*ईश्वर द्वारा बनाया गया संसार बहुत ही आश्चर्यजनक है | इस संसार में ईश्वर के अतिरिक्त मनुष्यों ने भी कुछ ऐसे निर्माण किए हैं जिन्हें लोग आश्चर्य ही मानते हैं | संसार में कुछ इमारतों एवं कलाओं को आश्चर्य की श्रेणी में रखा गया है परंतु इस संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य जो है उसे मनुष्य जानते हुए भी मानना नहीं चाहता है | इस संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ? इस पर यदि विचार किया जाय तो वह यही है कि मनुष्य नित्य ही अपनी आंखों के सामने हैं कितने ही प्राणियों को मरते हुए देखता है परंतु अपने मरने का सपना कभी नहीं देखता है | यह सत्य है कि लगभग प्रत्येक दिन अनेकों लोगों को मरते हुए देखा जाता है , उन्हें श्मशान ले जाया जाता है , और स्वयं मनुष्य श्मशान में जाकर कई लोगों की समाधियों को देखता भी है परंतु उसके मन में अपने मरने का ध्यान कभी नहीं आता यह सबसे बड़ा आश्चर्य ही तो है | यद्यपि मनुष्य यह जानता है कि मृत्यु अटल है ! इसे टाला नहीं जा सकता है और ना ही से बचा जा सकता है परंतु इतना जानने के बाद मनुष्य इस अटल सत्य को किसी न किसी बहाने भूलने या भुलाने का प्रयास करता रहता है | मनुष्य जब यह भूल जाता है कि उसे भी एक दिन मरना ही है तो उसकी यही एक भूल उससे जीवन में पता नहीं कितने पापपूर्ण कर्म / कुकर्म कराती रहती है | यही कारण है कि मनुष्य का जीवन निराशा से भर जाता है जीवन नीरस एवं निरर्थक हो जाता है | इतिहास उठा कर देखा जाय तो हमें अनेकों चरित्र ऐसे मिल जायेंगे जो यह समझते थे कि हम कभी मरेंगे ही नहीं | रावण , कंस , कुंभकरण , महिषासुर , भस्मासुर इत्यादि अनेकों लोगों ने यही सोच कर अत्याचार एवं पापाचार किया कि उनको मृत्यु तो आ ही नहीं सकती है परंतु मृत्य से आज तक कोई बच नहीं पाया है | इस संसार का सबसे बड़ा सत्य मृत्यु ही है | मनुष्य को संसार के सबसे बड़े आश्चर्य मृत्यु को कभी भी नहीं भूलना चाहिए | जो अपनी मृत्यु को याद रखता है वह कभी भी दुखी नहीं हो सकता क्योंकि उसके द्वारा ऐसा कोई कृत्य ही नहीं होगा जिसके कारण उसको दुख प्राप्त हो |*
*आज समाज में जिस प्रकार अत्याचार , पापाचार , भ्रष्टाचार चारों तरफ अपना साम्राज्य फैला चुका है वह किसी से छुपा नहीं है | आज अपने देश से लेकर के विदेश के कई देशों में अनेकों ऐसे लोग है जो नित्य धन , बल एवं सत्ता के नशे में पता नहीं कितने क्रूर कर्म और कुकर्म किया करते हैं | नित्य नए भ्रष्टाचार करने वाले लोग एक दिन अपने ही बनाए हुए जाल में फंस जाते हैं | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" इनके कर्मों को याद करते हुए यही कह सकता हूं कि किसी भ्रष्टाचार या किसी अपराध में फसने के बाद इन लोगों को रोने का एक ही कारण है कि इन्होंने कभी यह याद ही नहीं किया होगा कि हमें भी मरना है | जिन्होंने अपनी मृत्यु को याद रखा है वे कभी कुकर्म नहीं कर सकते | प्रत्येक मनुष्य को यह याद रखना चाहिए कि यह शरीर नश्वर है | एक दिन एक झटके मृथ्यु आएगी और सब कुछ छीन कर ले कर चली जाएगी ` जब मनुष्य को अपनी मृत्यु का आभास बना रहता है तो वह बुरे कर्म और पाप कर्म करने से बचने का प्रयास करता है और अपने जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त करने का प्रयास करता है | जो अपनी मृत्यु को जान जाता है वह सकारात्मकता से भर जाता है | जिस प्रकार राजा परीक्षित ने अपने बचे हुए समय का सदुपयोग कर लिया इससे राजा परीक्षित मृत्यु के भय से मुक्त हो गए | मृत्यु उनके शरीर की हुई परंतु उनकी आत्मा दिव्य हो चुकी थी | राजा परीक्षित को तो पता था कि आज के सातवें दिन हमारी मृत्यु होगी परंतु हमें कुछ भी नहीं पता है | अत: प्रत्येक मनुष्य को यह विचार करना चाहिए कि हमारी मृत्यु कब होगी यह किसी को पता नहीं है इसलिए प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करते रहना चाहिए |*
*जिस दिन मनुष्य क्षणभंगुर जीवन के महत्व को जान जाता है उसी दिन से उसका जीवन निर्मल एवं निर्विकार हो जाता है और तब मनुष्य के लिए मृत्यु मरण नहीं बल्कि महोत्सव बन जाती है | अनेक कुकर्मों को करने से बचने के लिए मनुष्य को सदैव मृत्यु का स्मरण करते रहना चाहिए |*