ये सब याद करते हुए शशांक कब अपने घर पहुंचा , उसे पता हीं नहीं चला । वो बस सौम्या के ख्यालों में खोया हुआ था और मुस्कुरा रहा था । तीन दिन बाद आज शशांक सौम्या के
तुम ही बताओं ... क्या तुम खुश रह पाओगी उसके दिल को तोड़ कर ? गरीबों की खुशी के साथ अपनी पूरी जिंदगी एक उसके बिना ... ? बताओं .... बोलों ... ?
शशांक उपन्यास को दिखाते हुए मुस्कुराकर 😊 कहा और कमरे से बाहर आ गया । शशांक के बाहर जाते ही सौम्या धम से अपने बेड पर बैठ गई । उसके आंखों में आंसू आ गए थे शशांक की ऐसी बातें सुनकर ।
शशांक — सौम्या ... उ .. म्म ... तुम भी बहुत अच्छी हो ... बहुत प्यारी हो । ऐसे ही मैं तुम्हारे आगे - पीछे नहीं घुम रहा हूँ .. । तीन साल ... तीन साल हो गया था तुमसे
अनिका छत पर पहुंचते ही आदित्य को खुशी के मारे गले लगाते हुए कहने लगी — यार आदि आज तुने मेरा दिल खुश कर दिया है . . . सच कह रही हूं मै । पहली बार तूने कोई काम किया है . . . ज
अनिका — लेकिन इसमें सौम्या की भी तो गलती नही है ना । वो तो अपने भैया को परेशान देख कर ... ये सब कह रही है । तुम शायद नहीं जानते हो लेकिन मै ये जानती हूँ कि हमारे जैसे
कुछ देर बाद तीनों रेस्टोरेंट में आ जाते है और जिस काम के लिए आए होते हैं यहां ; उस पर बात करते हैं । साथ - ही - साथ शशांक — आदि और अनिका से यह भी कहता है कि वो इस बात क
शशांक — मॉम आप ऐसे क्यों कह रही हो ? मैं तो हमेशा कोई भी काम आराम से ही करता हूं । मिसेज सूर्यवंशी — हां .... देखा है मैंने आज कुछ देर पहले
सौम्या उसको (अनिका को ) चिढ़ाते हुए कहती है — अच्छा - अच्छा ठीक है । जाओ भागो यहां से जल्दी । अनिका मुंह बनाकर — हां - हां जा रही हूं ।
अनिका — अ ... ह ... क्या शशांक तुमसेलड़ाई किया है कभी ... बताओं ? उसने तो कभी ऊंचीआवाज में बात ही नहीं की होगी तुमसे । जबकि वो तुमसे प्यार करता है , तो उसे भी त
मैं बहुत खुश नसीब हूँ कि मेरे भाई - भाभी मुझसे इतना प्यार करते है । वो मेरी खुशी के लिए कुछ भी कर सकते हैं । अनिका — सौम्या को रोते हु
चलों कोई नहीं ... अब ऊपर थोड़ा फुलनदेवी से बात करने के लिए जा रही हूँ भाभी । आप चिंता मत करिए ।मैं उसे समझा दूंगी और ये कहते अनिका मुस्कुराते हुए ऊपर चली गई सौम्या के क
सौम्या को मैं जब भी चिढ़ाती थी तो वो उल्टा मुझे ही खरी - खोटी सुना देती थी ।फिर प्रगति जी अनिका से पूछी की आप लोग वहाँ गए थे तो फोटो - वोटो नहीं लिये थे क्या ?&
( मिस्टर कौशिक - सौम्या को समझाते है , उसको इतना परेशान देखकर ) -- बेटा .... हर लड़की के घर वाले चाहते है कि उनकी बेटी अपने ससुराल में खुश रहें । उसे वो सरी खुश
सौम्या को अभी खामोश रहना ही अच्छा लगा , तो वो बस मुस्कुरा रही थी और वो भी दिखावे के लिए ।कुछ देर बैठने के बाद सूर्यवंशी परिवार यह कह कर चली गई की हम घर जाकर इस विषय पर सोच - विचार कर के ... 2 दिन में
जब शशांक ने सौम्या से बोला कि plz .... मेरी भी सुन लो ना एक बार सौम्या ... , आप क्यों इतना परेशान हो रही हो । भैया है ना .... बात कर लेंगे वह मेरे मम्मी पापा से दहेज के मामले में ।
प्रगति जी के कहने पर ना चाहते हुए भी सौम्या ... शशांक को अपने साथ अपने रूम में ले जाती है . . . सौम्या को इस समय शशांक पर बहुत गुस्सा आ रहा था ; वो बस यही सोच रही थी ,कि ये इतने पढ़ें लिखे होकर भी दहे
सौम्या मन में अनिका से बात करते हुए कहती है - तुम अब से इसलिए शशांक नाम नहीं लोगी क्योंकि अब मेरी शादी होने वाली है , वो भी किसी और से ... समझी ,तो Plz अब नाम मत लेना शशांक का , किसी के सामने ।
सौम्या को देखते ही लड़का एकदम से चौक गया , तब उसके हाथ से चाय का कप गिरते - गिरते बचा था , जब से सौम्या नीचे आयी थी , तभी से वो एकटक से उसे ही देखे जा रहा था । वो इस समय यह भूल गया था की अभी उसके साथ
प्रगति जी सौम्या से कहती हैं - - - प्रगति जी - अब चलों जल्दी से नीचे ,,, वोलोग तुम्हारा वेट कर रहे है और तुम्हारे होने वाले वो ..... भी ...☺️ प्रगती जी ने तुम्ह