कैंसर बहुत गंभीर बीमारी होती है जो बॉडी के किसी भी पार्ट में पनप सकती है. जैसा कि हर बीमारी अपने आने से पहले संकेत देती है वैसे ही कैंसर होने से पहले कुछ लक्षण पता चलते हैं और अगर इन लक्षणों को पहचानकर उनका इलाज सही समय पर हो जाए तो बीमारी ठीक भी हो सकती है. कैंसर की शुरुआत शरीर के आधारभूत इकाई यानी कोशिकाओं में बदलाव आने पर होती है. शरीर में पुरानी कोशिकाओं का टूटना और नई कोशिकाओं का बनना एक सतत प्रक्रिया होती है लेकिन जब कोशिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया असामान्य होती है तो ऐसे में कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है. इसी तरह ही होता है हड्डियों का यानी बोन कैंसर और bone cancer ke lakshan पहचानते ही आपको इसका उपचार शुरु कर देना चाहिए.
बोन कैंसर के कारण ?
बोन कैंसर का कई कारणों से होता है जैसे आनुवंशिक रूप से गड़बड़ी होना, या पेट की गड़बड़ी. पेट रोग का असर हड्डियों पर पड़ता है जिसके कारण बोन कैंसर हो जाता है और इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति रेडिएशन के प्रभाव में होता है तो बोन कैंसर होने के चांज बढ़ जाते हैं. बोन कैंसर अक्सर शरीर के एक हिस्से से होकर धीरे-धीरे दूसरे हिस्सों में फैल जाता है. बोन कैंसर का इलाज सर्जरी और रेडिएशन थैरेपी द्वारा किया जाता है जिसके दौरान हड्डियां काफी प्रभावित हो जाती हैं. अगर शुरुआती स्टेज पर बोन कैंसर का पता लग जाता है तो इसका आसानी से इलाज करवाया जा सकता है लेकिन अगर समय रहते आपने इसके लक्षण को नहीं पहचाना तो इसका इलाज मुश्किल हो जाता है.
बोन कैंसर के लक्षण
हड्डियों का कैंसर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है जिसमें बच्चे, जवान और बूढे़ भी शामिल हो सकते हैं. समय रहते इसका इलाज कराने के लिए इसके लक्षणों को प्रारंभिक अवस्था में पहचानना जरूरी होता है. जैसे-जैसे कैंसर कोशिकाएं शरीर में विकसित होती है उसी तरह शरीर में इसके लक्षण भी दिखाई देना शुरु हो जाते हैं.
1. हड्डियों के कैंसर का सबसे सामान्य लक्षण हड्डियों में अक्सर दर्द रहना या कभी-कभी बहुत तेज दर्द हो जाना..
2. दर्द के साथ उस हिस्से में सूजन भी आनी शुरू होती है जहां पर आपको दर्द का एहसास हो रहा होता है.
3. कैंसर की जगह ऊपरी हिस्से में त्वचा लाल रंग की होने लगती है. वह हिस्सा शरीर के दूसरे हिस्से की तुलना में ज्यादा गर्म होता है, उस हिस्से में थोडा सुन्नपन और सूजन होने लगती है.
4.बोन ट्यूमर की वजह से अचानक बुखार आ जाता है व बुखार के दौरान पसीना भी आ सकता है. चक्कर आना, भूख कम लगना, वजन में गिरावट आना बोन कैंसर के सामान्य लक्षण हैं.
5. वयस्कों में हड्डियों के कैंसर का पता तब चलता है जब मरीज को बार-बार हड्डियों के फ्रेक्चर होने लगते है. हड्डियों का कमजोर होना बोन कैंसर का भी एक लक्षण हो सकता है.
6. अगर किसी की हड्डियां कमजोर हैं तो जरुरी नहीं है कि आपको बोन कैंसर हो. ऐसा शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण भी हो सकता है. इसे ऑस्ट्रियोपोरोसिस कहते हैं.
7. बोन डेंसिटी टेस्ट करवारकर इस तरह के वहम से बचा जा सकता है. हड्डी में किसी एक ही जगह पर बार-बार चोट लगने से हड्डी में धाव बन जाता है, उस पर ध्यान देना चाहिए. अगर आप उसपर ध्यान नहीं देते तो बोन कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है.
बोन कैंसर के प्रकार :
बीमारियों का कोई अंत नहीं होता है बस उसका सही समय पर इलाज मरीज को ठीक कर देता है. मगर कुछ बीमारियां बहुत समस्या देती हैं जिससे परेशानियां और बढ़ जाती हैं और शायद ही वे ठीक हो पाते हैं. अगर किसी को बोन कैंसर होता है तो उसमें कुछ प्रकार होते हैं जिन्हें पहचान कर उसी डायरेक्शन में इलाज कराना चाहिए. वैसे बोन कैंसर के तीन प्रकार कुछ इस तरह होते हैं.
ऑस्टियो सर्कोमा- यह बोन कैंसर का सबसे सामान्य प्रकार होता है. यह कैंसर आमतौर पर कूल्हे और कंधे व साथ ही घुटने के आसपास के हिस्सों में शुरु होता है. इस प्रकार के कैंसर से हर साल दस लाख लोगों में से 3 से 4 नए लोग इस तरह के कैंसर का शिकार हो जाते हैं. हालांकि यह बच्चों को भी हो सकता है लेकिन बोन कैंसर का यह रूप आमतौर पर युवाओं में देखने को मिलता है. यह कैंसर महिलाओं के मुकाबले पुरूषों में ज्यादा पाया जाता है.
कॉन्ड्रोसर्कोंमा– बोन कैंसर के प्रकारों में कॉन्ड्रोसार्कोंमा 40 से 70 साल की उम्र के लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. यह कैंसर भी कूल्हे और कंधे के आसपास अधिक होता है. बोन कैंसर का यह सामान्य प्रकार होता है. यह कैंसर हड्डियों से शुरू होकर शरीर के अन्य हिस्सों में फैलता है. इस कैंसर में सबसे अधिक दर्द जोड़ों में होता है.
इविंगसरकॉमा– यह कैंसर कम उम्र के लोगों को ज्यादा होता है. जिसमें 5 से 20 साल तक के लोग शामिल होते हैं और ये बहुत कम उम्र होती है किसी बीमारी के होने की. यह आमतौर पर हाथों, पैर, बाजू, पसलियों इत्यादि जगहों से आरंभ होता है.
बोन कैंसर का उपचार
सर्जरी- सर्जरी करने से पहले ट्यूमर का आकार देखना बहुत जरूरी होता है. सर्जरी के दौरान ट्यूमर के सभी भाग और उसके आसपास के टिश्यू निकाल दिए जाते हैं. कभी कभी जिस जगह पर कैंसर हुआ है उस अवयव को हटाना भी पड़ जाता है. सर्जरी के दौरान अगर संभव हो तो क्षतिग्रस्त हड्डियों को निकालकर उसकी जगह आर्टीफिशियल हड्डी लगानी पड़ती है. यह बोन कैंसर का बहुत ही आम इलाज माना जाता है.
कीमो थैरेपी चिकित्सा- कीमोथेरेपी में कैंसर निवारक दवाओं से ट्यूमर को खत्म कर दिया जाता है. दवाएं कैंसर सेल्स को बढ़ने और फैलने से रोकती है लेकिन यह स्वस्थ कोशिकाओं को भी प्रभावित कर सकती है. समय के साथ यह कोशिकाएं ठीक हो जाती हैं. कीमोथेरेपी की वजह से भूख न लगना, मितली आना, वजन कम होना, चक्कर आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. आमतौर पर सर्जरी के पहले कीमोथेरेपी चिकित्सा की जाती है लेकिन कई बार सर्जरी के बाद भी यह चिकित्सा ट्यूमर को पूरी तरह से खत्म करने के लिए मरीज को दी जाती है.
रेडियेशन थैरेपी उपचार- रेडियेशन थैरेपी में एक बड़ी मशीन के जरिए कैंसर सेल्स को खत्म कर दिया जाता है. इससे निकलने वाले विकिरण का उपयोग ट्यूमर के आकार या रक्त संचार को कम करने के लिये किया जाता है क्योंकि ट्यूमर प्रभावित अंग में रक्त की आपूर्ति की मात्रा बहुत तेजी से बढ़ने लगती है. इसके परिणाम स्वरूप कैंसर बहुत तेजी से बढ़ता है और इस विधि का प्रयोग प्रभावित अंग में ऑपरेशन से पहले या सर्जरी के दौरान रक्त की दौड़ान को कम करने के लिए करते हैं.
बोन कैंसर में क्या खाएं ?
भारत में कैंसर के रोगी बढ़ ही रहे हैं लेकिन इनके इलाज के दौरान अगर आप समय पर कुछ चीजों का सेवन करें तो ठीक होने में सहायता मिलेगी. इन खाद्य पदार्थों में सब्जियां, फल, साबुत अनाज और फलियों से बना संतुलित आहार, आवश्यक विटामिन और मिनरल जैसी चीजें लेने से कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है. आपको जानना चाहिए कि कैंसर के दौरान किन-किन चीजों का सेवन करना सही रहता है.
लहसुन और प्याज- लहसुन और प्याज में सल्फर कंपाउंड पाया जाता है जो बड़ी आंत, स्तन, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को मार सकते हैं. लहसुन ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करके इंसुलिन उत्पादन को कम करके शरीर में ट्यूमर नहीं होने देता है.
सब्ज़ियां- फूलगोभी और ब्रोकोली शरीर में दो ताकतवर कैंसर रोधी गुण प्रदान करता है. ये दोनों डिटोक्सीफिकेशन एंजाइम के उत्पादन को बढ़ाते हैं, जो कैंसर की कोशिकाओं को मारते हैं और ट्यूमर को बढ़ने से भी रोकते हैं. ये फेफड़े, प्रोस्टेट, मूत्राशय और पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए भी पहचाने जाते हैं.
अदरक- ताजा अदरक में कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने वाले सभी गुण मौजूद होते हैं. जो ट्यूमर की कोशिकाओं को रोकने के लिए मदद करते हैं. अदरक का अर्क कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी से होने वाली समस्याओं को कम करता है.
हल्दी- यह सबसे शक्तिशाली प्राकृतिक कैंसर रोधी है. हल्दी कैंसर कोशिका को मारकर ट्यूमर को बढ़ने से रोक देती है. इसके साथ ही कीमोथेरेपी का असर भी बढ़ाती है. काली मिर्च के साथ तेल में मिलाने पर हल्दी और भी ज्यादा असरकारी हो जाती है.
पपीता, कीनू और संतरे- इन तीनों फलों में विटामिन और ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो लीवर में पाए जाने वाले कार्सिनोजन को अपने आप खत्म हो जाने के लिए मजबूर करते हैं. कीनू और उसके छिल्के में फ्लेवनोइड्स और नोबिलेटिन नामक तत्व पाए जाते हैं, जिसमें कैंसर कोशिकाओं को रोकने की क्षमता है.
गाजर, आम और कद्दू- अल्फा और बीटा नामक कैरोटीन्स कैंसर को ख़त्म करने वाले शक्तिशाली चीजें होती है. ये तीनों फल गर्भाशय, मूत्राशय, पेट और स्तन कैंसर सहित कई प्रकार के कैंसर की रोकथाम में मदद करते हैं इसलिए इन्हें भी जरूर खाना चाहिए.
अंगूर- अंगूर में एंथोसायनिन और पुलीफेनल्स पाया जाता है जिसकी मदद से शरीर में कैंसर के कणों का उत्पादन कम कर सकता है.
टमाटर और तरबूज- ये लाइकोपीन का समृद्ध स्रोत हैं, जिसे एक बहुत मजबूत एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है. यह सेलुलर क्षति से सुरक्षा प्रदान करता है. एक सप्ताह के दौरान टमाटर को भोजन के दसवें भाग के रूप में खाने से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा लगभग 18 फीसदी कम हो जाता है.
फलियां और दाल- दाल और फलियां प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत होने के अलावा फाइबर और फोलेट देते हैं, जो पैनक्रियाज़ के कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं. फलियां में प्रतिरोधी स्टार्च होता है जो बड़ी आंत की कोशिकाओं को सही करने हैं.