5 Month Pregnancy Care In Hindi - जब कोई महिला गर्भावस्था में आती है तब ये उनके जीवन का सबसे खास पल होता है और इस दौरान महिलाओं की स्थिति कमजोर होने के साथ-साथ एक जिंदगी को जन्म देने के लिए मजबूत भी हो जाती है. महिला के शरीर में जब भ्रूण बन जाता है उसके बाद से ही प्रेग्नेंसी की की प्रक्रियाएं शुरु हो जाती हैं और भ्रुण धीरे-धीरे विकसित होने लगता है. गर्भावस्था के नौ महीने बहुत महत्व रखते हैं, जिसे प्रेग्नेंट महिला के अलावा कोई नहीं समझ सकता. इस महीने तक पहुंचते-पहुंचते त्वचा खिल उठती है और गर्भावस्था का रूप महिलाओं के चेहरे पर दिखने लगता है.
प्रेग्नेंसी के 5वें महीने में आने वाले बदलाव - Changes of 5 Months Pregnancy
प्रेग्नेंसी में जैसे-जैसे समय बढ़ता है महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आ जाते हैं और गर्भ में पल रहे शिशु का विकास भी वैसे ही होता जाता है. शिशु के विकास होने के साथ ही पेट का आकार भी बढ़ने लगता है और उन्हें कुछ शारीरिक परेशानियां होेने लगती हैं. गर्भावस्था के पांचवे महीने यानी 17वें से 20वें हफ्ते तक उनके शरीर में बहुत से बदलाव आ चुके होते हैं.उनके बारे में मैं आपको बता रही हूं..
थकान का होना - गर्भावस्था में थकान का होना आम बात है. शरीर के बढ़ने के साथ ही गर्भ में पल रहे शिशु का वजन भी बढ़ता है और इसी वजह से गर्भवती महिलाएं थकान महसूस करने लगती हैं.
पीठ में दर्द होना - गर्भाशय में शिशु का आकार बढ़ने के कारण ही पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना आम समस्या बन जाता है. ज्यादातक महिलाएं पूरे गर्भावस्था के दौरान पीठ दर्द की समस्या से परेशन ही रहती हैं.
सिर में दर्द होना - गर्भावस्था के दौरान गैस और कब्ज की समस्या होना आम बात होती है लेकिन कभी-कभी ये गैस सिर पर चढ़ जाती है और सिरदर्द आम हो जाता है.
नाखून का कमजर होना- 5वें महीने में महिलाओं के नाखूनों पर खास असर पड़ता है. नाखून बहुत कमजोर हो जाते हैं और जल्दी-जल्दी टूटने लगते हैं. कुछ मामलों में तो मजबूत ही हो जाते हैं लेकिन कुछ ऐसी भी महिलाएं होती हैं जिनके साथ ये तीसरे महीने में होने लगता है.
मसूड़ों से खून का आना - प्रेग्नेंसी के 5वें महीने में बहुत सी महिलाओं के मसूड़ों से खून आने लगता है और ऐसा हार्मोनल बदलाव या फिर विटामिन-के की कमी के कारण होता है जिसके लिए आपको इसकी कमी को पूरा करना चाहिए.
सांस लेने में परेशानी - प्रोजेस्टोन हार्मोन बढ़ने से ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को सांस लेने में समस्या होने लगती है. इसके अलावा वजन बढ़ने के कारण भी सांस लेना समस्या का विषय बन जाता है.
सफेद पानी का आना - योनि से सफेद पानी स्रावित होने लगता है जिसे मेडिकल भाषा में ल्यूकोरिया कहा जाता है.
भूलने की समस्या - गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव आते हैं जिसके कारण मस्तिष्क पर असर पड़ता है और इसके कारण महिलाओं में भूलने की समस्या आम हो जाती है.
पैरों में सूजन आना - गर्भावस्था के पांचवे महीने में दोनों पैरों में सूजन आने लगती है. इस दौरान शिशु के पोषण के लिए रक्त ज्यादा बनने लगता है और फिर पैरों की नसें ब्लॉक हो जाती हैं. इस कारण से पैरों में सूजन आ जाती है.
कभी-कभी चक्कर आना - जैसे ही गर्भ में शिशु का विकास होता है वैसे ही शिशु के लिए पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक तत्वों की जरूरत पड़ती है. ऐसे में गर्भवती को कमजोरी के कारण कभी-कभी चक्कर आने लगते हैं.
नाक से खून आना - गर्भावस्था के 5वें महीने में नकसीर आने की वजह से खून आना भी सामान्य बात है और यह रक्त संचार के बढ़ने से होता है.
सातवें महीने में बदलाव - 7 month Pregnancy Care In Hindi
गर्भावस्था के पांचवे से सातवें महीने मे महिलाओं में की बदलाव आते हैं जिसमें से एक कि उनका बेबी बंप दिखने लगता है. अब महिलाओं को इसकी आदत हो जाती है और भ्रूण का आकार बढ़ते बढ़ते पेट को भी बढ़ा देता है. इसके अलावा गर्भावस्था के पांचवे महीने में कुछ और भी बदलाव आते हैं.
गर्भाशय का आकार - गर्भाशय का आकार एक फुटबॉल की तरह दिखने लगता है और यही समय होता है जब आप अपने पुराने कपड़े छोड़कर एक खास तरह के कपड़े पहनने पर मजबूर हो जाती हैं जिसमें ढीले-ढीले कपड़ें ज्यादा होते हैं.
पेट में खिंचाव - पेट बढ़ने के कारण उसमें खिंचाव आने लगता है और इसके निशान आपको दिखने लगते हैं. इन्हें कम करने के लिए आप स्ट्रेच मार्क्स क्रीन का यूज कर सकती हैं.
हाथों में गर्माहट - आपको अचानक अपनी हथेलियों में गर्माहट का एहसास होने लगता है जो शरीर में आने वाली रक्त की आपूर्ति के कारण महसूस होता है. इतना ही नहीं इस वजह से हथेलियों पर लाल लकीरें भी उभरने लगती हैं.
बालों में बदलाव - प्रेग्नेंसी के पांचवे महीने से सातवें महीने तक बालों का झड़ना पूरी तरह से बंद हो जाता है और ये आपको कुछ मोटे भी नजर आएंगे.
भूख का बढ़ जाना - पांचवे से सातवें महीने तक महिलाओं को बहुत ज्यादा भूख लगने लगती है. ऐसे में जो महिलाएं कुछ भी खा लेती थीं वो भी कुछ नया और अच्छा खाने की इच्छुक हो जाती हैं.
पांचवे महीने में क्या खाना चाहिए
1. महिलाओं को वो ही खाना चाहिए जो उनके शिशु के लिए भी अच्छा हो. इस समय वो दो पेट का खाना खाती हैं एक अपना और एक शिशु का तो उन्हें पौष्टिक चीजों का ही सेवन करना चाहिए.
2. बच्चे के विकास के लिए प्रोटीन जरूरी होता है और एक स्वस्थ गर्भावस्था के लिएदूसरी और तीसरी तिमाही में 21 ग्राम ज्यादा प्रोटीन खाना शुरु कर देना चाहिए. जिसमें दालें, पनीर, सोयाबीन, अंडा जैसी चीजें होनी चाहिए.
3. 5वें महीने के बाद से ही खाने में सलाद जरूर लें और इसकी मात्रा खाने से ज्यादा होनी चाहिए. क्योंकि सलाद में आपको फाइबर मलेगा जो कब्ज को दूर रखने में आपकी मदद करेगा. सलाद में गाजर, टमाटर, खीरा जैसी चीजें जरूर रखें.
4. सेब, केला, संतरा और कीवी जैसे फलों का सेवन आपके और बच्चे के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा.
5. महिलाओं को साबुत अनाज और हरी सब्जियां विशेष रूप से खाना चाहिए जिससे आपको आयरन, कैल्शियम और कई पोषक तत्व मिलें.
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