खण्ड-3 किरिचों पर कोई नया स्वप्न ढोते हो ? किस नयी फसल के बीज वीर ! बोते हो ? दुर्दान्त दस्यु को सेल हूलते हैं हम; यम की दंष्ट्रा से खेल झूलते हैं हम। वैसे तो कोई बात नहीं कहने को, हम
खण्ड-2 हे वीर बन्धु ! दायी है कौन विपद का ? हम दोषी किसको कहें तुम्हारे वध का ? यह गहन प्रश्न; कैसे रहस्य समझायें ? दस-बीस अधिक हों तो हम नाम गिनायें। पर, कदम-कदम पर यहाँ खड़ा पातक है,
खण्ड-1 गरदन पर किसका पाप वीर ! ढोते हो ? शोणित से तुम किसका कलंक धोते हो ? उनका, जिनमें कारुण्य असीम तरल था, तारुण्य-ताप था नहीं, न रंच गरल था; सस्ती सुकीर्ति पा कर जो फूल गये थे, निर्वीर्य कल
दिनाँक: 15.02.2022समय : रात 9 बजेप्रिय डायरी जी,चुनाव का मौसम खत्म होने की कगार पर है और साथ ही सर्दियां भी खत्म होने की कगार पर है। क्या है कि चुनावी एहसास वैसे ही लोगों के राजनीतिक जीवन
तमनार से वापसी में रात्रि के करीब ग्यारह बज गए थे अतः देर से ही उठ पाया था । मैं कल की घटनाओं को याद कर रहा था ,इसी कड़ी में याद आया कि कल मैं दूध लाना भूल गया था, मुझे
अमरकान्त को जेल में रोज-रोज का समाचार किसी-न-किसी तरह मिल जाता था। जिस दिन मार-पीट और अग्निकांड की खबर मिली, उसके क्रोध का वारापार न रहा और जैसे आग बुझकर राख हो जाती है, थोड़ी देर के बाद क्रोध की जगह
प्रात:काल समरकान्त और सलीम डाकबंगले से गांव की ओर चले। पहाड़ियों से नीली भाप उठ रही थी और प्रकाश का हृदय जैसे किसी अव्यक्त वेदना से भारी हो रहा था। चारों ओर सन्नाटा था। पृथ्वी किसी रोगी की भांति कोहरे
पुलिस ने उस पहाड़ी इलाके का घेरा डाल रखा था। सिपाही और सवार चौबीसों घंटे घूमते रहते थे। पांच आदमियों से ज्यादा एक जगह जमा न हो सकते थे। शाम को आठ बजे के बाद कोई घर से निकल न सकता था। पुलिस को इत्तिला
कासगंज। जिलाधिकारी/जिला निर्वाचन अधिकारी हर्षिता माथुर ने कलेक्ट्रेट सभागार में समस्त राजनैतिक दलों के पदाधिकारियों के साथ आयोजित निर्वाचन बैठक में कहा कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उ0प्र0 विधान प
भोली भाली थी बड़ी, मासूम बहोत, भोंदू भी बहोत थी कोई कुछ कह भी दे तो उसे जवाब नहीं सूझता। चोटिल भी हो जाती पर रियेक्ट नहीं करती पर पढ़ाई में होशियार। उम्र भी बहुत छोटा था फिर भी घर के छुटपुट काम
एक बार राज दरबार में नीलकेतु नाम का यात्री राजा कृष्णदेव राय से मिलने आया। पहरेदारों ने राजा को उसके आने की सूचना दी। राजा ने नीलकेतु को मिलने की अनुमति दे दी। यात्री एकदम दुबला-पतला था। वह राजा के स
शिलान्यास सी खड़ी एक नार अपने समय की प्रतीक्षा कर आज भी जड़ है अपने चेतन मन के अंतर में कब होगा उसका भी प्रादुभाव पुरषों की इस विसंगति में (राम) उद्धारक केवल तुम बने अनुसरण हुई केवल
स्थान-राजपथ (मदारी आता है) मदारी : अललललललल, नाग लाए साँप लाए! तंत्र युक्ति सब जानहीं, मण्डल रचहिं बिचार। मंत्र रक्षही ते करहिं, अहि नृपको उपकार । (आकाश में देखकर) महाराज! क्या कहा? 'तू कौन है?'
(स्थान-चाणक्य का घर) (अपनी खुली शिखा को हाथ से फटकारता हुआ चाणक्य आता है) चाणक्य : बता! कौन है जो मेरे जीते चन्द्रगुप्त को बल से ग्रसना चाहता है? सदा दन्ति के कुम्भ को जो बिदारै। ललाई नए चन्द सी ज
संवत् 1932 महाकवि विशाखदत्त का बनाया मुद्राराक्षस स्थान-रंगभूमि रंगशाला में नान्दीमंगलपाठ भरित नेह नव नीर नित, बरसत सुरस अथोर। जयति अपूरब धन कोऊ, लखि नाचत मन मोर । 'कौन है सीस पै'? '
नहीं सरकारें गलती नहीं करती लोग ऐसे ही मर जाते है और सरकार को कटघरे में खड़ा कर बदनाम कर जाते है कोई भूख से मर जाता है बेरोजगारी से परेशान कोई फंदे से लटक जाता है कोई पुलिस की गोली से मरता है तो किसी
..... *आज के नेताजी* ========= अब निकलेंगे संकट मोचन शहर - गांव गलियारों में मुंह में अल्लाह -राम रखेंगे लैस रहे हथियारों में ।। अब निकलेंगे .................. भूख मिटेगी लाज बचेगी व
फजीतू पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता है, पार्टी के हर कार्यक्रम में उसकी उपस्थिति रहती है, फजीतू को क्षेत्र का विधायक से लेकर सांसद तक उसके नाम से जानते हैं, फजीतू की उम्र लगभग 50 साल है, छात्र जीवन से