*इस सृष्टि में ईश्वर का विधान इतना सुंदर एवं निर्णायक है कि यहां हर चीज का समय निश्चित होता है | इस धरा धाम पर सृष्टि के आदिकाल से लेकर के अब तक अनेकों बलवान , धनवान तथा सम्पत्तिवान हुए परंतु इन सब से भी अधिक बलवान यदि किसी को माना जाता है तो वह है इस समय | समय के आगे किसी की नहीं चलती है | इस सृष्टि की प्रत्येक घटना एवं प्रत्येक क्रियाकलाप का समय पहले से ही निश्चित है , जब तक वह समय उपस्थित नहीं होता तब तक वह घटना कदापि घटित नहीं हो सकती | यदि समय से पहले कुछ भी इस सृष्टि में संभव हो पाता तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम मुनियों के अस्थिसमूह को देख कर के रावण वध की प्रतिज्ञा करने के बाद सीता हरण की प्रतीक्षा न करते | उन्होंने ऐसा इसीलिए किया क्योंकि रावण की मृत्यु का समय निश्चित था उन्होंने उस उचित समय की प्रतीक्षा की क्योंकि उचित समय आए बिना कोई भी कार्य नहीं होता है | जब कालयवन ने मथुरा नगरी को घेर लिया तो भगवान श्याम सुंदर कन्हैया यदि चाहते तो उसका वध वही कर सकते थे परंतु कालयवन के वध का समय एवं उसकी मृत्यु का समय नहीं उपस्थित हुआ था | उस समय को प्राप्त करने के लिए ही कन्हैया कालयवन से युद्ध ना करके भाग खड़े हुए और निश्चित समय एवं पूर्व निर्धारित स्थान पर मुचकुंद के नेत्रों की ज्वाला से कालयवन भस्म हुआ | कहने का तात्पर्य है कि बिना उचित समय उपस्थित हुए ना तो किसी का जन्म हो सकता है ना ही उसकी मृत्यु हो सकती है और ना ही इस सृष्टि में कोई घटना ही घट सकती है , इसीलिए समय को बलवान कहा गया है |*
*आज प्राय: मनुष्य किसी भी कार्य में उतावलापन का शिकार होता देखा जा सकता है | कोई भी कार्य प्रारंभ करके तुरंत फल प्राप्त करना मनुष्य का स्वभाव बनता जा रहा है , परंतु ऐसा हो पाना संभव नहीं है | इस संसार में कौन , कब , कहां जाएगा , कैसे क्रियाकलाप करेगा ? एवं उसका पलायन या निष्कासन कब होगा ? यह समय पहले से ही निश्चित है | उचित समय आने पर उचित निर्णय समय स्वयं कर लेता है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" इतना ही बताना चाहूँगा कि कृषक अपने खेतों में बीज डालता है उसको फसल कब ? कितनी ? और कैसे मिली है इसका निर्धारण उचित समय पर स्वयं हो जाता है | यहां पर यदि किसान में उतावलापन हो तो क्या वह फसल अपनी इच्छा अनुसार प्राप्त कर सकता है ?? शायद ऐसा संभव नहीं है | प्राय: मनुष्य रोगी होकरके नित्य भगवान से प्रार्थना किया करता है कि हे भगवन ! हमको इस नर्क भरी जिंदगी से मुक्ति मिल जाए परंतु जब तक उचित समय नहीं आता है तब तक उसकी मृत्यु नहीं होती है | मनुष्य के सोचने से कुछ नहीं होता है , यहाँ मनुष्य का कर्तव्य मात्र कर्म करना ही है शेष किसको , कब , क्या और कैसा फल प्राप्त होना है इसका निर्णय उचित समय आने पर स्वयं समय कर देता है ! इसीलिए प्रत्येक मनुष्य को उचित समय की प्रतीक्षा अवश्य करनी चाहिए , क्योंकि जब उचित समय आ जाएगा तो ना चाहते हुए भी वह कार्य संपन्न हो ही जाता है | समय के आगे अच्छे-अच्छे बलवानों की भी दाल नहीं गली है | समय स्वयं निर्णायक की भूमिका निभाने में सक्षम है | शायद इसीलिए कहा गया है किस समय से पहले और भाग्य से ज्यादा ना कुछ होता है ना किसी को कुछ नहीं मिलता है |*
*इस सृष्टि में मनुष्य कठपुतली मात्र है | करने वाला तो कोई दूसरा ही है | स्वयं के बहुत चाहने पर भी मनुष्य कोई कार्य तब तक सम्पन्न नहीं कर सकता जब तक उचित समय नहीं आता | इसलिए स्वयं या किसी अन्य को दोषी कदापि नहीं मानना चाहिए |*