शरीर में बहुत सी समस्याएं हो जाती है जिसके कारण हमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में लिवर होता है और इसके सही से काम करने से पाचन ग्रंथियां सही रहती हैं. लिवर शरीर में सबसे बड़ा ग्रंथियों वाला अंग होता है जो शरीर को विषाक्त पदार्थों और हानिकारक पदार्थों से मुक्त रखने के लिए अलग-अलग रखने के लिए महत्वपूर्ण काम करता है. पेट के दाहिने ऊपरी चतुर्भुज में पसलियों के ठीक नीचे स्थित होता है. लिवर के पित्त उत्पादन के लिए जिम्मेदार होता है जो एक पदार्थ वो आपको वसा, विटामिन और दूसरे पोषक तत्वों को पचाने में मदद करता है. यह ग्लूकोज जैसे पोषक तत्वों को भी स्टोर करता है और अलग-अलग दवाइयों को भी प्रक्रिया को अलग-अलग भागों में पहुंचाता है.
क्या है लिवर कैंसर ?
लिवर कैंसर को हेपेटिक कैंसर भी कहा जाता है. एक ऐसा कैंसर जो लीवर से शुरु होता है और जब ये लिवर में विकसित होता है तो लिवर की सभी कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं. फिर सामान्य रूप से कार्य करने के लिए लिवर की क्षमता में दखल देता है. लिवर कैंसर दो प्रकार के होते हैं, पहला लिवर कैंसर जो लिवर की कोशिकाओं से शुरु होता है, जबकि दूसरा कैंसर कहीं और से शुरु होकर लिवर तक पहुंच जाता है जिसे मेटास्टेसिस कैंसर कहा जाता है.
लिवर कैंसर के लक्षण -
ज्यादातर लोगों को शुरुआत में लिवर के लक्षण पता नहीं चल पाते, जिसके कारण मरीज को समझ नहीं आता और ये आखिरी स्टेज तक पहुंच जाता है. तब तक बहुत देरी हो जाती है इसलिए आपको पहले से ही इस बीमारी के लक्षणों के बारे में पता होना चाहिए.
1. वजन कम होना
4. हर समय बुखार की गिरफ्त में रहना
6.हेपटेमेगाली
7. बढ़े हुए स्प्लीन
8. पेट में सूजन
9.स्किन और आंखों का पीला होना
10.पैरों में सूजन होना
11.शरीर का तापमान बढ़कर पसीना आना
12.पेशाब का रंग बदल जाना
13.नियमित थकान बने रहना
लिवर कैंसर के कारण
ये तो स्पष्ट नहीं है कि लिवर कैंसर के क्या कारण होते हैं लेकिन कुछ मामलों में कारण पता चल जाता है. उदाहरण के तौर पर कुछ हेपेटाइटिस वायरस के क्रोनिक संक्रमण से लिवर का कैंसर हो जाता है. लिवर कैंसर तब होता है जब लिवर कोशिकाओं के डीएनए में परिवर्तन होते हैं. डीएनए आपके शरीर में हर रासायनिक प्रक्रिया के लिए निर्देश देते हैं और डीएनए में परिवर्तन से इन निर्देशों में परिवर्तन हो जाते हैं और इसका परिणाम भी हो सकता है कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर बढ़ना शुरु कर दें और अंत में एक ट्यूमर बन जाता है.
लिवर कैंसर होने के कारण कुछ ऐसे होते हैं-
1. धूम्रपान करना
2. शराब का सेवन करना
3. हैपेटाइटिस बी फंक्शन
4. हैपेटाइटिस सी फंक्शन
5. परिवार में किसी को पहले लिवर कैंसर होना
6. किसी परजीवी के कारण संक्रमण
7. मधुमेह या शुगर से ग्रस्त लोगों को लिवर कैंसर होने का खतरा होता है.
8. लिवर में फैट का संग्रह होने पर लिवर का खतरा बढ़ जाता है.
9. जरूरत से ज्यादा मोटापा बढ़ जाना भी लिवर कैंसर होने के संकेत देता है.
10. सिरोसिस एक प्रगतिशील और अपरिवर्तनीय बीमारी लिवर में एक निशान ऊतक का कारण बन जाती है और इससे लिवर कैंसर की संभावना बढ़ जाती है.
लिवर कितने चरण के होते हैं ?
सभी जानते हैं कि कैंसर बीमारी के 4 चरण होते हैं फिर ये कैंसर बॉडी के किसी भी पार्ट में हुआ हो. यहां मैं आपको लिवर कैंसर के चारों चरण में जो समस्याएं आती हैं उनके बारे में बताऊंगी.
पहला चरण- लिवर कैंसर के पहले चरण का मतलब होता है कि ट्यूमर रक्त वाहिकाओं में विकसित नहीं हुआ है और कंसर पास के लिम्फ नोड्स या दूसरी जगहों पर नहीं फैलता है.
दूसरा चरण- लिवर कैंसर के दूसरे चरण में ट्यूमर रक्त वाहिकाओं में विकसित हो जाता है. कई छोटे ट्यूमर (सबका साइज 2 इंच से छोटा) विकसित होता है औक कैंसर पास के लिम्फ नोड्स या दूसरी जगहों में नहीं फैला है.
तीसरा चरण- लिवर कैंसर के तीसरे चरण में तीन उप-प्रकार होते हैं, जिसमें पहले कई ट्यूमर मौजूद है और कम से कम 2 इंच से बड़ा है और कैंसर के लिम्फ नोड्स या दूसरी जगहों में नहीं फैला है. दूसरे का मतलब कई ट्यूमर मौजूद हैं और कम से कम एक ट्यूमर नाड़ी की शाखा में बढ़ता है. कैंसर पास के लिम्फ नोड्स या दूसरी जगहों में फैला नहीं है. तीसरे का मतलब ट्यूमर एक पास के अंग या लिवर के बाहरी आवरण में फैला है और पास के लिम्ब नो़ड्स या दूसरी जगहों पर नहीं है.
चौथा चरण- लिवर कैंसर का सबसे उन्न चरण चौथा चरण होता है, जिसमें कैंसर के पास के लिम्फ नोड्स में फैल जाता है और आस-पास की रक्त वाहिकाओँ या अंगों में बढ़ता है. उन्नत लिवर कैंसर अक्सर दूर के अंगों में नहीं फैलकर इसकी फेफड़ों और हड्डियों में फैलने की संभावना होती है.
लिवर कैंसर कितने प्रकार के होते हैं ?
हैपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (एचसीसी)- हैपेटोसेलुलर कार्सिनोमा को हेपेटोमा कहा जाता है, एचसीसी लिवर कैंसर का सबसे आम प्रकार माना जाता है जो लगभग 75 प्रतिशत लिवर कैंसर के मामलों का कारण होता है. एचसीसी मुख्य प्रकार के लिवर के सिरोसिस के संक्रमण के कारण होते हैं.
फाइब्रोलामेलर एचसीसी- यह एक दुर्लभ तरह का एचसीसी है जो आमतौर पर दूसरे प्रकार के लिवर कैसर के मुकाबले इलाज के लिए ज्यादा संवेदनशील होता है.
पित्त वाहिका का कैंसर- यह कैंसर लिवर के अंदर छोटी, ट्यूब जैसी पित्त नलिकाओं में पाया जाता है जो पित्त को पित्ताशयसे जोड़ती है. यह लिवर कैंसर 10 से 20 प्रतिशत तक होते हैं.
एंजियोसार्कोमा- एंजियोसार्कोमा को हेमांजिओकार्सिनोमा के नाम से भी जाना जाता है जो लगभग 1 प्रतिशत लिवर कैंसर के मामलों में पाया जाता है और यह रक्त वाहिकाओं में शुरु होता है और जल्दी बढ़ता है.
लिवर मेटास्टैसिस- यह कैंसर तब विकसित होता है जब शरीर के दूसरे भाग से कैंसर लिवर में फैलता है. ज्यादातर लिवर मेटास्टेस, बृहदान्त्र में उत्पन्न होता है. बृहदान्त कैंसर से ग्रस्त आधे से ज्यादा लोगों को लिवर मेटास्टैसिस भी विकसित होता है.
लिवर कैंसर के उपचार
लिवर कैंसर के लक्षणों के बारे में पता लगते ही आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. इस ट्रीटमेंट की प्रक्रियआ सीटी या एमआईआर स्कैन, लीवर बायोप्सी या फिर ब्लड टेस्ट से शुरु होती है. इसके बाद लीवर कैंसर का ट्रीटमेंट कुछ प्रकार से किया जा सकता है.
सर्जरी- लीवर कैंसर में सर्जरी भी कराने से फायदा मिलता है, जिसमें कैंसर वाले लीवर को हटा दिया जाता है. अगर लीवर में छोटा ट्यूमर है तो ही ये सर्जरी की जाती है लेकिन इस सर्जरी में खून बहने का बहुत खतरा रहता है.
लीवर ट्रांसप्लांट- लिवर ट्रांसप्लांट में डॉक्टर्स की टीम कैंसर वाले पार्ट को हटाकर लीवर को हेल्दी लीवर से बदलने का काम करते हैं. यह तब किया जाता है जब मरीज का कैंसर किसी और अंग में ना फैला हो.
आबलेशन- यह कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए इंजेक्शन के रूप में कार्य करता है. इसमें रोगी को बेहोश कर दिया जाता है, उसे दर्द का अहसास ना हो. यह उनके लिए बहुत फायदेमंद होता है जिनकी सर्जरी या फिर लीवर ट्रांसप्लांट हुआ हो.
रेडिएशन थेरेपी- रेडिएशन थेरेपी में हार्ट एनर्जी वाली रेडिएशन का यूज होता है, जिससे कैंसर के सेल्स खत्म हो जाएं, लेकिन इसका साइड इफेक्ट भी ज्यादा हो जाता है. इसके कारण स्किन में एलर्जी और उल्टी की समस्या जैसी परेशानियां हो जाती हैं.
कीमोथेरेपी- कीमोथेरेपी कैंसर सेल्स को खत्म करती है और यह दवाओं के माध्यम से दी जाती है. यह लीवर कैंसर में काफी प्रभावी होती है लेकिन इस दवा के सेवन करने के दौरान मरीज को उल्टी, भूख कम लगना या ठंड लगना सहित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
लिवर कैंसर में क्या खाना चाहिए ?
आंवले की सब्जी- आंवला पेट और लिवर के लिए बहुत फायदेमंद होता है. आंवलों के टुकड़ों में काली मिर्च, धनिया और हल्का सेंधा नमक मिलाकर सब्जी बनाएं काफी आराम मिल सकता है. इससे लिवर की कठोरता और सूजन में लाभ मिलता है.
गिलोय असरदार- गियोल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है और अगर लिवर से संबंधित कोई परेशानी हो तो नियमित रूप से 15 मिलिलीटर ताजा गिलोय के रस में 20-25 किशमिश मिलाकर पीने से लिवर से संबंधित परेशानियां दूर हो जाती हैं.
पत्तों का रस- अगर हेपेटाइटिस की समस्या है या हेपेटाइटिस की वजह से लीवर में खराबी होने लगी है तो आपको मूली के पत्ते, चुकंदर के पत्ते और पालक के पत्तों (तीनों 250 ग्राम मात्रा में) या मेथी के पत्तों का जूस बनाकर 50 ग्राम चीनी और एक चम्मच काला नमक मिलाकर पीना चाहिए. इससे हेपेटाइटिस की बीमारी ठीक होती है. इससे लिवर स्वस्थ रहने के साथ ही शरीर में खून की कमी भी दूर करता है.
इलाइची और सोंठ- घर में मौजूद कुटकी, चिरायता, सौंफ, इलाइची और सोंठ का मिश्रण बनाकर इसके एक-एक चौथाई चम्मच समान मात्रा में मिलाकर चम्मच पानी में मिलाएं. इससे लीवर से जुड़ी परेशानियां ठीक हो जाती हैं.
प्रोटीन डाइट- शरीर का सबसे ज्यादा काम करने वाला हिस्सा लिवर होता है. हेपेटाइटिस इसी हिस्से को नुकसान पहुंचाता है. हेपेटाइटिस से बचने के लिए रोग प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत रखना जरूरी है. इसके लिए प्रोटीन व विटामिनयुक्त चीजें जैसे दालें, सोयाबीन, दूध व दूध से निर्मित पदार्थ, हरी सब्जियां, फल व सूखे मेवे को अपने दैनिक खाद्य पदार्थों में शामिल करें.
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