*इस धरा धाम पर आदिकाल से स्थापित एकमात्र धर्म सनातन धर्म को माना गया है , धीरे-धीरे सनातन धर्म से भी अनेकों शाखाएं निकली जिन्हें लोगों ने अपने अनुसार नाम देकर धर्म बता दिया | सनातन धर्म इतना अलौकिक एवं दिव्य है कि इसे जान पाना , समझ पाना किसी साधारण व्यक्ति के बस की बात नहीं है | वैसे तो कहा जाता है कि इस पृथ्वी पर कोई भी कार्य बिना कारण के नहीं होता है परंतु फिर भी सनातन धर्म के कुछ ऐसे आश्चर्य हैं जिन के कारणों का पता आज तक मनुष्य नहीं लगा पाया | कुछ लोग तो अपना संपूर्ण ऐश्वर्य , संसाधन एवं जीवन लगाकर भी इन रहस्यों से पर्दा उठाने में सक्षम नहीं हो पाये है | जैसे उज्जैन के महाकालेश्वर की नगरी में काल भैरव के द्वारा मदिरापान करना , जगन्नाथपुरी की पताका का सदैव हवा के विपरीत लहराना , जगन्नाथपुरी में ही ठंडे जल के प्रपात में चावल का पक जाना आदि ऐसे अनेकों रहस्य हैं जिन्हें जानने के लिए अनेक लोगों का जीवन भी समाप्त हो गया परंतु वह इसके रहस्य को नहीं समझ सके | ईश्वर की माया बड़ी विशाल एवं रहस्यमयी है | मनुष्य अपने जीवन के रहस्य को छोड़कर संसार के रहस्य को जानने निकलता है और वह ना तो स्वयं को जान पाता है ना ही संसार को | ब्रह्मांड कहीं बाहर नहीं है जिसने अपने पिण्ड को जान लिया उसने ब्रह्मांड को जानने में सफलता अर्जित कर ली , परंतु लोग स्वयं को नहीं जानना चाहते और संसार के रहस्य को जानने के लिए अपना जीवन लगा देते हैं | कुछ अलौकिक शक्तियां होती हैं जिनके बलबूते पर ऐसे रहस्यमयी कार्य निरंतर होते आए हैं और होते रहेंगे , इन्हें ईश्वर की माया समझ कर मनुष्य को नतमस्तक हो जाना चाहिए परंतु मनुष्य का स्वभाव होता है कि वह किसी भी रहस्य की गहरायी में जाना चाहता है | जैसा कि मैंने बताया कि इस संसार में बिना कारण के कोई कार्य नहीं होता उसी प्रकार जितने भी रहस्य हैं उनका भी कारण है परंतु इन कारणों को जानने के लिए मनुष्य को गहराई में उतरना पड़ेगा | जब तक मनुष्य समुद्र की गहराई में नहीं उतरता तब तक उसे सच्चे मोती नहीं प्राप्त होते परंतु लोग ऊपर ऊपर तैर कर सब कुछ पा लेना चाहते हैं | यह भी एक रहस्य एवं आश्चर्य है |*
*आज के आधुनिक युग में जहां विज्ञान ने सब कुछ जानने एवं समझ लेने का दावा प्रस्तुत किया है वही सनातन के अलौकिक रहस्य को जानने में विज्ञान भी असफल रहा है | आज अनेकों लोग इसे भले ही जादू समझते हैं परंतु यह जादू नहीं बल्कि ऐसे कार्य अलौकिक कारणों से होते है | कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि इन कारणों को संसार में अद्भुत बनाने के लिए इनमें किसी सनातन यंत्रों का प्रत्यारोपण किया गया है | ऐसे सभी लोगों से मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" पूछना चाहता हूं कि क्या वे बता सकते हैं कि ज्वाला देवी की ज्योति जिस का पता लगाने के लिए सम्राट अकबर ने ज्वाला देवी के मंदिर तक को खुदवा डाला , नहर की धारा मंदिर परिसर में मोड़ दी गई परंतु ना तो वह ज्योति बुझी और ना ही उसका स्रोत पता चल पाया | उसी प्रकार कामरु कामाख्या मंदिर में पाषाण मूर्ति से रक्त स्राव का होना एक अलौकिक क्रिया ही है | अंग्रेज एवं मुगल राजाओं ने इसके रहस्य को जानने का बहुत प्रयत्न किया परंतु असफल रहे | कहने का तात्पर्य है कि कुछ कारण ऐसे भी हैं जिन्हें ना तो मनुष्य जान पाया है और ना जान पाएगा क्योंकि आज मनुष्य किसी भी रहस्य को सुनकर या देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है और ऊपर ही ऊपर उनके कारणों का पता लगाने का प्रयास करने लगता है | जबकि यह सत्य है कि सनातन धर्म के धर्मग्रंथों में ऐसे सभी रहस्यों का वर्णन किया गया है , जिसे जानने के लिए श्रद्धा विश्वास के साथ गहन अध्ययन की आवश्यकता है , बिना इसके ना तो कुछ जाना जा सकता है और ना ही समझा जा सकता है , परंतु आज मनुष्य सब कुछ गूगल पर प्राप्त कर लेना चाहता है | अपने धर्मग्रंथों से विमुख होकर वह ऐसे आश्चर्य से आश्चर्यचकित हो जाता है | यदि इन रहस्यों को जानना है तो सर्वप्रथम श्रद्धा एवं विश्वास को हृदय में प्रकट करके अपने धर्मग्रंथों के अध्ययन की आवश्यकता है बिना इसके कुछ भी नहीं प्राप्त हो सकता परंतु हम कर्म किए बिना ही फल की इच्छा रखना चाहते हैं जो कि संभव नहीं है |*
*इस संसार में अनेकों रहस्य हैं क्योंकि यह संसार एवं मनुष्य का जीवन अलौकिक रहस्य से भरा पड़ा हैं इन्हें जानने के लिए सद्गुरु की शरण में जाकर अध्ययन रूपी पतवार से ही इस रहस्यमयी समुद्र को पार किया जा सकता है |*