मानव शरीर में किडनी बहुत अहम अंगों में से एक होता है. यह शरीर से वेस्ट को बाहर निकालने के अलावा भी कई जरूरी काम करता है. अगर किडनी खराब होने लगता है तो यह काम करना बंद कर देता है, इससे कई परेशानियां और बीमारियां होने लगती हैं. ऐसे में जरूरी है कि किडनी खराब होने से पहले ही हम संकेतों को अच्छे से पहचानकर उनका इलाज कर लें. किडनी शरीर के लिए बहुत जरूरी होती है जो रक्त को साफ करके सारे विषाक्त पदार्थों को मूत्र के रूप में शरीर से बाहर कर देती है.
क्या होती है किडनी यानी गुर्दा ?
किडनी शरीर में खून को साफ करके पेशाब बनाने का काम करती है और इसके अलावा भी किडनी के कई कार्य होते हैं. स्त्री और पुरुष सभी के दो किडनी होती है लेकिन अगर एक किडनी खराब हो जाए तो एक से भी जिंदा रहा जा सकता है. किडनी पेट के अंदर पीछे की ओर रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ होती है जो सीने में जुड़ी पसलियों में सुरक्षित रहती हैं.वयस्क लोगों में एक किडनी 10 सेंटीमीटर लंबी, 6 सेंटीमीटर चौड़ी और 4 सेंटीमीटर मोटी होती है और प्रत्येक किडनी का भार 150-170 ग्राम का होता है. किडनी द्वारा बनाए गए पेशाब को मूत्राशय तर पहुंचाने वाली नली को मूत्रवाहिनी कहते हैं जो समान्य रूप में 25 सेंटीमीटर लंबी होती है और एक खास तरह के लचीले मांसपेशियों से बनी होती है. मूत्राशय पेट के निचले हिस्से में सामने की तरफ यानी पेड़ू में स्थित होता है जिसमें पेशाब जमा होता है. स्त्री और पुरुष दोनों में किडनी रचना, स्थान और कार्य समान होते हैं.
किडनी के कार्य क्या होते हैं ?
रक्त शुद्धीकरण- किडनी लगातार काम करती है और शरीर में बनने वाले सभी जहरीले पदार्थों को पेशाब के द्वारा शरीर से बाहर निकाल देता है. इसके अलावा कुछ जरूरी पदार्थों को अलग-अलग भागों में पहुंचाने का काम करता है. किडनी का काम तब होता है जब हम कुछ खाते-पीते हैं और उस दौरान इसकी कार्यप्रगति तेज होने लगती है.
अपशिष्ट उत्पादों को निकलना- अपशिष्ट उत्पादों को हटाकर रक्त की शुद्धि करना किडनी का सबसे अहम काम होता है. हम जो भी भोजन लेते हैं अगर उसमें प्रोटीन होता है तो ये बहुत अच्छा माना जाता है. प्रोटीन शरीर को आरोग्य रखने और शरीर के विकास के लिए आवश्यक है और इसका शरीर में कई उपयोग होता है लेकिन इस प्रक्रिया में कुछ अपशिष्ट पदार्थों का उत्पादन होते हैं. इन अपशिष्ट पदार्थों का संचय हमारे शरीर के अंदर जहर को बनाए रखने के समान है और हमारी किडनी, रक्त से विषाक्त अपशिष्ट उत्पादों को छानकर उसे शुद्ध करती हैं.
शरीर में पानी का संतुलन- किडनी शरीर के लिए जरूरी पानी की मात्रा को जमा करके शरीर के कोने-कोने में पहुंचाकर वेस्ट पानी को पेशाब की थैली में पहुंचाता है. जब किडनी ख़राब हो जाती हैं तो वे इस अतिरिक्त पानी को शरीर से बाहर करने की क्षमता को खो देता है और शरीर में अतिरिक्त पानी एकत्रित होने के कारण शरीर में सूजन हो जाती है.
अम्ल और क्षार का संतुलन- किडनी शरीर में सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, बाइकार्बोनेट की मात्रा को बराबर रखने का काम करती है. उपरोक्त पदार्थ ही शरीर में अम्ल एवं क्षार की मात्रा के लिए जिम्मेदार होते हैं और सोडियम की मात्रा बढ़ने या घटने से दिमाग पर और पोटैशियम की मात्रा बढ़ने या कम होने से हृदय की गतिविधियों पर गंभीर असर पड़ने लगता है. कैलशियम और फॉस्फोरस को उचित रखना और उनके स्तर को सामान्य रखना हमारे शरीर में स्वस्थ हडिड्यों और स्वस्थ दांतों के लिए जरूरी होता है.
खून के दबाव पर नियंत्रण- किडनी कई हार्मोन बनाती है जैसे एंजियोटेन्सीन, एल्डोस्टोरोन, प्रोस्टाग्लेन्डिन और इन हार्मोनों की सहायता से शरीर में पानी की मात्रा, अम्लों एवं क्षारों के संतुलन को बनाए रखती है. इस संतुलन की मदद से किडनी शरीर में खून के दबाव को सामान्य बनाये रखने का काम करती है और किडनी की खराबी होने पर होर्मोन के उत्पादन एवं नमक और पानी के संतुलन में गड़बड़ी से उच्च रक्तचाप होता है.
हडिड्यों की मजबूती- स्वस्थ हडिड्यों को बनाए रखने के लिए किडनी विटामिन डी को सक्रिय रूप में परिवर्तित करती है जो भोजन से कैल्सियम के अवशोषण, हड्डियों और दांतों के विकास और हड्डियों को मजबूत करता है.
किडनी खराब होने के लक्षण
हृदय के द्वारा पम्प किए गए रक्त 20 प्रतिशत किडनी में जाता है और जहां पर यह रक्त साफ होकर वापस शरीर में चला जाता है. इस तरह से किडनी हमारे रक्त को साफ करती है और सारे टॉक्सिन्स पेशाब के जरिए शरीर से बाहर चले जाते हैं. खराब जीवनशाली और कभी-कभी दवाईयों के कारण किडनी के ऊपर पूरा प्रभाव बनाती है किडनी के बीमारी के बारे में सबसे बुरी बात ये होती है कि इसका पता प्रथम अवस्था में नहीं चल पाता है. जब ये आखिरी स्टेज पर चला जाता है तब इसका पता चलता है इसलिए इसको साइलंट किलर कहते हैं इसलिए किडनी के बीमारी के प्रथम अवस्था को समझने के लिए उसके लक्षणों को जानना बहुत जरूरी होता है.
1. किडनी के बीमारी के प्रथम अवस्था में पेशाब की मात्रा बढ़ने या घटने लगती है और इससे यूरिनरी के कार्यों में कई बदलाव आते हैं.
2. पेशाब की मात्रा बढ़ने में भी समस्या होती है और कम होने पर भी समस्या होती है.
3. पेशाब का रंग गाढ़ा होता है और कई बदलाव आने लगते हैं.
4. जब बार-बार पेशाब होने का एहसास होने लगे मगर करने पर नहीं हो तो कि़डनी में खराबी होने के आसार होते हैं.
5. रात में पेशाब होने की मात्रा बढ़ जाती है या कम होती है. रात को बार-बार उठकर पेशाब करने जाना भी किडनी के अस्वस्थ्य होने का सबसे प्रहला लक्षण माना जाता है.
6. पेशाब करते समय दर्द और दबाव जैसा अनुभव होने लगता तो तब समझ लेना चाहिए कि मूत्र मार्ग में कोई संक्रमण हुआ है.
7. कभी-कभी ऐसी अवस्था में बुखार या मूत्र मार्ग में जलन जैसा अनुभव होने लगता है. कभी-कभी पीठ का दर्द भी दूसरे लक्षणों में शामिल होता है.
8. जब पेशाब में खून आने लगे तब बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह किडनी के खराब होने का निश्चित संकेत होता है.
9. मूत्र त्याग करने के बाद जब उसमें झाग जैसा पैदा होने लगे तो ये भी किडनी खराब होने के संकेत होते हैं.
10. किडनी का अहम काम शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना, लेकिन जब यह कार्य बाधित होने लगता है तब शरीर में अतिरिक्त फ्लूइड जमता है. किडनी खराब होने के कारण शरीर से अतिरिक्त पानी और नमक नहीं निकल पाता है.
11. किडनी से एथ्रोप्रोटीन नाम का प्रोटीन निकलता है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को ऑक्सिजन लाने में मदद करता है. जब इस काम में बाधा आने लगे तब इस हार्मोन का स्तर गिर जाता है. जिसके कारण एनीमिया रोग होता है, जो शरीर में कमजोरी और थकान पैदा करता है.
12. किडनी के बीमारी के कारण मस्तिष्क में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है जिसके कारण चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी आ जाती है.
13. किडनी के बीमारी के कारण जो एनीमिया रोग होता है उससे गर्म परिवेश में भी ठंडक महसूस होती है.
किडनी खराब होने पर रखें सावधानी
जब किडनी बीमार हो जाती है तो तुरंत किडनी रोग विशेषज्ञों से मिलना चाहिए. समय पर सही इलाज होने से डायलिसिस से बचा जा सकता है लोगों में अक्सर ये भ्रम रहता है कि किडनी रोग का मतलब डायलिसिस होता है मगर इसपर जाने वाले 100 मरीज में से 50 मरीज ही होते हैं बाकी दवाई और सही जीवनशैलियों से ठीक हो जाते हैं. अगर आपको भी किडनी खराब होने से बचना है तो इन सावधानियों को बरतना होगा.
1. जब भी पेशाब लगे तो उसे ज्यादा कंट्रोल नहीं करना चाहिए क्योंकि पेशाब आने पर उसे रोकना सीधे किडनी पर असर करता है.
2. अगर आप पानी कम पीते हैं तो उसका असर सीधे किडनी पर पड़ता है और फिर इससे भी खतरा होता है.
3. ज्यादा शराब पीने से लिवर खराब होता है ये तो आपने सुना होगा लेकिन शराब का सबसे तगड़ा असर किडनी पर पड़ता है इसलिए इससे भी बचें.
4. जो लोग ज्यादा मांस खाते हैं तो उनकी किडनी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है और बाद में वो खराब हो जाती है.
5. शुगर के इलाज में लापरवाही बरतने वालों को भी किडनी की समस्या से गुजरना पड़ता है.
6. जो लोग हर बात पर पेन किलर लेते हैं तो उन्हें ये समस्या हो जाती है और इसके अलावा भी कई बीमारियां ऐसे में घेर लेती हैं.
यह भी पढ़ें- लिवर कैंसर के कारण, लक्षण और उपाय