【१】
सावन गुजरे कई बन कहर,
ये भी इंतजार में गुजर जाएगा।
इकरार कर इंकार नहीं कर,
बादल सराबोर कर ही जाएगा।।
【२】
गुनाहों की जालिम है ये दुनिया,
गेशुओं को सुलझाना कजा कैसे?
बेवफा निकल रुलाती ये दुनिया,
गुफ़्तगू में बहाने बना सुनायें कैसे?
【३】
प्यार आस, बेवफ़ाई गुनाह सही,
टूटे को जोड़ना जिंदगी का नाम है।
तिलिस्म में उलझना जायज़ नहीं,
गिरतों को उठाना नेक काम है।।
डा. कवि कुमार निर्मल____✍️