भारतीय इतिहास का मध्य काल 700 ईस्वी से 1857 ईस्वी तक माना जाता है. इस युग को भी प्रारंभिक और उत्तर मध्य काल में बांटा जा सकता है. ये विभाजन आम तौर पर सभी इतिहासकारों को मान्य है पर कुछ 900 ईस्वी से मध्य युग का आरम्भ मानते हैं. फिलहाल हमारे सामान्य ज्ञान के लिए विभाजन सही
वरिष्ठजन दिवस पर मेरी एक रचना उन बुजुर्गो के नाम जो अपने घर आँगन में सघन छांह भरे बरगद के समान है | जो उनकी कद्र जानते हैं उन्ही के मन के भाव ----बाबा की आँखों से झांक
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीरमैं सुनाने को अपनी मनोवेदनाहूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीरजब मैं निकली श्री शिव की जटाओं से ,मैं थी धवल, मैं थी निश्चलमुझे माना तुमने अति पवित्रमैं खलखल बहती जा रही थीतुम लोगों के पापों को धोती जा रही थीपर तुमने मेरा सम्मान न बनाये रक्खाऔर मुझे
"गीत"हिंदी हिंद की जान है, आन बान और शान हैभारत के हर वासी का, युग-युग से पहचान हैहर बोली में लहजा हिंदी, हर माथे पर सोहे बिंदीघर-घर में इंसान है, आँगन मुख मुस्कान है.......लिखना रुचिकर पढ़ना रुचिकर, रुचिकर है आठो डाँड़ीहिंदी के हर शब्द में बहती, गंगा यमुना की नाड़ीस्वर व्यंजन की आरती, प्रिय प्रतीक माँ
सरकार अपना कामकर चुकीअब बारी हमारी हैआज जरूरत हैकश्मीरियों को विश्वास में लेने की उनसे हाथ मिलाने कीगले लगाने कीदिल में उनके बस जाने कीकाश्मीर कोहिंदुस्तान केरंग में रंग देने कीलेकिन कुछ सिरफिरेआतंकवादियों काउदाहरण दे रहे हैंकाश्मीर की बहनों कोभला बुरा कह रहे हैंकाश्मीर में जन आक्रोश फैला रहे हैंअपन
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि भाभीजी घर पर है की कहानी में, विभूति हमेशा अनीता को किसी न किसी तरह प्रभावित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए ऐसा करना संभव नहीं है। लेकिन किसी को यह स्वीकार करना होगा कि इस जोड़ी का रोमांस लोकप्रिय बॉलीवुड गीतों से पूरी तरह से अलग है। यह उन बहुत ही गीत हैं जो
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि भाभीजी घर पर है की कहानी में, विभूति हमेशा अनीता को किसी न किसी तरह प्रभावित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनके लिए ऐसा करना संभव नहीं है। लेक
शंघाई सहयोग संगठन 2019 डॉ शोभा भारद्वाज श्री नरेंद्र मोदी दुबारा भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद शंघाई सहयोग संगठन की दो दिन चलने वाली समिट में हिस्सालेने के लिए किर्गिस्तान के बिश्केक गये यहाँ मोदी जी ने चीन के राष्ट्राध्यक्षजिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता कर उन्हें भारत दौरे के लिए आमंत
सभी जानते हैं कि बादशाह शाहजहां अपनी बेगम मुमताज़ से बहुत प्यार करते थे। उन्होंने अपनी बेगम की याद में संगमरमर की इमारत तामीर कराई थी, जिसको हम ताजमहल के नाम से जानते हैं। यह ताज दुनिया के सात अजूबों में से एक है। संगमरमर की यह इमारत बेहद खूबसूरत है। इसकी खूबसूरती ने श
'महिला' सृष्टि का अनमोल ख़जाना महिला है बहुत महाना त्याग, बलिदान की सच्ची मूरत नारी की है सृष्टि पर
प्रतिष्ठित & टीवी शो, भाभीजी घर पर हैं के निर्माता बेनिफर कोहली इस बात से बहुत खुश हैं कि यह शो जल्द ही चार साल (2 मार्च) पूरा करेगा। “यह पूरी तरह से टीम का प्रयास का नतीजा है। पति संजय (जो रचनात्मक को संभालता है), लेखक (मनोज संतोष), निर्देशक (शशांक बाली), कलाकारों और हमा
मन का भंवर अकस्मात मीनू के जीवन में कैसी दुविधा आन पड़ी????जीवन में अजीव सा सन्नाटा छा गया.मीनू ने जेठ-जिठानी के कहने पर ही उनकी झोली में खुशिया डालने के लिए कदम उठाया था.लेकिन .....पहले से इस तरह का अंदेशा भी होता तो शायद .......चंद दिनों पूर्व जिन खावों में डूबी हुई थी,वो आज दिवास्वप्न सा ल
2013 savita doosara bhag होली के रंग जीवन के संग। सर में पड़ा सूखारंग, नहाते वक्त ही बताता है कि मै कितना चटकीला हूँ। पानी की धार के साथ शरीरके हर अंग मे अपनी दस्तक की खबर के तार को बिछाता। उस समय यह अनुमान लगाना मुश्किलहो जाता है कि यह किसका रंग हैं? फाल्गुन का महिना आधा होचला था। चटकीले रंग फीके हो
"सोशल मीडिया पर साहित्य- लाभ या हानि" "हानि लाभ जीवन मरन जस अपजस बिधि हाथ", बाबा तुलसी दास जी ने कुछ भी नहीं छोड़ा, हर विषय पर कटु सत्य को उजागर कर गए। काश उस समय सोशल मीडिया होता तो हमें अपने मन से कुछ भी लिखने की जरूरत न पड़ती और हम कट, पेष्ट या गूगल सर्च करके उन्हीं के विचार छाप देते और सम्मानित हो
दुर्गा पूजा के महत्त्व पर निबंध हिंदी में-Essay on Durga Pooja.दुर्गा पूजा पर निबंध: हम भारत देश में रहते है यहाँ विभिन्न धर्मो के लोग आपस में भाईचारे के साथ रहते है जैसे- हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई| और अलग अलग धर्मो को मानते है| दुर्गा
आहत ठुमके✒️पनघट पर तेरे ठुमकों ने, मरघट से मुझे पुकारा है;कानों में छन से गूँज रही, यह अमर सुधा की प्याला है।बेसुध सा सोता रहा सदा, अब ही तो जा कर जागा हूँ;सौभाग्य प्राप्त हुआ मुझको, वैसे तो निरा अभागा हूँ।तेरे दर्शन करने आयी, यह रूह युगों की प्यासी है;कुदरत ने गोदी म
🎎 जीने दो मुझको जीवन ये आने दो मुझको दुनियाँ में सुन्दर हैं धरा, आकाश फिजा भरने दो इसमे रंग मेरे 🎎 🎎 हम नन्ही- नन्ही कलियों को खिलने से पहले ना नष्ट करो नष्ट कर दिया तो फिर क्यों आशा फूलो की करते हो 🎎 🎎 इस सात रंग की
(यहां न बात धर्म की है ,न किसी विशेष जाति की ।यहां तो बात है सिर्फ मासूम बच्चियों की इज्जत की ।क्यों लाते हो बीच में मजहब और राजनीति को,है हिम्मत तो दे दो “सबूत “अपने मर्द होने की)कंठ है अवरुद्ध होठों पर भी लगे हैं ताले,भुलाकर ईमान सिल गए हैं लवों के प्याले।।हार रही है मानवता घुट रही है इंसानियत ,हर