Kya Pregnancy Me Periods Hote Hai In Hindi - बढ़ती उमर् के साथ लड़कियों में कई बदलाव आते हैं और इन बदलावों के साथ उन्हें परेशानी तो होती है लेकिन वे एडजस्ट करती चलती हैं. उन्ही में से एक है पीरियड्स यानी मासिक धर्म जिसे माहवारी भी कहा जाता है. जब लड़की करीब 14 या 15 साल की होती है तब ये प्रक्रिया शुरु होती है और फिर ये सिलसिला 50 से 60 साल की उम्र तक चलता है.
क्या प्रेग्नेंसी में पीरियड्स होते हैं - Kya Pregnancy Me Periods Hote Hai
जब एक स्त्री प्रेग्नेंट होती है तब उसके अंडाशय में अंडोत्सर्ग होना बंद हो जाता है इसके कारण उसे मासिक धर्म नहीं होता है. आमतौर पर महिलाओं को भी पता होता है कि प्रेगेनेंसी के दौरान मासिक धर् नहीं हो सकता है, हालांकि ये सच भी है कि गर्भावस्था में महिलाओं को हल्की ब्लीडिंग तो होती है लेकिन ये मासिक धर्म का कारण बिल्कुल नहीं होता है. प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में होने वाली ब्लीडिंग को डेसिड्यूअल ब्लीडिं कहा जाता है. डेसिड्यूअल ब्लीडिंग इसलिए भी होते हैं क्योंकि गर्भावस्ता के शुरुआती कुछ महीनों में गर्भाशय की परत पतली होती है इसके कारण योनि में खून आता है और गर्भवती महिलाएं इसे मासिक धर्म समझ लेती हैं जबकि ब्लीडिंग मासिक धर्म के कारण नहीं होती है ये बात हर किसी को मान लेना चाहिए.
इस वजह से होती है पहले तीन महीनों में ब्लीडिंग - bleeding during First trimester in Hindi
प्रेग्नेंट महिला को प्रेग्नेंसी के पहले महीने में जो ब्लीडिंग होती है उसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंह कहा जाता है. जब फर्टिलाइज अंडा गर्भवती महिला के गर्भ में जाता है तो उस दौरान महिला को इम्प्लांटेषन ब्ली़डिंग होती है लेकिन इसका प्रवाह कम होता है. हालांकि गर्भावस्था के पहले महीने में महिला अपनी प्रेग्नेंसी महसूस नहीं कर पाती इसलिए इससे संबंधित समस्याओं के बारे में उसे पता नहीं होता है. गर्भावस्था के पहली तिमाही में अमूमन 25 से 30 प्रतिशत महिलाओं को ब्लीडिंग होती है लेकिन यह ब्लीडिंग बहुत हल्की होती है और मासिक धर्म से बिल्कुल अलग होती है. जब नाल गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है तो पहली तिमाही में इसी कारण से महिलाओं को ब्लीडिंग होती है जो आमतौर पर सामान्य होती है.
वैसे पहले तीन महीने में ब्लीडिंग होने के ये कुछ कारण होते हैं -
1. एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने के कारण ही महिलाओं को ब्लीडिंग होती है.
2. संक्रमण के कारण भी ब्लीडिंग होती है.
3. गर्भाशय में भ्रुण डैमेज हो गया हो या फिर गर्भपात हो गया हो तो इस कारण भी बिल्डिंग हो सकती है.
4. मोलर प्रेग्नेंसी की वजह से भी ब्लीडिंग होती है.
प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने पर करें ये काम - Avoid bleeding in pregnancy
भरपूर करें आराम -प्रेग्नेंसी के दौरान आप जितना भी आराम करेंगी उतना आपके और आपके बच्चे के लिए अच्छा रहेगा.अगर आपको ज्यादा ब्लीडिंग होती है तो आराम करने से ये रुक जाती है लेकिन अगर इसके बाद भी ब्लीडिंग नहीं रुक रही तो बिना देर किए आपको डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए.
भारी सामान नहीं उठाएं -अगर प्रेग्नेंसी के दौरान आपको भारी भरकम काम करने से बचना चाहिए. इसमें सीढ़ी चढ़ना, तेज चलना, दौ़ड़ना और कोई भी वजनदार चीज का उठाना शामिल है. प्रेग्नेंसी में इन सभी कामों को करने से बचें वरना गर्भावस्था में ऐसा करने से गर्भाशय में दबाव पड़ता है और इसके कारण आपके गर्भनाल की परतें नाजुक हो जाएंगी और रक्तवाहिकाएं टूट जाएंगी जिसके कारण आपके बच्चे को खतरा हो सकता है.
सेक्स करने से खुद को बचाएं - प्रेग्नेंसी के दौरान अगर हो सके तो यौन संबंध बनाने से बचें. हम आपको ये इसलिए बता रहे क्योंकि सेक्स करने से योनि से ज्यादा ब्लीडिंग होने लगेगी और इससे आपकी सेहत पर असर तो पड़ेगा ही आपके बच्चे को भी नुकसान हो सकता है. अगर आप प्रेग्नेंट हैं तो जब तक डॉक्टर इंटरकोर्स करने की सलाह नहीं देती तब तर आपको इससे परहेज करने की जरूरत होती है और कम से कम आप अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए ऐसा नहीं करें.
टैंपोन का नहीं करें प्रयोग - प्रेग्नेंसी में होने वाली ब्लीडिंग मासिक धर्म के कारण नहीं होती है ये आपको हम बता चुके हैं इसलिए अगर गर्भावस्था में ब्लीडिंग होती है तो टैंपोन का इस्तेमाल तो बिल्कुल भी नहीं करें. अगर फिर भी आप ऐसा करती हैं तो योनि की दीवारों पर ब्लीडिंग ज्यादा हो सकती है और इस दौरान योनि के माध्यम से गर्भाशय पर भी इसका गंभीर संक्रमण हो सकता है.
खूब पीएं पानी - गर्भावस्था में खून और पानी की बहुत कमी हो जाती है और ऐसे में आपको ज्यादा पानी पीना चाहिए लेकिन एक लिमिट में इस बात का ख्याल रहे.पर्याप्त पानी पीने से गर्भवती महिला के शरीर में द्रव पदार्थ की पूर्ति होती है जिससे मां और होने वाला शिशु दोनों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है.
पीरियड्स में दर्द के कुछ उपाय - Treatment of Pain in Periods
महीने के 5 दिन पीरियड्स रहते ही हैं और इस दौरान उन्हं बहुत दर्द रहता है, हालांकि ये एक ऐसा शारीरिक चक्र है जिसके होने पर भी महिलाओं को कष्ट उठाना पड़ता है लेकिन अगर नहीं होता है फिर भी कष्ट उठाना होता है. जब पीरियड्स होते हैं उस दौरान महिलाओं को बहुत दर्द होता है और इससे उनकी लाइफस्टाइल अस्त-व्यस्त हो जाती है. कई बार इतना दर्द होता है कि उन्हें दवा लेनी पड़ती है अगर आपको सच में बहुत दर्द होता है तो प्रिमोलुट एन टैबलेट या नोरिथिस्टेरॉन टैबलेट 5 mg लेना सही रहता है लेकिन अगर आप इन्हें नहीं लेना चाहती तों कुछ देसी नुस्खे भी आजमा सकती हैं.
1. पीरियड्स के दर्द में अदरक खाना बहुत फायदेमंद माना जाता है. आप चाहें तो इसके छोेटे-छोटे टुकड़ों को पानी में उबालकर पी सकती हैं इससे आपके दर्द में आराम मिलेगा.
2. पपीता पाचन क्रिया को मजबूत बनाने में मददगार होता है लेकिन पीरियड्स में इसका सेवन करना उसके दर्द में रामबाण इलाज माना जाता है.
3. अगर आपको बहुत तेजी से दर्द है तो चाय बनाते समय उसमें तुलसी के कुछ पत्तों को डालें और इस चाय को दिनभर में दो बार पीएं, आराम मिलेगा.
4. पीरियड्स के समय अक्सर महिलाओं को गैस की सम्सया हो जाती है इस वजह से भी पेट में मरोड़ होने लगती है. इससे बचने के लिए आपको गरम पानी में अजवाइन मिलाकर पीना चाहिए, दर्द में आराम
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