*सनातन धर्म के प्रत्येक धर्म ग्रंथ में स्वर्ग एवं नर्क की व्याख्या पढ़ने को मिलती है और साथ ही यह भी बताया जाता है कि मनुष्य के यदि अच्छे कर्म होते हैं तो वह स्वर्ग का अधिकारी होता है और बुरे कर्म करने वाले नर्क में जाकर अनेक प्रकार की यातनाएं सहन करते हैं | स्वर्ग एवं नर्क की व्याख्या पढ़ने के बाद मनुष्य के मन में अनेकों जिज्ञासा उत्पन्न हो जाती है और प्रत्येक मनुष्य के कर्म भले ही अच्छे ना करें परंतु वह स्वर्ग ही जाना चाहता है | इस पृथ्वी लोक में रह करके स्वर्ग के सुख की कामना करने वाले मनुष्य सदैव सत्कर्म करने का प्रयास किया करते हैं परंतु इस संसार में स्वर्ग से भी बढ़कर कुछ और बताया गया है जिसे हमारे धर्म ग्रंथों में कहा है कि :-- "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" अर्थात अपनी माता एवं मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है | जो सुख अपनी माता के आंचल एवं अपनी मातृभूमि में प्राप्त हो सकता है वह सुख शायद स्वर्ग में भी ना प्राप्त हो सके | माता के चरणों के नीचे स्वर्ग बताया गया है | हमारे पूर्वजों ने अपनी माता का सम्मान करना तो सिखाया ही है साथ ही अपने मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान भी कर देने से पीछे नहीं हटे है | वह माता जिसने अपने गर्भ में नौ महीने अपने उदर में रख कर असहनीय कष्ट सह करके हमको जन्म दिया है उस माता के ऋण से कभी भी उऋण नहीं हुआ जा सकता है | उसी प्रकार मातृभूमि की जिस मिट्टी में खेल कर हम युवा हुए हैं उस मातृभूमि का ऋण भी कभी नहीं चुकाया जा सकता है | शायद इसीलिए हमारे धर्म ग्रंथों में जननी एवं जन्म भूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर बताया गया है |*
*आज के वर्तमान परिवेश में पहले की अपेक्षा आज सब कुछ उल्टा दिखाई पड़ रहा है | आज समाज में ना तो माता को वह सम्मान मिल पा रहा है ना ही मातृभूमि को जिसका वर्णन हमारे धर्म ग्रंथों में किया गया था | आज मनुष्य इतना ज्यादा शिक्षित हो गया है कि अपनी शिक्षा एवं धन के अहंकार वह अपनी माता एवं मातृभूमि का भी अपमान करने से पीछे नहीं हट रहा है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" आज प्रत्येक घरों में सास बहू में हो रही नोंकझोंत को देख रहा हूं जिसमें पुत्र के द्वारा पत्नी का पक्ष लेकर के माता को अपमानित एवं उपेक्षित किया जा रहा है | वहीं दूसरी ओर जहां हमारे पूर्वजों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने सर कटा दिए वही आज स्वयं को शिक्षित कहने वाले कुछ लोग अपनी ही मातृभूमि को बड़े मंचों एवं विदेशों में जाकर के बदनाम कर रहे हैं | कहने को तो ऐसे लोगों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है परंतु इनके क्रियाकलाप गांव के गवांरो से भी बदतर करे जा सकते हैं | आज परिवर्तन का युग है इस युग का मनुष्य अनेक प्रकार के अहंकार में अंधा हो गया है जिसे ना तो अपना वर्तमान दिखाई पड़ता है ना ही भविष्य | अपनी जन्मभूमि एवं अपने ही देश के संविधान के विरोध में जहर उगलने वाले आज समाज में बहुतायत संख्या में देखे जा सकते हैं | जो अपने बीते हुए समय से या इतिहास से शिक्षा लेकर के वर्तमान में क्रियाकलाप नहीं करता है उसका भविष्य स्वयं अंधकारमय हो जाता है परंतु ऐसे लोग जो आज अपनी ही माता और मातृभूमि का अपमान कर रहे हैं वे अपने भविष्य के विषय में नहीं जान रहे हैं | आने वाला भविष्य उनके लिए बहुत सुखद नहीं हो सकता |*
*माता एवं मातृभूमि की सुरक्षा एवं संरक्षण प्रत्येक जीव का उत्तरदायित्व है जो अपने उत्तरदायित्व से मुंह मोड़ता है वह कभी भी सम्मानित एवं सुखी नहीं रह सकता |*