🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸
‼ *भगवत्कृपा हि केवलम्* ‼
🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻
*हमारे देश में हिंदू संस्कृति में बताए गए बारहों महीने में कार्तिक मास का विशेष महत्व है , इसे दामोदर मास अर्थात भगवान विष्णु के प्रति समर्पित बताया गया है | कार्तिक मास का क्या महत्व है इसका वर्णन हमारे धर्म ग्रंथों में किया गया है | नित्य कार्तिक स्नान एवं दीपदान करने से मनुष्य के जीवन में तो प्रकाश होता ही है साथ ही इस मृत्युलोक को छोड़ने के बाद अन्य लोकोंं में भी मनुष्य का जीवन प्रकाशित रहता है | कार्तिक मास में मानव जीवन से जुड़े हुए अनेकों पर्व एवं त्योहार मनाए जाते हैं इसी क्रम में तीर्थों परिक्रमा भी विशेष है | जहां चौदह कोसी परिक्रमा करके मनुष्य चौदह लोकों से मुक्ति पाने की कामना करता है वही पंचकोसी परिक्रमा का अपना एक अलग महत्व है | सनातन धर्म के प्रत्येक क्रियाकलाप में वैज्ञानिकता भी समायी रहती है , सनातन धर्म के महापुरुषों एवं वैज्ञानिकों का भी मानना है कि यह सृष्टि एवं मनुष्य का शरीर पंच तत्वों से बना हुआ है | गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने मानस में लिखा है कि :- "क्षिति जल पावक गगन समीरा ! पंच रचित अति अधम शरीरा !! अर्थात :- पृथ्वी , जल , आकाश , हवा एवं अग्नि से मिलकर यह सृष्टि बनी एवं मनुष्य का शरीर भी इन्हीं पंच तत्वों से मिलकर बना है | पंचमहाभौतिक शरीर को मुक्ति दिलाने की कामना से भक्तजन अपने आराध्य की पंचकोसी परिक्रमा करते हैं | पंचकोशी परिक्रमा अर्थात एक - एक कोस एक - एक तत्व के लिए समर्पित माना जाता है | अयोध्या , मथुरा , काशी , वाराणसी एवं दक्षिण के लगभग सभी तीर्थ स्थलों पर पंचकोसी परिक्रमा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रद्धालु जनों के द्वारा बड़े प्रेम से की जाती है | मानव जीवन ही नहीं बल्कि यह सृष्टि भीी निरंतर परिक्रमा करती रहती है इसलिए प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में परिक्रमा के महत्व को समझना परम आवश्यक है |*
*आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जैसे ही एकादशी का मान प्रारंभ होगा भक्तजन अपने आराध्य की पंचकोशी परिक्रमा प्रारंभ कर देंगे | अयोध्या ही नहीं बल्कि देश के अनेक धर्म स्थानों / तीर्थ स्थलों पर यह परिक्रमा प्रारंभ हो जाएगी | ऐसा मानना है चार महीने की निद्रा के बाद आज के ही दिन भगवान श्री विष्णु निद्रा का त्याग करते हैं , इस अवसर पर सभी देवताओं ने इनका पूजन करके परिक्रमा की थी इसीलिए देवोत्थानी एकादशी के दिन परिक्रमा करने का विधान है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" परिक्रमा के विषय में इतना ही कहना चाहूंगा कि इस संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रत्येक ग्रह - नक्षत्र किसी न किसी तारे की परिक्रमा की कर रहा है | सूर्य उदय हो करके एक परिक्रमा के क्रम में ही पश्चिम में अस्त हो जाता है | यह परिक्रमा ही जीवन का सत्य है | मनुष्य का संपूर्ण जीवन ही एक चक्र है इस चक्र को समझने के लिए ही परिक्रमा जैसे विधानों को निर्मित किया गया है | हमारे मनीषियों का मानना है कि यह समस्त सृष्टि भगवान में ही समाई हुई है उन्हीं से सृष्टि की उत्पत्ति हुई है , भगवान ही सृष्टि का मूल है इसलिए उनकी परिक्रमा करके मनुष्य समस्त सृष्टि की परिक्रमा करने का फल प्राप्त करता है | आज मनुष्य के व्यस्ततम जीवन में भी मनुष्य कुछ समय निकालकर अयोध्या , काशी , मथुरा की पंचकोशी परिक्रमा करके ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करता है | पंचतत्वों को अपने जीवन में विकार रहित करने के उद्देश्य मनुष्य अपने आराध्य की पंचकोसी परिक्रमा करता है | परिक्रमा का धार्मिक महत्व कोई भी हो परंतु आज के व्यस्ततम जीवन में मनुष्य यदि कुछ समय अपने आराध्य के प्रति निकालता है तो निश्चित ही उसे उसके जीवन में पंच विकारों से मुक्ति प्राप्त हो सकती है |*
*समय-समय पर मनुष्य को सचेत करने के लिए एवं जीवन के ज्ञात - अज्ञात पाप कर्मों से बचाने के लिए हमारे सनातन के पुराधाओं ने ऐसे नियम बनाए हैं जिससे मनुष्य कम से कम एक दिन के लिए की ईश्वर के प्रति समर्पित हो |*
🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺
🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥
आचार्य अर्जुन तिवारी
प्रवक्ता
श्रीमद्भागवत/श्रीरामकथा
संरक्षक
संकटमोचन हनुमानमंदिर
बड़ागाँव श्रीअयोध्याजी
(उत्तर-प्रदेश)
9935328830
🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀