वैसे तो हर बीमारी शरीर को हानि पहुंचाती है लेकिन हैजा बहुत ही खतकनाक संक्रामक बीमारी है जिसके कारण जीवाणु भोजन और पानी के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है. कीटाणुओं के शरीर में फैलते ही इसका असर 3 से 4 दिनों में दिखने लगता है और अगर समय पर इसके लक्षण पता चल जाएं तो इसकी जांच में बिल्कुल देरी नहीं करनी चाहिए. हैजा रोग विबियो कोलेरी बैक्टीरिया द्वारा फैलता है जिसमें आंतों में दर्द, उल्टी-दस्त और हर समय जी मिचलाने जैसे मुख्य लक्षण दिखने लगते हैं. कैसे होती है हैजा बीमारी इसके बारे में जानकारी प्राप्त करते ही अगर आपने इसका समय पर उपचार नहीं करना मौत को दावत देने के बराबर होता है.
कैसे होती है हैजा बीमारी -
गंदे पानी का सेवन, दूषित फूड आइटम या फिर ज्यादा गंदी बदबू शरीर के अंदर जाते ही बीमारी अपना काम करना शुरु कर देती है. इस बैक्टीरिया के कई प्रकार होते हैं जिसमें रोग के लक्षण के आधार पर इस संक्रमण के प्रकार का पता लगाया जा सकता है. बैक्टीरिया सबसे पहले आंतों को प्रभावित करता है जिसमें आपको दस्त की शिकायत सबसे पहले आने लगती है. कम पान का सेवन करने से इसमें आपको चक्कर भी आ सकते हैं और कभी-कभी इसके कारण मौत भी हो जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर से पानी के साथ कई जरूरी लवण भी बाहर निकल जाते हैं, जिससे व्यक्ति के शरीर का रक्त अम्लीय होता है और मृत्यु हो जाती है.
हैजा रोग के लक्षण -
1. जब दूषित खाना या पानी जब शरीर में जाता है तो शरीर के अंदर कई बैक्टीरिया उत्पन्न हो जाते हैं जिन्हें समय रहते कंट्रोल करना जरूरी होताहै.
2. हैजा रोगी को प्यास ज्यादा लगती है और पेशाब होना काफी कम हो जाता है. इसके साथ ही रोगी बहुत कमजोर हो जाता है धीरे-धीरे उनके चलने की शक्ति भी कम होती जाती है.
3. हैजे के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करने के बाद अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं और जब पर्याप्त संख्या में ये हो जाते हैं तब वो शरीर में जहर बनाने लगते हैं. तभी इसमें खाना अच्छा नहीं लगता और हर समय थकावट लगी रहती है.
4. हैजा में रोगी जबरदस्ती उल्टी करता है और अगर ये नहीं भी होती तो हमेशा जी मिचलाता रहता है. उल्टी और दस्त इसके प्रमुख लक्षण बताए जाते हैं.
5. हैजा रोग की शुरुआत होने पर पल्स धीरे चलने लगती है, हाथ-पैर ठंडे होने लगते है, सांस फूलने लगती है और रंग भी पीला सा हो जाता है.
हैजा रोगियों के उपचार का तरीका -
विज्ञान के इस युग में हर बीमारी का इलाज संभव है और जिन बिमारियों का इलाज संभव नहीं है तो उनपर रिसर्च किया जा रहा है. बैक्टीरिया की दूसरी जातियों ने दवा के प्रतिरोधक क्षमता को विकसित किया है और अभी जो एंटीबायोटित दवाएं हैं वे रोग की अवधि को कम करती हैं और इसे फैलाती है. हालांकि गंभीर बीमारियों का इलाज हमेशा डॉक्टर्स की सलाह पर करना चाहिए लेकिन कभी-कभी हालत गंभीर होने पर उन्हें डॉक्टर के पास ले जाने तक आप कुछ उपाय कर सकते हैं -
1. हैजा की संभावना होते ही आपको तुरंत डॉक्टर को कंसर्न करना चाहिए क्योंकि वे मरीज का उपचार सही ढंग से कर सकते हैं. डॉक्टर सलाइन चढ़ाकर, एंटीबायोटिक दवाईयां देकर रोग को बढ़ने से रोक सकते हैं.
2. उल्टी-दस्त होने रोगी को नमक-चीनी और पानी का घोल देना शुरु कर देना चाहिए. इसके अलावा समय-समय पर इलेक्ट्रॉल घोलकर रोगी को जरूर पिलाएं.
3. हैजा रोगियों के लिए पुदीना रामबाण औषधि मानी जाती है. रोगी को पुदीना से बना फूड आइटम्स देना शुरु कर देना चाहिए जिसमें सबसे ज्यादा पुदीना का रस शामिल होना चाहिए.
4. हैजा रोग होने की शुरुआत होने पर प्याज का सेवन ज्यादा करना चाहिए. प्याज रस में हींग मिलाकर इसे दिन में दो बार पीना शुरु कर देना चाहिए.
5.हैजा रोगियों में दो मुख्य लक्षण पाए जाते हैं एक उल्टी आना और दूसरा पेशाब नहीं आना तो ऐसे में रोगी को कमर में चारों तरफ राई का लेप लगा देना चाहिए. इससे उल्टी भी बंद हो जाती है और पेशाब होना भी शुरु हो जाएगा जो हैजा के रोग को कम करने के लिए मददगार साबित होगा.