मेट्रो मैन' इ.श्रीधरन, दिल्ली वालों के लिए Real Life Shaktimaan से कम नहीं हैं. दिल्ली की दिनों-दिन बढ़ती आबादी और लाखों लोगों को तय वक़्त पर उनकी मंज़िल तक पुहंचाने का पूरा श्रेय श्रीधरन को ही जाता है.
कौन हैं श्रीधरन?
कहते हैं एक सच्चा लीडर वही है, जो सबको साथ लेकर चलता है और तमाम मुश्किलों के बावजूद वही करता है जो सही है. श्रीधरन भी एक ऐसी ही शख़्सियत हैं.
12 जून 1932 को केरल के पलक्कड़ ज़िले में श्रीधरन का जन्म हुआ. प्रारंभिक शिक्षा अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल और पलक्कड़ के Victoria College से हुई. आगे चलकर उन्होंने आंध्र प्रदेश के काकीनाडा ज़िले के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से Civil Engineering की पढ़ाई की.
श्रीधरन ने कुछ दिनों के लिए Kozhikode के एक Polytechnic College में Civil Engineering के Lecturer के रूप में भी काम किया. इसके अलावा Bombay Port Trust में Apprentice का काम भी किया. 1953 में UPSC द्वारा कराये जाने वाले Engineering Services Exam पास किया और IES बने. 1954 के दिसंबर पहली पोस्टिंग मिली और श्रीधरन दक्षिण रेलवे के एक Probationary Assistant Engineer बने.
पमबन ब्रिज की मरम्मत
1964 के दिसंबर महीने में भयंकर तूफ़ान आया और रामेश्वरम् को तमिलनाडु से जोड़ने वाला पमबन ब्रिज क्षतिग्रस्त हो गया. रेलेव ने ब्रिज की मरम्मत का काम 6 महीने में ख़त्म करने को कहा और श्रीधरन के बॉस ने मरम्मत की डेडलाइन दी 3 महीने. सबको चौंकाते हुए श्रीधरन ने अपनी देख-रेख में 46 दिनों के अंदर ब्रिज की मरम्मत करवा दी.
कोलकाता मेट्रो
1970 से 1975 के बीच, कोलकाता मेट्रो की Planning, Designing और Implementing का काम श्रीधरन ही देख रहे थे. भारत में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इतिहास में ये एक क्रांतिकारी प्रोजेक्ट था. श्रीधरन की देख-रेख में ही भारत को कोलकाता मेट्रो के रूप में पहली मेट्रो रेल मिली.
बदल दी Cochin Shipyard Limited की काया
श्रीधरन जब अक्टूबर, 1979 में Cochin Shipyard से जुड़े तब ये घाटे में चल रही थी. श्रीधरन ने यहां भी करिश्मा कर दिखाया और सालों से अटके MV Rani Padmini जहाज़ के Construction को 2 सालों में ही पूरा करवा दिया.
कोंकण रेलवे प्रोजेक्ट
इस प्रोजेक्ट की गिनती दुनिया के सबसे मुश्किल प्रोजेक्ट्स में होती है. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने 1990 में कोंकण रेलवे प्रोजेक्ट के CMD के रूप में कार्यभार संभाला. उनकी देख-रेख में ही मुंबई-कोची रूट पर ट्रेन लाइन्स बिछाई गई. 7 साल में श्रीधरन ने ये काम पूरा कर दिया.
दिल्ली मेट्रो
कोंकण रेलवे प्रोजेक्ट के बाद श्रीधरन ने दिल्ली मेट्रो प्रोजेक्ट अपने हाथों में लिया. DMRC ने दिल्ली और एनसीआर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की शक्ल और सूरत बदल कर रख दी. टारगेट से पहले काम पूरा करने के अपने रिकॉर्ड को श्रीधरन ने यहां भी बरक़रार रखा. दिल्ली मेट्रो में उनके अभूतपूर्ण योगदान के लिए फ़्रांस सरकार ने उन्हें Chevalier de la Legion d'honneur से सम्मानित किया था.
श्रीधरन ने 2005 में रिटायर होने की घोषणा की थी लेकिन उनके काम को देखते हुए दिसबंर 2011 तक उनके कार्यकाल को बढ़ा दिया गया.
श्रीधरन यहीं नहीं रुके. 2011 के बाद उन्होंने कोचि मेट्रो, जयपुर मेट्रो, लखनऊ मेट्रो, कोयंबटूर मेट्रो में Advisory की भूमिका निभाई.
श्रीधरन के देख-रेख में कई बार हादसे भी हुए. ख़ुद को दोषी मानकर उन्होंने इस्तीफ़े भी दिए, लेकिन वो नामंज़ूर कर दिए जाते. पिछले साल ही लखनऊ मेट्रो के सलाहकार के पद से श्रीधरन इस्तीफ़ा देना चाहते थे, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने उनका इस्तीफ़ा नामंज़ूर कर दिया.
शुक्रिया श्रीधरन! लाखों लोगों के लिए रोज़ के सफ़र आसान और आरामदायक बनाने के लिए.
’मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन: ऐसी शख़्सियत जिन्होंने भारत में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की काया पलट दी