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कहानी

hindi articles, stories and books related to kahani


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Talented Kuku FM team is creating audio stories, audio books on my stories and poems. 🤖 🥳Kuku FM वेबसाइट और ऐप्लिकेशन पर सुनिए कई जॉनर में मेरी कहानियाँ और काव्य। पहली दो कहानियों के लिंक ये रहे -https://kukufm.com/channels/07905dfe-e7aa-424f-bbc0-f15b4759efe5/https://kukufm.com/channels/diljala-k

तुम कभी कुछ नहीं कर सकते,क्या किया है आज तक !तुम्हारे बच्चों के खर्चे भी हम उठाएं...क्या सुख दिए है,अपने बूढ़े मां-बाप को..!छोटे को देखो...सीखो उससेकुछ..?ठाकुर साहब अपने बेटे पर बेतहाशा चिल्ला रहे थे।ये उनकीआदत में शुमार था...जब भी उनका बड़ा बेटा घर में घुसताउनकी चिल्ल-पों चालू हो जाती...जितना बेइज्

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धीरज जैसे ही बाइक खड़ी कर हेलमेट उतारता है, वैसे ही बगल वाली सविता आंटी की आवाज़ आती है, "क्यों धीरज बेटा, इंटरव्यू देकर आ रहे हो? "जी आंटी" "अब तक तो कई इंटरव्यू दे चुके हो, कहीं कुछ बात नहीं बनी क्या?" ह

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बच्चों के लिए ये तीन कहानियां 2018 में नींव पत्रिका में प्रकाशित हुई .1) - सामान्य जीवनबीनू बंदर अपने घर में सबका लाडला था। उसकी हर तरह की ज़िद पूरी की जाती थी। उसका परिवार भारत के उत्तराखण्ड प्रदेश स्थित जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क में रहता था। जंगल में अन्य

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(टिंग-टॉन्ग.... दरवाजे पर घन्टी बजती है। )" बहु देखना कौन है? " सोफे पर लेटकर टीवी देख रहे ससुर ने कहा। माया किचन से निकलकर दरवाज़ा खोलती है

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नीरजा और उसकी फॅमिली को आज पुरे आठ दिन हुआ था इस फ्लैट में आये, तक़रीबन सभी पड़ोसियों से बातचीत होने लगी थी।बस अब तक सामने वाले ग्राउंड एरिया के दामोदर जी और उनकी पत्नी से परिचय नहीं हुआ था,उनके घर अब तक किसी पड़ोसी को ना आते-जाते देखा ना बात करते बस हर रोज़ खिड़की से कभी

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दिल्ली का टू बीएचके प्लैट। जहां तीन दोस्त रहते हैं। संजीव, राकेश और राजेश। कॉलेज में तीनों मिले और अब तक साथ हैं। तीनों ही बैचलर। करियर की जदोजहद, पैसे की तंगी और कुछ कर गुजरने की तमन्ना लिए। संजीव और राकेश प्राइवेट कंपनी में काम करते ह

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यह उस समय की बात है जब ब्रह्मदत्त बनारस राज्य पर शाषण करते थे. उस राज्य में सुलासा नामक एक सुंदर वेश्या रहती थी. इसके अलावे उस क्षेत्र में सत्तुका नामक एक बलशाली डाकू भी रहता था, जो रात में अमीर लोगों के घरों में घुसकर लूटपाट करता था. एक दिन उस डाकू को पकड़ लिया गया. सुला

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सलोना भालू फुलवारी वन का एक प्रतिभावान खिलाड़ी सलोना भालू किशोरावस्था में ही वह अपनी उम्र से बड़े और अनुभवी खिलाडियों को नाकों चने चबवा देता था। जल्द ही उसका नाम फुलवारी वन और उसके आस-पास के इलाकों में भी फ़ैल गया। केवल एक खेल नहीं बल्कि भाला फेंक, शॉट पुट, 400/800 मीटर

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मैं सुन्दर नहीं हूँ 'आज घंटों से आइने में खुद को निहार रही थी अंशिका, कभी अपनी आँखों को देखती, कभी अपने गालों को, कभी होंठो को तो कभी नाक को। 'अरे! क्या घंटों से आइने में निहार रही हो अंशी', माँ ने जोर से आवाज लगायी। अंशिका माँ के

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Rahul Sankrityayan in Hindi- भारत में एक से बढ़कर एक साहित्यकार हुए और इनकी हमेशा से यही कोशिश रही है कि वे हिंदी भाषा का समय-समय पर प्रचार करता रहता है। यहां हम बात हिंदी साहित्यिक राहुल सांकृत्यायन जी के बारे में बात करने जा रहे हैं। जब साहित्य की किताबें हिन्दी से ज्यादा हिंग्लिश की ओर जोर मारने

"गुलज़ार गली" भाग-१ hindi poem"तुम्हे जाना तो खुद पे हमें तरस आ गया,तमाम उम्र यूँही हम खुद को कोसते रहें"............"गुलज़ार गली" यही नाम था उस गली का....मैने कभी देखा नहीं था बस सुना था, हर किसी के ज़ुबान पे बस उसी गली की चर्चा रहती "गुलज़ार गली" |तकरीबन डेढ़ महीन

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चंद्रा और मिसेज़ चंद्रा की जोड़ी चंद्रा साब ने गौर से अपना चौखटा शीशे में देखा. ओफ्फो मूंछ सही तरीके से काली नहीं हुई. एक बार फिर काली स्याही का ब्रश लगाया तो तसल्ली हुई. अब ठीक है. सर पर गिनती के बाल बचे हुए थे जिन्हें चंद्रा साब पहले ही का

दलाल एक कहानी - लेखन डॉ दिनेश शर्माजून की दोपहरी में मंत्री जी के लम्बा चौड़ेड्राइंग रूम का दृश्य है |घुसते ही बांयी तरफ दीवार से सटे बड़े सोफे परठीक पंखे के नीचे और एयर कंडीशनर के सामने खर्राटे मारती अस्त व्यस्त भगवें कपड़ोमें लिपटी मझौले शरीर वाली एक आकृति लेटी है | पास वाली मेज पर भगवें रंग का एक

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प्राचीन समय की बात है, नदी में एक ऋषि स्नान कर रहे थे। तभी वहां से एक बाज गुजर रहा था, जो अपने पंजों में एक चूहे को पकड़े हुए था। अचानक उस बाज के पंजे से वह चूहा छूट गया और ऋषि के हाथों पर आ गिरा। ऋषि को डर हुआ कि अगर वह चूहे को अकेला छोड़ देता, तो वह उसके शरीर पर उछलेगा,

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"क्या ,आज भी तुम बाहर जा रहे हो ??तंग आ गई हूँ मैं तुम्हारे इस रोज रोज के टूर और मिटिंग से ,कभी हमारे लिए भी वक़्त निकल लिया करो। " जैसे ही उस आलिशान बँगले के दरवाज़े पर हम पहुंचे और नौकर ने दरवाज़ा खोला ,अंदर से एक तेज़ आवाज़ कानो में पड़ी ,हमारे कदम वही ठिठक गये। लेकिन तभी बड़ी शालीनता के साथ नौकर न

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पबजी गेममें उसकी शिकारी निगाहें दुश्मनों को बड़ी मुश्तैदी से साफ कर रहीं थी। तकरीबन आधेघंटे की मशक्कत के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगा। हुर्रे, हुर्रे, हिप हिप हुर्रे। आखिकार लेबल 30 पार कर हीं लिया। डेढ़ घंटे की जद्दोजहद के बाद उसने पबजी गेम का 30 वां लेबल पार कर लिया था

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शादी में जाने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. और लो टैक्सी भी आ गई. सामान गाड़ी में डाल दिया और दोनों पिछली सीट पर बैठ गए. चंद्रू ड्राईवर से बोला,- चलो भई स्टार्ट!गाड़ी गीयर बदलते हुए हाईवे पर आ गई और देहरादून की चार घंटे की यात्रा शुरू हो गई. उसके साथ ही मन में विचारों की गाड़ी

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