कुछ दिन पूर्व पंजाब में पी एम की सुरक्षा के साथ जो खिलवाड़ हुआ हम सब ने देखा। अब राजनैतिक पार्टियां अपने अपने निहित स्वार्थ से प्रेरित होकर बहस में उलझी हैं कि उस घटना में प्रधान मंत्री की सुरक्षा भंग हुईं या नहीं हुई। कुछ लोग कह रहे हैं कि पीएम को कोई खतरा नहीं था।
किसी ने कहा सुरक्षा में चूक तो हुई है लेकिन इसे साजिश नहीं कहना चाहिए। किसी ने कहा वहां एक भी पत्थर नहीं मारा गया। कोई गोली न चली फिर खतरा कहां था?
उनसे सवाल यह है कि जब कोई बड़ी वारदात हो चुकी होती तभी माना जाता कि खतरा था?
जब आपके पास अपने पक्ष में कहने के लिए कोई सॉलिड बात नहीं होती तो आप अपने साथ भाषा या क्षेत्रबाद को जोड़ने का प्रयास करते हैं। वर्ना इस घटना का पंजाबियत से क्या लेना देना?