बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने फिल्म डर में जिस हकलाने के अंदाज से अभिनय किया था उसके बाद जब भी उनकी मिमिक्री होती है तो आर्टिस्ट सिर्फ हकला देता है लोग समझ जाते हैं कि ये किसकी नकल कर रहा है। ये तो है जोक्स अपार्ट मगर असल में हकलाने की समस्या बहुत दर्दभरी होती है जिसकी वजह से व्यक्ति को शर्मिंदगी का सामना करता है। haklane ka ilaj थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन अगर इस दर्द से पीड़ित व्यक्ति थोड़ी हिम्मत कर ले तो उसकी हकलाने की समस्या दूर हो जाती है।
हकलाने के क्या हैं कारण ?
बॉलीवुड के हंक कहे जाने वाले ऋतिक रोशन को बचपन में हकलाने की बीमारी थी, और इसकी वजह से वे बहुत परेशान रहते थे। मगर समय के साथ उनका स्पीच थैरेपिस्ट से ही खुद को ठीक कर लिया था। हकलाने या स्टैमरिंग ज्यादातर बच्चों में होता है। 5-9 साल की उम्र के बच्चों में ये समस्या कम होने लगती है और 13-15 तक आने पर खत्म हो जाती है लेकिन बहुत से लोगों को ये समस्या हमेशा बनी रहती है। लड़कियों के मुकाबले ये दोष लड़कों में ज्यादा होता है। आमतौर पर इसके होने के कारण भाषा पर पकड़ ना होना, ज्यादा भावुक होना, डरना, मानसिक तनाव, एकाग्रता की कमी और असमंजस की स्थिति जैसी चीजें होती हैं।
हकलाने की समस्या का इलाज
हकलाने की समस्या आपने अक्सर बच्चों में देखा होगा लेकिन कभी-कभी कुछ मामलों में बड़े भी हकलाते पाए जाते हैं। ये उनके लिए बहुत शर्मिंगदी से भरा होता है और इसे ठीक करने के लिए बच्चे हों या बड़े सभी इस समस्या का इलाज कर सकते हैं-
1. बच्चों की समस्या को दूर करने के लिए उन्हें स्पीच थैरेपिस्ट और मनोवैज्ञानिक के पास लेकर जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि थैरेपिस्ट बच्चों को वही शब्द बोलने को कहते हैं जिन्हें बोलने में उन्हें समस्या आती है। हर दिन इस अभ्यास से ये समस्या दूर हो जाती है।
2. अगर किसी के हकलाने का कारण डर है तो पहले उसे जानने की कोशिश करें और फिर इसके बाद उनके उस डर को खत्म करें उनके हकलाने की आदत चली जाएगी।
3. अक्सर आत्मविश्वास की कमी होने के कारण बच्चे हकलाने लगते हैं और यही आदत उनकी बनी रहती है। ऐसे में बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने का काम करें। इससे उनके हर काम में आत्मविश्वास आता है।
4. अगर आपका बच्चा किसी एक शब्द को बोलने में अटकता है तो पहले उनकी बातों को सुनें और उन्हें प्यार से बोलना सिखाएं. क्योंकि अक्सर पैरेंट्स बच्चों की इस आदत को मजाक में लेकर उन्हें डांट देते हैं लेकिन इससे बच्चों का आत्मविश्वास कम होने लगता है।
5. अगर शुरुआत से बच्चों को आत्मविश्वास बढा़ने के लिए कुछ ना कुछ करें तो वे आगे चलकर सही दिशा पकड़ सकते हैं।
घरेलू उपाय से करें हकलाना बंद
हकलाने के इस परेशानी का इलाज किसी भी दवा से नहीं बल्कि स्पीच थेरेपिस्ट या मनोवैज्ञानिक की मदद से किया जा सकता है। सबसे पहले हकलाट का लक्षण पहचाने और उसके पीछे की वजह जानने की कोशिश करें इसके बाद बच्चे के मन में किसी प्रकार की टेंशन या डर तो नहीं उसे पहचानकर उन्हें दूर करें। बच्चे के मन में आत्मविश्वास पैदा करें और दिमाग से ये बात दूर करें कि उनके अंदर कोई दोष है। इसके अलावा हकलाने का देसी इलाज भी इस कमी को दूर कर सकता है-
1. बच्चों की समस्या को दूर करने के लिए उन्हें स्पीच तैयार करके बोलने को कहें क्योंकि इन स्पीच से एक-दो बार बोलने में समस्या होगी लेकिन धीरे-धीरे ये दूर हो जाएगी।
2. हकलाने की समस्या को दूर करने के लिए उन्हें ज्यादा से ज्यादा घी खाने के लिए दें, घी बच्चों के लिए फायदेमंद होता है जिससे हकलाने की परेशानी दूर हो जाती है।
3. ब्राह्मी तेल को हल्का गर्म करके बच्चों के गले की धीरे-धीरे मालिश करें। इसके अलावा 1 चम्मच सूखे आंवले का पाउडर और 1 चम्मच देसी घी मिक्स करके खिलाएं।
4. रात में सोने से पहले 10-12 बादाम पानी में भिगो दें और सुबह छलके को उतारकर पीस लें। इसके बाद इसमें लगभग 30 ग्राम मक्खन मिक्स करके हकलाने वाले व्यक्ति या बच्चे को खिलाएं। इससे उनकी रूक-रुक कर ये समस्या दूर हो जाएगी।
5. बादाम और मिश्री में साबुत काली मिर्च पीसकर बच्चों को 10 दिनों तक खिलाएं इससे हकलाने की समस्या दूर हो जाती है लेकिन इसमें 2-3 महीने लगते हैं।
6. जो लोग हकलाते हैं उन्हें धनिया और अमलतास के गूदे को पानी में पीसकर उसी पानी से 21 दिनों तक लगातार कुल्ला करना चाहिए।
हकलाने की समस्या दूर करने के व्यायाम
व्यायाम शरीर को कई तरह के स्वस्थ रखता है और इसका खास प्रभाव हकलाने की समस्या को भी दूर करने में पड़ता है। सामान्य तौर पर व्यायाम जीभ, होंठ, जबड़ा, ट्रेकिया और फेफड़ों सहिच बोलने से संबंधित सभी अंगो को शक्ति प्रदान करने की क्षमता रखता है। बहुत से लोग हकलाने की समस्या से पीड़ित होते हैं और उनकी ये परेशानी व्यायाम से भी दूर हो सकती है-
पहला व्यायाम- ए, ई, आई, यू स्वर को आप जोर-जोर से दोहराएं। जब भी आप इन स्वर को दोहराएं तो हर बार अलग-अलग तरीकों से बोलने की कोशिश करें।
दूसरा व्यायाम- बिना जोर लगाएं आप अपने जबड़ों को खोलें और इसमें अब अपनी जीभ के आगे के हिस्से से ऊपर के तलवे को छुएं फिर अपनी जीभ को पीछे की तरफ ले जाएं। जब आप ये व्यायाम करते हैं तो आपकी जीभ और मुंह फैलेगा जिससे हकलाना कम होने लगता है।
तीसरा व्यायाम- गहरी सांस लेने वाले व्यायाम भाषण विकारों के इलाज में बहुत प्रभावी माना जाता है क्योंकि ये श्वसन अंगों को मजबूत बनार शरीर में न्यूरोमस्क्युलर तनाव को दूर करने में मदद करताहै। विशिष्ट व्यायामों के पैटर्न की मदद से हकलाने की समस्या पर कंट्रोल किया जा सकता है।
चौथा व्यायाम- पढ़ने का खूब अभ्यास करें और इसकी मदद से आपके हकलाने की समस्या दूर हो जाती है। इस व्यायाम के लिए सबसे पहले कोई किताब लें जिसे बिना अटके पढ़ें। ऐसा 2-3 महीने तक करने पर आपके हकलाने की समस्या दूर हो जाएगी।
पांचवा व्यायाम- हकलाने की समस्या को दूर करने के लिए गाना बहुत ही प्रभावी होता है इससे पीडित को सांस और स्वर संबंधी मांसपेशियों को बेहतर तरीके से नियंत्रित होने में मदद मिलती है। इसके लिए नाटक में भाग लीजिए और इससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
निष्कर्ष- हकलाना एक आम बात है जो किसी को भी हो सकता है। ये कोई बड़ा रोग नहीं है और इससे बचने के लिए एलोपैथिक में कोई खास दवा नहीं लेकिन आयुर्वेदिक में कई उपचार है। अगर आपको इस लेख के बाद भी कोई हल नहीं मिला तो आप हमारे आयुर्वेद एक्सपर्ट्स से बात कर सकते हैं। वे आपकी हर संभाव मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।