अधिक प्रभावी हो जाता है।
ज्यादा शराब पीना- शराब पीना हानिकारक है ये सभी जानते हैं लेकिन अगर ज्यादा अधिक शराब पीने वाले इसे नहीं समझते तो उन्हें ब्रैस्ट कैंसर का ख़तरा ज्यादा होता है. इसके अलावा अल्कोहल अन्य मादक पेय पदार्थ कैंसर को भी बढ़ाने में मदद करता, इसलिए महिलाओं को खासकर शराब का सेवन नहीं करना चाहिए.
विकिरण अनावरण- जिन महिलाओं ने अपने बचपन या टीनएज में किसी रोग को सही करने के लिए अपने ब्रेस्ट का एक्सरे कराया हो तो उनमें आगे चलकर स्तन कैंसर का खतरा बढ़ने लगता है.
गर्भावस्था इतिहास- किसी महिला को 30 साल की उम्र पार करने के बाद पहला बच्चा होता है तो उन्हें ब्रैस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है. इसके साथ ही ऐसी महिलाये जिन्होंने बच्चे को जन्म नहीं दिया है उनमे भी स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
डीईएस एक्सपोजर- जिन महिलाओं ने गर्भपात रोकने के लिए गर्भनिरोधक या डाइथिलस्टिलबेस्ट्रॉल का सेवन किया होगा और उसके बाद बेटी को जन्म देती है तो उस बेटी को ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है.
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
स्तन कैंसर के लक्षण अलग-अलग होते हैं और ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों का पता स्तन को देखकर ही लग जाता है. वैसे तो कुछ भी महसूस किए बिना भी ब्रेस्ट कैंसर के बारे में पता लगाया जा सकता है लेकिन अगर स्तन में बढ़ते हुए दर्द, गांठ और स्तन के आकार में बदलाव आते हैं तो जांच करा लेनी चाहिए. एक बढ़ी अंडरार्म लिम्फ नोड है वो ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण बन जाता है, वैसे आपको इसके कुछ और भी लक्षणों के बारे में बताते हैं.
1. स्तन के आकर में बदलाव, स्तन में मोटापन, संकुचन या सूजन आना.
2. स्तन की त्वचा नारंगी होना
3. लाल, मोटी, या स्केली निप्पल हो जाना
4. स्तन में भयंकर दर्द होना
6. असामान्य गर्मी या स्तन में लालिमा आना
7. लिम्फ नोड्स में, हाथ के नीचे या कॉलरबोन के चारों ओर दर्द होना.
स्तन कैंसर का इलाज
स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स का कहना है कि जैसा कि हर कैंसर में होता है, स्तन कैंसर में भी इलाज उसी आधार पर तय किया जाता है जब कैंसर किस स्टेज पर चला गया है. इलाज में कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी होती है जैसा कि आपको बता चुकी हूं कि अगर आप हाई रिस्क फैक्टर में हैं तो लक्षणों की जांच होते ही बीमारी का जल्दी पता चलने से रिकवरी की उम्मीद बढ़ती है लेकिन अगर आपने जरा भी लापरवाही की तो इसे ठीक करना मुश्किल हो जाता है. ज्यादातर केसेस में यही पाया गया है कि मरीज को इस बीमारी का पता आखिर में चलता है और वे अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. मगर लक्षणों का पता लगते तुरंत डॉक्टर्स के पास जाएं.
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