दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन गूगल है और दुनिया में जितने भी फेमस लोगों का इतिहास है उनके बारे में गूगल एक डूडल बनाता है और उन्हें इसके जरिए श्रद्धांजलि अर्पित करता है. इस शुक्रवार यानी 22 मार्च को गूगल ने अपने डूडल में जर्मन कंपोजर जोहान सेबेस्टियन (Johann Christian ) का डूडल उनके जन्मदिवस के खास मौके पर बनाया है. जोहान का जान्म साल 1685 को जर्मनी में हुआ था और इनका पालन-पोषण बड़े परिवार में हुआ था और इनके परिवार में कई लोग संगीतकार थे. गूगल ने उनके परिवार के संगीतकार होने की बात को ध्यान में रखते हुए डूडल में AI फीचर्स दिए हैं जिसमें यूजर्स अपनी पसंद के दो मेलोडी कंपोज भी कर सकते हैं और ऐसा पहली बार ही हुआ है.
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गूगल ने पहली बार क्यों बनाया ऐसा डूडल
गूगल के इस डूडल में एआई फीचर्स के जरिए यूजर्स अपनी पसंद के दो मेलोडी प्ले कर सकते हैं. यूजर्स बटन करने के साथ ही मशीन लर्निंग की मदद से ये मेलोडी तैयार कर सकते हैं जिसे बहुत सावधानी से किया जा सकता है. आपको बता दें कि मशीन लर्निंग एक ऐसा तरीका होता है जिसकी मदद से कंप्यूटर अपने जवाब के साथ ही आता है यानी आपको पुराने जमाने की तरह कंप्यूटर कोड नहीं देने होंगे बल्कि ये पूरी तरह से ऑटोमेटिक होता है. Google ने बैच की कंपोजिशन में से 306 कंप्यूटर मॉडल का दर्ज किया और फिर उन्होंने इसे गूगल डूडल को ट्रांसफर कर दिया. यूजर्स मॉडल को इनपुट लेने की अनुमति नहीं देता और उनके अलग बाख-ईश साउंड़िंग पीस कंपोज करता है. जब आप इसमें ये कंपोज करेंगे तो आपको ये काफी मजेदार लगेगा.
कौन थे जौहान सेबेस्टियन ?
जैसा कि आपने गूगल के डूडल पर देखा कि जौहान सेबेस्टियन की तस्वीर दिख रही है और वो कुछ कंपोज करते नजर आ रहा है तो जोहान भी असल में एक बेहतरीन कंपोजर थे. इनके पिता कई तरह भी कई तरह के म्यूजिक इंट्रुमेंट्स बजा लेते थे और इनके खानदान के कई लोग संगीत से जुडे थे. जोहान के बड़े भाई भी एक बेहतरीन संगीतकार थे और जब जोहान 10 साल के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया था. इसके बाद उनके बड़े भाई ने उऩ्हें संगीत की शिक्षा देना शुरु किया और गूगल ने अपन इस डूडल में ये नोट भी जोड़ा है. गूगल ने डूडल में जो नोट जोड़ा है उसमें लिखा है, 'वह एक विनम्र व्यक्ति थे जो अपने काम की सफलता का श्रेय ईश्वर को देते थे और अपने काम की नैतिकता का बहुत सख्ति के साथ पालन करते थे. उन्होंने अपने जीवन में कुछ ही काम को छपते हुए देखा था लेकिन अब उनकी 1000 से ज्यादा मेन्युस्क्रिप्ट छप चुकी है.' जोहान ने 1700 की शुरुआत में चर्च में गाना शुरु कर दिया था. उनकी आवाज बहुत ज्यादा मधुर थी. जिसकी वजह से उन्हें सेंट मिशेल स्कूल में स्कॉलरशिप भी मिली थी. इनकी बेहतरीन आवाज को सुन स्वीडन के क्राउन प्रिंस इतने खुश हुए थे कि उन्होंने अपने हीरे की अंगूठी इन्हें गिफ्ट कर दी थी. साल 1707 में जोहान ऑगैनिस्ट बने और उनकी धुन के फैन आज भी लोग हैं.