अक्सर जब हम सोकर उठते हैं तो हमारे शरीर में पेन होता है और खासकर ये दर्द गर्दन में होता है जो सीधी नहीं हो पाती है. शरीर के दर्द को एक बार बर्दाश्त किया जा सकता है लेकिन गर्दन का दर्द बहुत तकलीफ देता है क्योंकि इसकी वजह से गर्दन में जो घुमाव होता है को पूरी तरह से हो नहीं पाता और तकलीफ बनी रहती है. गर्दन में होने वाले दर्द को आमतौर पर लोग नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन कई बार यह दर्द बहुत खतरनाक साबित हो सकता है. गर्दन में दर्द किसी भी उम्र की महिला या पुरुष या फिर बच्चों को हो सकता है. जीवनशैली के कारण पिछले कुछ सालों में सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के रोगियों में कुछ ज्यादा ही वृद्धि हुई है. gardan ka dard एक गंभीर बीमारी बन सकता है इसके पहले आपको इलाज करा लेना चाहिए.
कैसे होता है गर्दन में दर्द ?
मानव शरीर में गर्दन कशेरुका से बना होता है जो ऊपरी धड़ से खोपड़ी तक फैली होती है. मांसपेशियोंस अस्थिबंधक और हड्डी गति के लिए अनुमति देते हैं और व्यक्ति के सिर का भी समर्थन करते हैं. किसी भी चोट, सूजन, और असामान्यताएं गर्दन को कठोरता या दर्द का कारण बना देती हैं. गर्दन की मांसपेशियों या गलत दिशाओं में गर्दन को बार-बार घुमाने से गर्दन कठोर बन जाती है और यह एक व्हिप्लाश, संपर्क खेल या गिरावट के कारण गर्दन का दर्द आम हो जाता है. अब अगर सर्वाइकल की बात करें तो गर्दन का दर्द सर्वाइकल को प्रभावित करता है जिसे सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस कहते हैं. यह गर्दन के निचले हिस्से दोनों कंधों, कॉलर बोन तक पहुंच जाता है. इससे गर्दन को घुमाने में परेशानी होना शुरु होती है जो अचानक बढ़ जाती है. कमजोर मांसपेशियों के कारण हाथों को उठाना भी मुश्किल हो जाता है.
गर्दन में दर्द के कारण
गर्दन में दर्द होना एक आम समस्या है, आमतौर पर जब हम किसी कारणवश गलत मुद्रा में सो जाते हैं तो मांसपेशियों में तनाव होता है. उदाहरण के तौर पर कंप्यूटर पर काम करके समय स्क्रीन की तरफ झुकना, मोबाइल में ज्यादा देर तक समय बिताना, सोते समय ऊंची तकिया का इस्तेमाल करना जैसी समस्याएं हैं. गर्दन दर्द के लिए जोखिम कारकों में स्पोर्ट्स, मोटर वाहन दुर्घटनाओं, बैल या घुडसवाहरी से लगने वाली चोटें सीधे गर्दन पर असर डालती हैं. इसके अलावा गर्दन में दर्द क्यों होता है इसके बारे में अब आपको बताऊंगी.
मांसपेशियों में खिंचाव- किसी भी वाहन को झुककर चलाना, कंप्यूटर पर झुककर काम करने से या फिर झुककर काम करने वाली सभी कामों की वजह से मांसपेशियों खिंचाव आता है और दर्द शुरु हो जाता है. अगर आप अपने बेड या सोफे पर झुककर पढ़ाई भी करते हैं समस्या गर्दन में ही होती है.
जोड़ों का घिसना- शरीर के दूसरे सभी जोडो़ं की तरह गर्दन के जोड़ भी उम्र के साथ घिसने लगते हैं जो गर्दन में ओस्टोआर्थराइटिस जैसी समस्या शुरु हो जाती है.
नसों पर दबाव- कई बार गर्दन की हड्डी या डिस्क ज्यादा जगह घेर लेती है जिससे रीढ़ की हड्डी से बाहर निकलने वाली नसों पर दबाव पड़ने लगता है, जिसके कारण ये हो जाता है.
चोटें- गाड़ी द्वारा गाड़ी को पीछे से टक्कर मारकर अक्सर गर्दन में मोच का कारण बनता है क्योंकि इसमें गर्दन को पीछे की तरह तेजी से झटका लगता है जिसके तुरंत बाद आगे की ओर झटका लगता है. ऐसा होने पर गर्दन की नरम ऊतकों में ज्यादा खिंचाव पड़ने लगता है.
रोग- गर्दन में दर्द का कारण कुछ भी रोग हो सकता है, जैसे रुमेटी गठिया या रुमेटाइड अर्थराइटिस, दिमागी बुखार या फिर गर्दन का कैंसर.
गर्दन में दर्द के लक्षण
वैसे तो जब गर्दन में दर्द होता है तब गर्दन मोड़ने पर पता चल जाता है कि समस्या है लेकिन कभी-कभी हम उसे कंधे का दर्द या फिर कुछ और समस्या समझ लेते हैं. असल में गर्दन के दर्द के कुछ दूसरे लक्षण होते हैं जो कुछ इस तरह हैं.
1. गर्दन सुन्न हो जाना
3. गर्दन छूने पर दर्द होना
4. खाना निगलने में कठिनाई
5. कांपना
6. सिर में सरसराने की आवाज का महसूस होना
7. चक्कर आना
8. लसीका ग्रंथि में सूजन
अगर इसके गर्दन दर्द के लक्षण एक हफ्ते तक बने रहते हैं तो आपको डॉक्टर्स से परामर्श ले लेना चाहिए. वैसे अगर कुछ ऐसे लक्षण सामने आएं को इन्हें भी नजरअंदाज ना करें.
1. बिना किसी कारण गर्दन में भीषण दर्द
2. गले में गांठ का बनना
3. बुखार
4. सिर में दर्द बने रहना
5. ग्रंथियों में सूजन
6. जी मितलाना या उल्टी होना
8. मूत्राशय में किसी भी तरह की परेशानी का होना
गर्दन में दर्द का घरेलू उपाय
अगर गर्दन का दर्द गंभीर रूप से हो रहा है तो आपको डॉक्टर से एक बार जरूर दिखा लेना चाहिए. वैसे आम गर्दन के दर्द के लिए आपको अपने घर पर ही इसका उपचार कुछ इस तरह से कर लेना चाहिए.
व्यायाम करना- गर्दन के दर्द में राहत दिलाने के लिए व्यायाम करना बेस्ट ऑप्शन होता है. व्यायाम और स्ट्रेचिंग करने से आपकी गर्दन लचीली और मजबूत होगी. पेट की मांसपेशियों में समस्या आने पर शरीर का ऊपरी हिस्सा पीछे की ओर मुड़ नहीं पाती है और इसके कारण आपकी गर्दन आगे की ओर झुक सकती है. ऐसे में बेंट नी कर्ल जैसे व्यायाम पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं. अपने सिर को आगे और पीछे की ओर झुकाएं या फिर दाईं व बाईं ओर झुकाएं. जब आपकी मांसपेशियों का तनाव कम हो जाए तो अपने सिर को पूरी तरह दाईं ओर झुकाएं और फिर पूरी तरह बाईं ओर झुकाएं. इस व्यायाम को आप कम से कम 20 बार दोहराएं.
एसेंशियल ऑयल के साथ मालिश- पिपरमिंट ऑयल, लैवेंडर ऑयल, तुलसी का तेल और एक चम्मच जैतून का तेल सभी एसेंशियल ऑयल को एक साथ मिलात लें और इन्हें थोड़ा गर्म कर लें. फिर अपनी गर्दन पर इससे मालिश करं अगर आप चाहें तो जैतून का तेल अलग से भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस प्रक्रिया को दिन में दो बार करें.
सेब का सिरका- गर्दन के दर्द के लिए सेब का सिरका बेहतरीन उपाय होता है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गर्दन की मांसपेशियों में तनाव को कम करता है. गर्दन में दर्द कम ना होने तक इसे दि में दो बार लगाना चाहिए. सेब के सिरके में एक नैपकिन या टिश्यू भिगोकर गर्दन पर रखें और एक घंटे के बाद इसे हटा दें, आराम मिलेगा.
बर्फ का करें इस्तेमाल- बर्फ के टुकड़े को एक मोटे तौलिया में लपेटकर गर्दन पक सिकाई करें. अगर गर्दन पर सूजन होगी तो इस सिकाई से वो दूर हो जाता है. ठंडक की वजह से गर्दन दर्द में राहत मिलती है.
गर्दन के लिए विटामिन्स- गर्दन के दर्द विटामिन की कमियों से भी होता है. जब शरीर से विटामिन्स कम होने लगते हैं तो कई तरह की समस्या उत्पन्न हो जाते हैं. अगर आप लगातार गर्दन के दर्द से परेशान हैं तो आपको विटामिन्स के रूप में सही आहार लेना शुरु कर देना चाहिए.