बिहार के मुजफ्फरपुर में सैकडो़ं मौत हो गई और लोग प्रशासन को दोष दे रहे हैं लेकिन इस बात को नहीं समझ रहे कि ये चमकी बुखार हो किस वजह से रहा है. दूसरों को दोष देने से अच्छा है कि इसका उपचार बेहतर तरीके से कैसे हो इस बारे में सोचा जाए. चमकी एक तरह का दिमागी बुखार होता है जो गंदे पानी या दूषित भोजन के सेवन की वजह से हो जाता है. ये Dimagi Bukhar होता कैसे है इस लेख में हम आपको ये बीमारी कैसे होती है, इसके लक्षण क्या हैं? और इससे कैसे बचा जा सकता है, इसके बारे में मैं आपको बताऊंगी.
क्या होता है दिमागी बुखार ?
दिमागी बुखार को अंग्रेजी और डॉक्टरी भाषा में मेनिनजाइटिस भी कहते हैं. मेनिनजाइटिस मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की झिल्लियों में आने वाली एक सूजन होती है जिसका इलाज अगर आपने समय पर नहीं कराया तो मरीज की मौत भी हो सकती है. मेनिनजेस के आस-पास स्थित तरल पदार्थ के संक्रमित होने पर दिमागी बुखार हो जाता है. बैक्टीरियल मेनिजाइटिस बहुत गंभीर होता है और ये पीड़ित मरीज के संपर्क में आने से भी हो सकता है लेकिन वायरल मेनिनजाइटिस कम गंभीर होता है और ज्यादातर लोग बिना इलाज कराए ही ठीक हो जाते हैं. फंगल मेनिनजाइटिस इस रोक का एक दुर्लभ रुप माना जाता है, वैसे ये आमतौर पर उन्हें होता है जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है.
दिमागी बुखार के कारण
मेनिनजाइटिस एक दुर्लभ संक्रमण होता है जो एक वायरल संक्रमण के कारण हो जाता है लेकिन यह जीवाणु या फंगल संक्रमण के कारण भी होता है. बैक्टीरियल मैनिजाइटिस, मेनिन्जाइटिस का सबसे गंभीर रूप माना जाता है. इन सबमें तुरंत चिकित्सा मिलनी चाहिए वरना बीमारी गंभीर रूप ले सकती है. इसके अलावा दिमागी बुखार के कारण कुछ इस तरह हैं-
1. वायरल मैनिंजाइटिस बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस की तुलना में कम गंभीर माना जाता है और सामान्य प्रतिरक्षा प्रणाली वाले अधिकांश लोग इससे प्रभावित हो जाते हैं लेकिन ठीक से उपचार मिलने पर ये आसानी से ठीक हो जाता है.
2. फंगल मेनिन्जाइटिस संक्रमण क एक दुर्लभ संक्रमण होता है. जो पर्यावरण से बीजाणु से होता है. आमतौर पर ये केवल प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को प्रभावित करता है.
3. मेनिनजाइटिस अंसक्रामक कारणों से भी दिमागी बुखार हो सकता है जैसे रासायनिक प्रतिक्रियाएं, दवाओं से एलर्जी, कुछ कैंसर और साइकॉइडोसिस जैसी सूजन.
4. धीमी गति से वृद्धि करने वाले जीव आपके मस्तिष्क के आसपास की झिल्लियों और तरल पदार्थों पर आक्रमण कर देती हैं और इसके कारण क्रोकिन मेनिनजाइटिस बनने लगते हैं.
5. अगर आपके आस-पास ज्यादा गंदगी है या दूषित पानी या फिर आप दूषित खाने का सेवन कर रहे हैं तो ये बीमारी हो सकती है. कई मामलों में जहां सुअरों का बसेरा होता है वहां ये संक्रमण ज्यादा फैलता है.
दिमागी बुखार के लक्षण
मैनिन्जाइटिस से होने वाली सूजन कई ऐसे लक्षणों को ट्रिगर करती हैं जो कई घंटों या कुछ दिनों में विकसित होते हैं. दिमागी बुखार के लक्षण होने के संभावित संकेत कुछ इस तरह से पहचाने जाते हैं-
1. अचानक तेज बुखार
3. उल्टी या मितली होना
4. भूख का तेजी से कम होते जाना
5. लाइट में आंखों को समस्या होना
7. चिड़चिडा़पन
8. गर्दन और शरीर में अकड़न
9. सिर हर समय गरम रहना और पूरे शरीर में बुखार रहना
10.सिर का भारीपन और हर समय नींद आना
दिमागी बुखार से बचाव
दिमागी बुखार यानी जापानी इंसेफ्लाइटिस आजकल सुर्खियों में है. दिमागी बुखार के दौरान याद्दास्त तक जाने का डर होता है. इसके अलावा कोमा में जाना, आवाज चली जाना, लकवा मारना, शरीर के हिस्से में कंपन होने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. दिमागी बुखार से आप इस तरह से बच सकते हैं-
1. दिमागी बुखार से पीड़ित व्यक्ति से दूरी बनाकर रहें
2. बुखार से बचने के लिए पहले ही हिमोफिलीस इन्फ्लूएंजा टाइप बी वैक्सीन लगवा सरते हैं जिससे आपका इम्युन सिस्टम इस वायरस से लड़ सकता है.
3. बदलते मौसम में अपने इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाकर रखिए. इसके लिए आपको नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए.
4. अगर आपको कानों में बहुत ज्यादा दर्द है तो इसकी जांच करवाएं क्योंकि ये दिमागी बुखार का एक लक्षण होता है.
5. धूम्रपान से बचें और कोई भी एल्कहोलिक पदार्थों का सेवन नहीं करें खासकर बदलते मौसम में इन चीजों से दूरी बनाएं.
दिमागी बुखार के उपचार
सबसे पहले तो अगर आपको बुखार लगातार 1 हफ्ते आ रहा है तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें. इसके अलावा किसी भी बुखार को हल्के में नहीं लेना चाहिए, हर जांच के बाद आपको दिमागी बुखार का उपचार शुरु कर देना चाहिए क्योंकि ये कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती है. bukhar ka ilaj आपको इन तरीकों से भी किया जाता है-
1. शरीर को पूरी तरह से आराम दें
2. रोगी को अंधेरे और शांत कमरे में रखें
3. लिक्विड फूड नहीं लें और ओआरएस का घोल लेते रहें.
4. रोगी को अनार का जूस दें और लहसुन का सेवन कराएं
5. रोगी को उल्टी आए तो आपको इससे दूर रहना चाहिए क्योंकि इसमें संक्रमण हो सकते हैं जो आपके सांस लेने के दौरान आपके अंदर जा सकते हैं.
6. अगर बुखार की वजह से सिर जले तो कपड़े में बर्फ लगाकर सिर की सिकाई करते रहें.
7. जब भी पानी पिएं उसे उबालकर छानकर पिएं. रोगी को खाने और पीने का विशेष रूप से ख्याल रखना चाहिए.
8. जिस शहर या क्षेत्र में इस बीमारी के होने की खबर आपको हो वहां पर मास्क पहनकर चलें.
9. दिमागी बुखार में ayurvedic dawa का इस्तेमाल करना भी उपयोगी होता है.
10. दिमागी बुखार की दवाएं आपको नियमित रूप से लेना चाहिए क्योंकि इससे ही आपकी रिकवरी अच्छे से हो सकती है.
निष्कर्ष- दिमागी बुखार का इलाज अगर सही समय पर नहीं होता है तो इसका परिणाम बुरा होता है. सही तरह से मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं मिलने पर इस बीमारी में जान भी चली जाती है. गंदगी, दूषित खान-पान और छूआ-छूत से होने वाली इस बीमारी का आयुर्वेद में भी अच्छा इलाज है. इसके लिए आप हमारी आयुर्वेदिक उपचार की एक्सपर्ट्स से भी परामर्श ले सकते हैं.