देश में पिछले कुछ समय से लगातार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा जारी है। पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार पर निशाना साध रही है। चूंकि विदेश में कच्चा तेल सस्ता होने के बावजूद भारत में इसके दाम बढ़ रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच जल्द ही आम जनता को पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से निजात मिल सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दो हफ्ते बाद देश में तेल के दामों में कमी आनी शुरू हो जाएगी, और जनता को बढ़े दामों से राहत मिलनी शुरू होगी।
इस समय देश की राजधानी में पेट्रोल 81 रुपये प्रति लीटर और डीजल 73.08 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी या नरमी का असर पेट्रोल या डीजल की कीमतों पर करीब दो हफ्ते बाद पड़ता है। ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल रहने के कारण तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक ने आशंका जताई है कि अगले साल तेल की मांग नरम रह सकती है।
इसलिए कीमतों में थोड़ी कमजोरी आई है मगर फिलहाल तेल के दाम में नरमी की संभावना कम है।
अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार में कमी आई है। ब्रेंट क्रूड का नवंबर वायदा गुरुवार को इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर 0.58 फीसदी की कमजोरी के साथ 79.28 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था. इससे पहले बुधवार को ब्रेंड क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया था। अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट यानी डब्ल्यूटीआई 0.67 फीसदी की नरमी के साथ 69.90 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था। इससे पहले डब्ल्यूटीआई बुधवार को 70 डॉलर के पार चला गया था।
एंजेल ब्रोकिंग के ऊर्जा विश्लेषक के मुताबिक, तेल भंडार घटने को लेकर जो प्रतिक्रिया आनी थी वो बुधवार को पहले ही आ गई थी और मौजूदा नरमी अस्थाई है फिर तेजी की संभावना बनी हुई है। उन्होंने कहा कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के कारण तेल की आपूर्ति कम होने और अमेरिका में लगातार तेल का भंडार घटने से कच्चे तेल के दाम को सपोर्ट मिल रहा है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि अगर ओपेक देशों के बीच तेल का उत्पादन बढ़ाने को लेकर सहमति बनेगी तो ही तेल के दाम में नरमी आएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जब तक सऊदी अरब तेल का उत्पादन नहीं बढ़ाएगा तब तक आपूर्ति पर दबाव बना रहेगा क्योंकि अमेरिकी प्रतिबंध के कारण ईरान से तेल की आपूर्ति लगातार घट रही है। अमेरिकी एजेंसी एनर्जी इंफोर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन यानी ईआईए की बुधवार की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में तेल का भंडार सात सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह को 53 लाख बैरल घटकर 39.62 करोड़ बैरल रह गया।