*इस धरा धाम पर मनुष्य के लिए वैसे तो अनेक प्रकार के सुख ऐश्वर्य एवं संपत्ति विद्यमान है परंतु किसी भी मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धन उसका स्वास्थ्य होता है | अनेकों प्रकार के ऐश्वर्य होने के बाद भी यदि स्वास्थ्य नहीं ठीक है तो वह समस्त ऐश्वर्य मनुष्य के लिए व्यर्थ ही हो जाता है इसलिए मनुष्य को सबसे पहले अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए | इस शरीर को स्वस्थ रखकर इस संसार में कोई भी कार्य किया जा सकता है शायद इसीलिए हमारे धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि :- "शरीर माध्यम खलु धर्म साधनम्" धर्म को साधने का माध्यम शरीर ही है इसलिए शरीर को स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है | अनेक प्रकार के स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ लेने के साथ ही मनुष्य को अपने शरीर को निरोगी रखने के लिए किसी प्रकार के दुर्व्यसन अर्थात नशे से दूर रहना चाहिए क्योंकि नशा नाश की जड़ है , यह संपूर्ण रूप से मन और शरीर को खोखला कर देता है | यह एक ऐसी बीमारी होती है जिस की आदत पड़ने में तो समय नहीं लगता है परंतु जब एक बार मनुष्य इसके चक्रव्यूह में फंस जाता है कि जीवन भर निकल नहीं पाता है | किसी भी प्रकार का नशा हो वह शरीर के लिए हानिकारक ही होता है जिसके कारण मनुष्य स्वयं का और अपने साथ-साथ अपने परिवार का तथा आने वाली पीढ़ियों का भी मार्ग दुर्गम कर देता है | कुछ लोग नशे के इतने आदी हो जाते हैं इससे स्वयं तो बदनाम हो ही जाते हैं साथ ही अपने परिवार को भी बदनाम कर देते हैं , समाज उनको हेयदृष्टि से देखने लगता है | नशे की चपेट में आकर शरीर तो जा ही रहा है साथ में समाज से सम्मान भी चला जाता है | नशा एक ऐसी बीमारी है जो अपने साथ अनेकों प्रकार के दुर्व्यसन लेकर आती है | नशा करने वाला व्यक्ति अपराध करने नकारात्मक विचार एवं अभद्र भाषा का प्रयोग करने तथा दूसरों के साथ दुर्व्यवहार करने में ही अपनी बड़ाई समझने लगता है | प्रारंभ में लोग अपनी झूठी शान दिखाने के लिए नशे का प्रयोग प्रारंभ करते हैं परंतु जब यह आदत बन जाती है तो मृत्यु के बाद ही यह आदत छूटती है इसलिए अपने शरीर एवं सम्मान को बचाए रखने के लिए इस नशारूपी दुर्गुण से दूर रहना ही मानव मात्र के लिए कल्याणकारी है |*
*आज के वर्तमान युग में अधिकतर युवा पीढ़ी नशे की चपेट में देखी जा सकती है | फैशन से प्रभावित होकर कुछ क्षणिक आनंद के लिए नशे के आदी हो कर यह लोग अपने कीमती जीवन एवं धन संपदा को बर्बाद कर रहे हैं | विचार करना चाहिए किसी भी प्रकार का नशा स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक ही होता है परंतु इसकी चपेट में आए हुए मनुष्य को कुछ भी समझा दो उसके समझ में कुछ नहीं आना चाहता है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" आज नशे के चपेट में निरंतर पड़ रही युवा पीढ़ियों को समझाते हुए कहना चाहूंगा कि इस संसार के असंख्य जीवों में सर्वश्रेष्ठ मनुष्य का जीवन आपको मिला है तो इसका दुरुपयोग ना करके सदुपयोग करते रहिए | प्रत्येक मनुष्य को अनमोल जीवन को व्यर्थ के व्यसनों में बर्बाद न करके सकारात्मक कार्यों में लगाना चाहिए | मात्र मादक पदार्थों का नशा ही नशा नहीं है | यदि नशा ही करना है तो स्वाध्याय का नशा और राष्ट्रभक्ति का नशा सुंदर खाद्य पदार्थों का नशा एवं समाज सेवा का नशा करना यदि सीख लिया जाय को परिवार , समाज के साथ-साथ पूरे देश का कल्याण हो जायेगा | नशे की जड़ को खत्म करने के लिए नवयुवकों को आगे आना चाहिए | उनको अधिक से अधिक परिश्रम , योग एवं सकारात्मक कार्य करते रहना चाहिए जिससे देश का विकास होगा | इस प्रकार सकारात्मक कार्यों से जहां विकास होता है वही यदि कोई भी मादक पदार्थों का नशा करता है तो नशा कैसा भी हो वह विनाशकारी परिणाम ही देता है | किसी भी नशे से मुक्त होने के लिए सर्वप्रथम तो मनुष्य को स्वयं प्रयास करना होगा , अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत करते हुये यह कार्य किया जा सकता है | नशामुक्ति के लिए सरकार के द्वारा चलाये जा रहे अभियान तब तक नहीं सफल होंगे जब तक समाज में भी इसका विरोध होना प्रारंभ हो नहीं होगा | समाज , परिवार व सरकार को एक साथ आगे आ करते नशे रूपी दानव से समाज को मुक्त करने का प्रयास करना होगा |*
*कुछ लोग नशा करके मानसिक तनाव दूर करने का प्रयास करते हैं और यह सत्य भी हो सकता है कि नशा करने के बाद थोड़ी देर के लिए मानसिक तनाव दूर भी हो जाता है परंतु यह भी विचार करना चाहिए कि यह नशा नस नस को डस रहा है | बचा सको तो बचा लो |*