बदलते मौसम की वजह से कई बार लोगों को खांसी का सामना करना पड़ता है लेकिन ये खांसी अलग-अलग तरीके की होती है. जिसमें सूखी खांसी और बलगम वाली खांसी शामिल होती है. सूखी खांसी में गले में दर्द होता है तो वहीं कफ यानी बलगम वाली खांसी से सांस लेने में परेशानी होने लगती है. ऐसे में लोग कफ सीरफ लेते हैं या फिर Balgam Wali Khansi ka Desi Ilaj करते हैं, वैसे बहुत कम लोग होते हैं जो इस बीमारी के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं.
क्या होता है कफ (बलगम) ?
बलगम या कफ एक मोटा और चिपचिपा पदार्थ होता है जो बीमारी होने पर आपके गले में जम जाता है. तब ज्यादातर लोग इसे महसूस भी करने लगते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं श्लेष्म आपके गले में हर समय रहता है ? श्लेष्म झिल्ली आपके श्वसन तंत्र की रक्षा और समर्थन करने के लिए कफ बनाती है. ये झिल्ली मानव बॉडी के मुंह, नाक, गला, साइनस और फेफड़ों में पाई जाती है. म्यूकस नाम का ये चिपचिपा पदार्थ इसलिए होता है क्योंकि ये धूल, एलर्जेस और वायरस को शरीर के अंदर जाने से रोक सके. कफ आपके श्वसन तंत्र का एक सेहतमंद हिस्सा होता है लेकिन अगर ये आपको असहज बनाने लगता है तो आप इसे पतला करने या इसे अपने शरीर से हटाने की कोशिश करने लगते हैं.प्राकृतिक घरेलू उपचार के बारे में जानने के लिए आपको मेरा लेख आगे पढ़ना चाहिए और अगर समस्या ज्यादा है तो आपको डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए.
क्या होते हैं बलगम के लक्षण ?
छाती से सूजन और बलगम के कई लक्षण होते हैं जो ज्यादातर लोगों को समझ नहीं आते. मगर इनके बारे में आपको पता तो होना ही चाहिए. वैसे अगर आपको बलगम की समस्या होती है तो कुछ ऐसे लक्षण सामने आ जाते हैं.
1. गले में जमा बलगम भी सांसों में दुर्गंध पैदा करता है, क्योंकि बलगम में प्रोटीन होता है और वो बैक्टीरिया पैदा करता है.
2. जब आपका शरीर जरूरत से ज्यादा कफ बनाता है तब ज्यादा कफ आपके नाक के वायुमार्गों में रुकावट पैदा कर देता है. इससे सांस लेने में परेशानी होने लगती है.
3. कफ बनने के कारण नाक रुकने की समस्या काफी असहज हो जाती है और कभी-कभी दर्द भी होने लगता है.
4. अत्यधिक कफ आपके गले और फेफड़ों में जमा हो सकता है.
5. सामान्य कफ साफ या सफेद रंग का होता और इसमें गाढ़ापन कम होता है.
6. जो कफ हल्के पीले या हरे रंग के दिखाई देते हैं वे असाधारण कफ होते हैं और उसमें बैक्टीरिया ज्यादा होता है.
अगर आपको नियमित रूप से ज्यादा कफ बन रहा है जिसके कारण आपको सांस लेने में परेशानी हो रही है तो डॉक्टर से मिलने के लिए अपॉइटमेंट ले लेना चाहिए. समय समय पर बलगम की मात्रा ज्यादा होना या गाढ़ा महसूस होना चिंता का विषय नहीं है आमतौर पर आप इसे सुबह के समय ज्यादा महसूस करते हैं क्योंकि पूरी रात ये जमा होता रहता है और उसी में सूखता रहता है. अगर आप बीमार हैं तो आपको ज्यादा कफ बन सकता है. अगर आपकी खांसी में खून आए, छाती में दर्द बना रहे, सांस फूले और घरघराहट हो तो डॉक्टर को जरूर दिखा लेना चाहिए.
बलगम बनने का कारण
आमतौर पर बलगम व्यक्ति के गले से लेकर फेफड़ों तक रहता ही है लेकिन सर्दी खांसी, ठंड या फिर धूल के कण सामने आने लगे तो बलगम अपना रंग और चिपचिपापन बढ़ा देता है. व्यक्ति का मन हर समय खराब सा रहने लगता है और फिर छाती, गले और सिर में दर्द होने लगता है. ठंड आते ही लोगों में सर्दी, खांसी, कफ की परेशानी शुरु हो जाती है. इस मौसम में लोगों को गले और छाती में बलगम बनने की शिकायत शुरु हो जाती है. लोग इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई तरह की दवाओं और सिरप का सेवन करते हैं फिर भी असर नहीं होता है.बलगम बनने के एक ही कारण नहीं होते हैं बल्कि इसमें कई तरह की परेशानियां होती है लेकिन अगर इनका देसी उपचार करें तो आराम मिलता ही है.
बलगम वाली खांसी दूर करने के देसी उपचार
अगर कभी आपको सांस लेने में तकलीफ होती है तो और लगातार छींके आ रही हैं तो वो बलगम बनने के लक्षण होते हैं. बलगम बनना कोई खतरनाक बीमारी नहीं होती है लेकिन अगर इसकी समस्याएं ज्यादा बढ़ जाती है तो खुद में परेशानी होने लगती है. बलगम बनने के कई कारण होते हैं जिसमे सर्दी-जुकाम, फ्लू, वायरल इन्फेक्शन, साइनस जैसी बीमारियां आती हैं. इन सबका आपको देसी इलाज जरूर करना चाहिए.
अदरक और शहद- अदरक में ऐसे बहुत से तत्व पाए जाते हैं जो बीमारियों को दूर करता है. इसके सेवन से सर्दी खांसी में भी असरदर फायदा होता है और श्वसन प्रक्रिया भी ठीक रहती है. 100 ग्राम ग्राम अदरक को अच्छे से कूट लें फिर उसमें दो-तीन चम्मच शहद मिला लें और फिर इस पेस्ट को दो-दो चम्मच दिन में दो बार लें, कफ की समस्या दूर हो जाएगी.
हल्दी- हर दिन एक गिलास हल्दी वाला दूध पीना फायदेमंद होता है. पानी में हल्दी, अजवाइन, काली मिर्च, दालचीनी और नमक एक साथ उबालकर, रख लें. जब गर्माहट कम हो जाए तो इसे पिएं. हल्दी का एंटी-बैक्टीरियल गुण बहुत जल्द आराम दिलाता है.
लहसुन- लहसुन की कलियों को कच्चा चबाएं या इसे पानी में उबालकर काढ़े के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. दोनों ही तरीकों से यह फायदेमंद होता है. कड़वेपन को दूर करने के लिए इसमें स्वादानुसार शहद की भी मिक्स कर सकते हैं.
तुलसी के पत्ते- तुलसी के पत्ते हर तरह से फायदेमंद होते हैं और ये कई प्रकार की बीमारियों को दूर करते हैं. खांसी के साथ ही सर्दी-जुकाम की समस्याओं को भी तुलसी का पत्ता ठीक करता है. लहसुन, अदरक, काली मिर्च, अजवाइन और तुलसी की पत्तियों को एक साथ उबालकर इसका काढ़ा बनाइए और दिन में दो बार पीजिए. इस उपचार की सलाह डॉक्टर्स भी देते हैं.
नमक वाला पानी- खांसी चाहे सूखी हो या कफ वाली दोनों ही प्रकार की खांसी के इलाज में नमक मिला पानी पिएं, और साथ में गरारा भी करें. इसकी गर्माहट मिलने से गले में हो रही परेशानियों दूर होती हैं.
प्याज का रस- प्याज का इस्तेमाल खाने में खूब होता है लेकिन इससे ज्यादा फायदेमंद कच्चा प्याज होता है. कच्चे प्याज को निचोड़कर इसका रस निकाल लें और इसमें शहद मिलाकर पीने से बलगम वाली खांसी ठीक होती है.
लेमन टी- नींबू में मौजूद सिट्रिक एसिड और शहद के एंटीसेप्टिक तत्व बलगम कम करने और गले का दर्द दूर करने में मददगार होते हैं. ब्लैक टी बनाइए और उसमें एक चम्मच ताजे नींबू का रस मिलाकर पिएं. इसमें आप शहद भी मिला सकते हैं. बलगम वाली खांसी को दूर करने के लिए ये रामबाण इलाज है.