*पंचतत्त्वों से बने मनुष्य को इस धरा धाम पर जीवन जीने के लिए मनुष्य को पंचतत्वों की आवश्यकता होती है | रहने के लिए धरती , ताप के लिए अग्नि , पीने के लिए पानी , सर ढकने के लिए आसमान , एवं जीवित रहने के लिए वायु की आवश्यकता होती है | मनुष्य प्रत्येक श्वांस में वायु ग्रहण करता है | श्वांस लेने के लिए शुद्ध व स्वच्छ हवा सभी को चाहिए लेकिन यह मिलेगी कैसे ? यह कोई विचार नहीं करना चाहता | हमारे शरीर व मन को स्वस्थ रखने के लिए शुद्ध हवा की परम आवश्यकता होती है क्योंकि मनुष्य भोजन के बिना तो कुछ दिन तक रह सकता है परंतु यदि उसको श्वांस लेने के लिए प्राणवायु अर्थात ऑक्सीजन न मिले तो जीवित रह पाना असंभव है | इस धरती पर सबसे अधिक ऑक्सीजन वृक्षों और पौधों से प्राप्त होता है | ऑक्सीजन के स्रोत के रूप में पीपल , नीम , बरगद व तुलसी अन्य वृक्षों की अपेक्षा ज्यादा प्राणवायु उत्सर्जित करते हैं , इसीलिए सनातन धर्म में आदिकाल से इन वृक्षों को देव स्वरूप मानकर के इनकी पूजा करने का विधान बनाया गया है , जिससे कि इन वृक्षों का क्षरण ना होने पाए ,और मनुष्य को अनवरत प्राणवायु प्राप्त होती है | जब मनुष्य को प्राणवायु ही शुद्ध रूप से नहीं मिलेगी तो मनुष्य के अंदर अनेक प्रकार की बीमारियां स्वयं ही पैदा हो जायेंगी | मानव शरीर के विभिन्न अंगों के विकास के लिए भी ऑक्सीजन बहुत आवश्यक है इसलिए मनुष्य को अपने आहार में भी ऐसे खाद्य पदार्थ सम्मिलित करना चाहिए जो उनके रक्त में अधिक से अधिक ऑक्सीजन की मात्रा को सोखने का कार्य करें | हमारे सनातन धर्म जो भी मान्यता या परंपरा बनाई गई है उसमें "वसुधैव कुटुम्बकम्" की भावना से सदैव समस्त मानव जाति का हित ही साधा गया है |*
*आज हमारे देश भारत की राजधानी दिल्ली से लेकर अन्य प्रदेशों में वायु प्रदूषण का शोर और सुनने को मिल रहा है | लगभग प्रत्येक जगह वायु प्रदूषण फैला हुआ है इस वायु प्रदूषण पर लोग तरह-तरह के अपने वक्तव्य दे रहे हैं परंतु इस समस्या के मूल में कोई भी नहीं जाना चाहता है | कोरे वक्तव्य दे करके लोग अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेना चाहते हैं | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" बताना चाहता हूं कि यदि इस समस्या से छुटकारा पाना है तो मनुष्य को प्राणवायु प्रदान करने वाली वृक्ष वनस्पतियों का अपने प्राणों की तरह संरक्षण करना होगा | आज जिस प्रकार मनुष्य पृथ्वी को वृक्ष से विहीन करने पर लगा हुआ है उसी का परिणाम आज हमको देखने को मिल रहा है | अनेक प्रकार की बीमारियां आज यदि मनुष्य के शरीर में उत्पन्न हो रही है तो उसका कारण मनुष्य का असंतुलित आहार भी कहा जा सकता है | घर के बने हुए भोजन की अपेक्षा मनुष्य आज बाजार में उपलब्ध खाद्य सामग्रियों से अपना उदर भरना चाहता है जिससे अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो रही है | आज यदि धरती से वृक्ष लुप्त न हो रहे होते तो शायद वायु प्रदूषण रूपी घातक समस्या हमारे समक्ष ना उपलब्ध होती | आज दिल्ली में रहने वाले यह आशा कर रहे हैं कि आकाश से जलवृष्टि हो जाय जिससे प्रदूषण से कुछ छुटकारा मिले | विचार कीजिए कि जल दृष्टि कैसे होगी ? क्योंकि जब वृक्ष ही नहीं रहेगे तो वायु विक्षोभ नहीं होगा और वायु के विक्षोभ हुए बिना बादल नहीं बन सकते और बरसात नहीं हो सकती | कहने का तात्पर्य है कि सुरक्षित जीवन जीना है तो वृक्षों का संरक्षण करना ही होगा जिससे कि मनुष्य को स्वच्छ प्राणवायु अनवरत मिलती रहे | प्रत्येक मनुष्य को अपने आसपास वृक्षारोपण करके हरियाली बढ़ाते हुए उनकी उचित सुरक्षा व देखभाल अवश्य करना चाहिए |*
*इन्हीं वृक्षों से ही मनुष्य का जीवन सुरक्षित है यदि हम वृक्षों की सुरक्षा का दायित्व संभालेंगे तो वृक्ष भी हमारे जीवन की सुरक्षा करते रहेंगे | अत: आओ वृक्ष लगायें |*