भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों पर आयुष और स्वास्थ्य मंत्रालय मधुमेह के बाद जल्द ही टीबी की बीमारी के लिए भी आयुर्वेदिक दवाओं का अस्पताल बनाया जाएगाा. ऐसा बताया जा रहा है कि वैज्ञानिकों की टीम हिमाचल में पाई जाने वाली करीब 350 प्रजातियों के पौधों पर रिसर्च करने वाली है और इसके साथ ही वैज्ञानिक प्राचीन ग्रंथों में क्षय रोग (टीबी) से निपटने के लिए कई नुस्खों पर भी अध्ययन कराएगी. कुछ समय पहले काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) ने डायबिटीज के इलाज के लिए करीब 500 से ज्यादा पौधों पर रिसर्च कर बीजीआईर-34 नाम की आयुर्वेदिक दवाएं विकसित की थी.
इसके बाद इसे एमिल फॉर्मास्यूटिकल्स ने मरीजों के लिए उपलब्ध कराया था. अब इस रिसर्च के बाद अस्पतालों में भी दवाएं सरकार ने उपलब्ध करा दी हैं जिससे मरीजों को सिर्फ 5 रुपये में दवाईयां मिल सके. ये तो हो गई टीबी से जुड़ी कुछ तुरंत की जानकारी, अब मैं आपको इससे जुड़ी कुछ और बातें और फिर आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बताऊंगी.
क्या होती है टीबी ? - What is TB ?
TB का फुल फॉर्म Tuberculosis होता है और इसे हिंदी में क्षय रोग कहते हैं. यह फेफड़ों की बीमारी होती है जोकि mycobacterium tuberculosis नाम के एक संक्रमण में आने से होता है. ये एक ऐसा रोग है तो छोटे बच्चे से लेकर बूढ़े व्यक्ति किसी को भी हो सकता है. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति किसी व्यक्ति का झूठा भोजन, झूठा पानी, उसके पास सोने या नजदीक आने से हो जाता है. रोगी कहीं भी थूकता है तो उसमें से निकलने वाले विषैले जीवाणु स्वस्थ आदमी के सांस लेने से उसके अंदर चला जाता है इसलिए टीबी के मरीजों के लिए अलग अस्पताल बनाया जाता है जिससे वो किसी और के संपर्क मेें नहीं आए. एक तरह से ये एक छूआछूट की बीमारी होती है इसलिए बेहतर यही होता है कि रोगी आपका कितना भी करीबी हो लेकिन आपको उनसे दूरी बनाकर ही उनका इलाज कराना चाहिए.
टीबी होने के लक्षण - Symptoms of TB
1.एक या दो हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी आना.
2. खांसी में कभी-कभी बलगम के साथ खून आना
3. भूख नहीं लगना
4. वजन तेजी से कम हो जाना
5. ज्यादातर रात और शाम के समय बुखार आ जाना
6. ठंडे वातारण में भी पसीना आना
7. सासं लेते समय सीने में दर्द होना
8. 30 दिन से ज्यादा समय तक बुखार का आना
टीबी का आयुर्वेदिक इलाज - Ayurvedic treatment of TB
क्षय रोग यानी टीबी के लक्षण आते ही थकान, बुखार, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं आने लगती हैं. अगर किसी व्यक्ति को टीबी के लक्षण लगते हैं तो तुरंत जांच केंद्र जाकर अपने थूक की जांच करवानी चाहिए और डब्ल्यू.एच.ओ. द्वारा प्रमाणित डॉट्स के अंदक अपना उचित उपचार करवाएं, जिससे पूरी तरह से जांच हो और बीमारी ठीक हो सके. ध्यान रखने वाली बात ये है कि अगर किसी भी वजह से टीबी की बीमारी की शंका है तो बिना देर किए इसकी पूरी जांच करवानी चाहिए. फिलहाल मैं आपको क्षय रोग से बचाव के लिए आर्युवेदिक उपचारों के बारे में बताती हूं.
लहसुन - लहसुन में मौजूद एलीसिन नाम का तत्व टीबी के जीवाणुओं के विकास को बाधित करता है. क्षय रोग के उपचार में लहसुन का उपयोग करने के लिए आपको एक कप दूध में 4 कप पानी मिलाकर 5 सहसुन की कलियों को पीसकर उसमें मिला लेना चाहिए और फिर पूरा उबाल लीजिए.इसके बाद इसे उतारकर ठंडा होने पर दिन में तीन बार पिएं, फायदा मिलता है.
शहद - हर किसी के घर में शहद मौजूद होता है और इसके लिए आपको 200 ग्राम शहद, 200 ग्राम मिश्री और 100 ग्राम गाय का घी मिलाकर तीनों को 6-6 ग्राम में बांट लें और इसमें बेहतर ये है कि बकरी या गाय का दूध ही लेना चाहिए.
पीपल के वृक्ष की राख- पीपल वृक्ष के छाल को राख बनाकर टीबी के मरीज के लिए कर सकते हैं. इसके लिए 10 ग्राम से 20 ग्राम तक पीपल वृक्ष के राख में बकरी के गर्म दूध को मिलाकर हर दिन पिएं. इसमें आवश्यकतानुसार मिश्री या शहद भी मिला सकते हैं.
रूदंती वृक्ष की छाल- रुदंती नाम के एक वृक्ष को आयुर्वेद में अच्छा माना जाता है. रुदंती नाम का ये वृक्ष फल से निर्मित चूर्ण से लगभग हर प्रकार के असाध्य टीबी रोगी को आसानी से ठीक हो सकते हैं. इसके लिए कुछ आयुर्वेदिक फार्मेसियां रुदंती के छाल से कैप्सूल भी बनाती है, जिससे रोगियों को स्वास्थ्य लाभ मिलने का दावा किया जाता है.
केला - केले का ताजा जूस या इसकी सब्जी को टीबी रोगियों को नियमित रूप से खाना चाहिए. इस रोग को नष्ट करने के लिए केला रामबाण उपाय है. एक पके हुए केले को मैशकरके नारियल पानी में मिलाएं और इसमें शहद दही मिलाकर खाएं. इसे दिन में दो बार खाने से रोगी को फायदा मिलता है और इसके अलावा कच्चे केले का जूस भी फायदेमंद होता है.
सहजन की फली - सहजन के फली को सब्जी के रूप में आपने भी इस्तेमाल किया ही होगा, लेकिन आपको बता दें इसमें जीवाणु नाशक और सूजन रोधी तत्व मौजूद होता हे.इसमें टीवी के जीवाणु से लड़ने में मदद मिलती है और इसके लिए आपको मुट्ठी भरकर सहजन के पत्तों को एक गिलास में उबालकर नमक, काली मिर्च और नींबू का रस मिलाकर इसे नियमित रूप से खाली पेट पिएं. इसके अलावा आप सहजन की फलियों को उबाकर सेवन करें, इससे भी फायदा मिलेगा.
आंवला - अपने सूजन नाशक और जीवाणु रोधी गुणों के लिए आंवला मशहूर है. टीबी के लिए इसे रामबाण उपचार माना जाता है. कच्चे आंवले को पीसकर जूस बना लीजिए और इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह पीने से भी टीबी रोगियों को फायदा होता है.
आक की कली - टीबी के मरीजों को आक की कली खाने की सलाह दी जाती है और इसके लिए पहले दिन आपको इसकी एक कली को निगलना होता है. फिर दूसरे दिन कली और तीसरे दिन इसी तरह खाएं वो भी इसे लगभग 15 दिनों तक करना चाहिए.