धरती के अंदर होने वाली हलचल और इसके प्रभावों पर देश के चार बड़े संस्थानों ने हाल ही में अध्ययन किया है. इसमें यह सामने आया है कि देश में आने वाले समय में आठ से ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप आ सकते हैं, जो बड़ी तबाही मचा सकते हैं.
यह अध्ययन देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, हैदराबाद, नेशनल सेंटर फॉर अर्थ सीस्मिक स्टडीज, केरल और आईआईटी खड़गपुर ने किया है.
इस बारे में वाडिया संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक और जियोफिजिक्स के प्रमुख डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि वैज्ञानिकों ने वर्ष 2004 से 2013 के बीच कुल 423 भूकंपों का अध्ययन किया.
इसमें सामने आया कि 1905 से अब तक इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराने पर घर्षण से पैदा हुई कुल ऊर्जा में से भूकंपों के जरिए केवल तीन से पांच प्रतिशत ऊर्जा ही निकली है. इसका मतलब यह है कि आने वाले समय में आठ से ज्यादा तीव्रता का भूकंप आने की पूरी आशंका है.
गौरतलब है कि वर्ष 1905 में कांगड़ा में भीषण भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता 7.8 मापी गई थी. उस वक्त जान-माल की व्यापक तबाही हुई थी.
कांगड़ा के बाद साल 2015 में नेपाल में 7. 8 तीव्रता के भूकंप ने तबाही मचाई थी. डॉ. कुमार बताते हैं कि उत्तर पश्चिम हिमालय क्षेत्र में इंडियन प्लेट उत्तर दिशा की तरफ खिसक रही है और यूरेशियन प्लेट के नीचे दबाव पैदा कर रही है.
इससे इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा फॉल्ट सिस्टम बन गये हैं. इसमें मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी), मेन बांउड्री थ्रस्ट (एमबीटी) और हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (एचएफटी) प्रमुख हैं.
अपने अध्ययन को पुख्ता करने के लिए वाडिया इंस्टीट्यूट ने हिमालय में विभिन्न जगहों पर 12 ब्रांडबैंड सीस्मिक स्टेशन लगाये और कई सालों के अंतराल में इन स्टेशनों पर रिकार्ड भिन्न-भिन्न प्रकार के भूकंपों का विश्लेषण किया.
हालांकि, इन सभी अध्ययनों के बावजूद डॉ. सुशील कुमार ने कहा कि यह नहीं बताया जा सकता कि भविष्य में बड़ा भूकंप कब और कहां आयेगा.
डॉ. सुशील ने बताया कि राज्य सरकार के साथ भूकंप की तैयारियों को लेकर हाल में हुई एक बैठक के दौरान उन्होंने सुझाव दिया है कि हर गांव में एक भूकंप रोधी इमारत बनवा दी जाये जहां भूकंप की चेतावनी मिलने या भूकंप आने के बाद लोग रह सकें.
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