साहित्यकार के लिये
सम्मान अपमान
बेअसर है।
रमता जोगी बहता पानी
रखता सबकी
खबर है।।
गुरु कहता धरती को
जिसपर धरता कवि
आगे पग है।
सूर्य नमन करता
जिसकी उष्णता से
४तत्व वाष्पित हैं।।
चँद्रमा की शितलता देख मुग्ध,
छाया भले सघन है।
निहारिकाओं संग विचरता,
कहता कवि निर्मल है।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल "आशुकवि"
समिक्षार्थ
🙏🙏🙏🙏