पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों पर विपक्ष लामबंद हो रहा है । प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने 10 सितंबर को भारत बंद का आह्वाहन किया है जिसका असर दिखना शुरू हो गया है । देश भर के बाजारों में बंद का मिला जुला असर देखने को मिल रहा है । कांग्रेस के भारत बंद में कई दूसरी राजनीतिक पार्टियां भी साथ दे रही हैं । लेकिन कई दल ऐसे भी रहे जो आखिरी समय में साथ छोड़ गए । ऐन वक्त में बंद से खुद को अलग करने वाली पार्टियों में शिवसेना भी एक है ।
शिवसेना ने किया बंद में शामिल होने से इनकार
महाराष्ट्र में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाली पार्टी शिवसेना ने आखिरी समय में कांग्रेस के भारत बंद से खुद को अलग कर लिया है । शिवसेना ने आखिरी समय में गठबंधन की गरिमा का हवाला देते हुए बंद से खुद को अलग बताया । हालांकि शिवसेना लगातार इस मुद्दे पर सहयोगी दल बीजेपी को घेरे हुई थी । ऐन टाइम पर शिवसेना के बंद से पैर पीछे खींचने का कारण एक अहम कॉल बताया जा रहा है ।
शाह के कॉल ने किया खेल
बताया जा रहा है कि पार्टी को आखिरी समय पर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमति शाह की ओर से कॉल आया था । जिसके बाद ही शिवसेना ने भारत बंद में शामिल होने से इनकार कर दिया । एक अखबार के अनुसार अमित शाह और उनके बाद मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने भी कॉल की थी । पार्टी के एक नेता के मुताबिक – अब हमने खुले रूप से बंद को समर्थन न देने का निर्णय लिया है । हम खुद से ही पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं ।
कांग्रेस ने शिवसेना का किया था आह्वाहन
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चवहाण ने इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी थी कि भारत बंद में कांग्रेस ने शिवसेना से शामिल होने का आह्वाहन किया है । उन्होने कहा कि उन्हें उम्मीद है शिवसेना इसमें उनका समर्थन देगी क्योंकि देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने मुश्किल बढ़ाई हुई । अब समय आ गया है कि इसके विरोध में खुलकर सामने आया जाए । चव्हाण ने कहा था कि उन्होने व्यकितगत तौर पर इसके लिए शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत से इस बारे में बात की है ।
संजय राउत का बयान
कांग्रेस के आग्रह का जवाब देते हुए संजय राउत ने भी कहा कि शिवसेना भारत बंद में भाग नहीं ले रही है । बताया जा रहा है कि शिवसेना ने इसके पीछे गठबंधन की गरिमा का हवाला दिया है । आपको बता दें शिवसेना महाराष्ट्र और केंद्र दोनों ही सरकारों में सहयोगी दल के तौर पर शामिल हैं । ऐसे में विपक्षी दलों के साथ मिलकर बंद का समर्थन सही नहीं माना जा सकता । हालांकि शिवसेना अपने स्तर पर बढ़ी कीमतों का लगातार विरोध कर रही है और बीजेपी की नीतियों पर भी सवाल उठा रही है ।
बंद में शामिल प्रमुख दल
कांग्रेस के अनुसार इस बंद के जरिए मोदी सरकार को जगाने की कोशिश की जा रही है । आम जनता महंगाई से त्रस्त है और सरकार आंख बंद किए बैठी है । कांग्रेस के अनुसार उन्हें कुछ 21 राजनीतिक दलों का साथ इस बंद के लिए मिला है । जिसमें राष्ट्रीय जनता दल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, डीएमके, जनता दल सेक्युलर, राष्ट्रीय लोकदल, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, एमएनएस और कई अन्य दल शामिल हैं ।