9 Month Pregnancy In Hindi - प्रेग्नेंसी की शुरुआत से ही मां को 9वें महीने का इंतजार होता है और जब नवां महीना आ जाता है तब से वो अपने बच्चे को गोद में खिलाने के लिए उत्सुक रहती हैं.गर्भावस्था नौवां महीना यानी 33वें हफ्ते से लेकर 36 महीने तक मां में बेचैनी और दर्द दोनों का भाव रहता है. इसके साथ ही प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने में प्रेग्नेंट महिलाओं को अपना पहले से ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत होती है क्योंकि ये महीना प्रग्नेंट महिलाओं के लिए बहुत भावनात्मक होता है और इसके सथ ही गर्भावस्था के इस आखिरी महीने में उन्हें सावधानियां बरतने की जरूरत होती है.
प्रेग्नेंसी के 9वें महीने के संकेत -Symptoms of 9th Month of Pregnancy
9वें महीने के दौरान कुछ महिलाओं में अपने बच्चे के स्वागत की तैयारी के लिए उत्सुक होती हैं तो वहीं कुछ महिलाओ में डिलीवरी को लेकर एक डर रहता है. सबसे पहले ये जानने की जरूरत होती है कि गर्भावस्था के 9वें महीने में क्या-क्या लक्षण दिखाई देते हैं.
स्तनों से रिसाव - गर्भावस्था के आखिरी दिनों में गर्भवती महिला के स्तनों से पीले रंग का स्राव होता है जिसे कोलोस्ट्रोम कहा जाता है. कई महिलाओं में ये लक्षण नौवें महीने में ज्यादा होता है.
बार-बार ट्वायलेट आना - गर्भावस्था के नौवें महीने में जब बच्चा पूरी तरह से विकसित हो जाता है तब श्रोणि भाग पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से बार-बार पेशाब आता है. इसके अलावा प्रेग्नेंट महिलाओं में कमर दर्द की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.
शिशु का नीचे की ओर आना - डिलीवरी के कुछ हफ्ते पहले आपको सीने में जलन और सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियां होने लगती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शिशु जन्म के लिए अपनी स्थिति लेता है और नीचे की तरफ आ जाता है.
पतला मल का आना - प्रेग्नेंसी मे पतला मल आना गर्भवती महिला के लिए हैरानी की बात हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भवती महिला को कब्ज की समस्या होती है और नौंवें महीने में पतला मल होना प्रसव का नजदीक आना माना जाता है.
शिशु करता है कम एक्टिविटी - 9वें महीने में शिशु एक्टिविटी करने लगता है और जिस तरह से वह पहले एक्टिविटी करता था अब उतना नही करता है. आखिरी दिनों तक शिशु का विकास पूरी तरह से हो जाता है. इसी कारण उसे गर्भ में हिलने-डुलने की जगह नहीं मिलती है और यही कारण है कि वो एक्टिविटी कम करता है.
योनि स्राव के साथ रक्त दिखना - प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में योनि स्राव के साथ हल्का रक्त भी आता है. यह प्रसव के कुछ दिन या हफ्ते पहले ही होता है. हालांकि, ऐसा होना पूरी तरह से सामान्य होता लेकिन अगर यह स्राव पीले रंग का हो या दुर्गंध आ रहा हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
9वें महीने में प्रेग्नेंट महिला में आने वाले बदलाव
1. इस महीने गर्भवती महिला का कुल वजन 11 से 16 किलो तक बढ़ जाता है.
2. इस समय नितंब तंत्रिका पर दबाव पड़ने के कारण पीठ में भी लगातार दर्द बना रहता है.
3. 9वें महीने में गर्भवती महिला का श्रोणि का भाग खुलने लगता है.
4. प्रसव का समय नजदीक आने पर महिला में तनाव बढ़ जाता है और चेहरे का पूरा नूर चला जाता है.
5. 9वें महीने तक गर्भवती के लिए झुकना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता है.
6. 9वें महीने तक कुछ प्रेग्नेंट महिलाओं को शरीर में ज्यादा बाल महसूस होने लगते हैं खासकर चेहरे और निप्पल के पास.
9वें महीने में बरतें ये सावधानियां
1. आप चाहें तो स्विमिंग पुल में जाकर रिलैकस कर सकती हैं जिससे आपका शरीर प्रसव के लिए तैयार होता है और तनाव में राहत मिलती है.
2. नन्हें मेहमान के आने में ज्यादा समय नहीं होता है इसलिए आपको खास देखभाल करनी चाहिए. हो सके तो हर पल डॉक्टर के कंसर्न में रहे.
3. आप इस महीने में बच्चे के लिए कुछ शॉपिंग कर सकती हैं लेकिन पहले से ज्यादा तैयारी नहीं करनी चाहिए. जह बच्चा आपकी गोद में आ जाए फि दिल खोलकर उसके लिए चीजें खरीद सकती हैं बस उसके जन्म के बाद पहनने के लिए कुछ पुराने कपड़़ों का इंतजाम जरूर कर लें.
4. 9वें महीने में महिलाओं को बिल्कुल आराम करना चाहिए और किसी भी काम के लिए ज्यादा चलना फिरना या फिर ज्यादा देर खड़ा रहना सही नहीं होता है.
5. इस दौरान पीठ के बल नहीं सोएे, इस तरह सोन से गर्भाशय का भार रीढ़ की हड्डी पर पड़ने लगता है और ये दर्द जिंदगी भर रह सकता है.
6. महिलाओं को फायदेमंद चीजों का ही सेवन करना चाहिए और ऐसी चीजें बिल्कुल नहीं खाएं जो खाना आपको बहुत ज्यादा नुकसान करे.